तिथि : 14 अक्तूबर, 2015
स्थान : राज्यपाल कार्यालय, भुवनेश्वर
आयोजक : भूमि अधिकार आन्दोलन, उड़ीसा
खनिजों के मामले में समृद्ध होने के बावजूद, उड़ीसा भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। उड़ीसा की काफी आबादी आदिवासी और जनजातीय है। अन्य प्रदेशों की तुलना में अपने जीवनयापन के लिये उड़ीसा आबादी का ज्यादा प्रतिशत खेती, जंगल और मज़दूरी पर आश्रित है। उड़ीसा में भूमि के साथ खिलवाड़ अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ाने वाला तो साबित होगा ही, गरीब की चोटी अमीर के हाथ में सौंप देने वाला भी साबित होगा। गत् एक वर्ष से ज़मीन बचाने की राजनैतिक और सामाजिक जंग चल रही है। इसमें कृषि से लेकर नदी, तालाब, पहाड़, पठार और जंगल की ज़मीन बचाने की जंग भी शामिल है। विरोध से विवश होकर केन्द्र सरकार ने कदम पीछे हटाए भी हैं। अब गेंद, राज्यों के पाले में है। क्या राज्यों ने कोई ठोस वैधानिक आश्वासन प्रस्तुत किया। सम्भवतः नहीं।
उड़ीसा से आई खबर तो उलटी ही है। ‘भूमि अधिकार आन्दोलन’ की ओर जारी विज्ञप्ति में श्री नरेन्द्र मोहंती ने उड़ीसा भूमि बिल - 2015 की असल मंशा भूमि कब्जाना करार दिया है। संगठन के बिल को विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना बहस के मंजूर कराने की कवायद को बीजू जनता दल पार्टी की सरकार का अलोकतांत्रिक कदम बताया है।
16 सितम्बर, 2015 को वरिष्ठ पत्रकार श्री रबिदास की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस कवायद का व्यापक विरोध करने का निर्णय लिया गया। तय किया है कि ‘भूमि अधिकार आन्दोलन’ आगामी 14 अक्तूबर को राज्यपाल कार्यालय के बाहर विशाल धरना आयोजित करेगा।
गौरतलब है कि खनिजों के मामले में समृद्ध होने के बावजूद, उड़ीसा भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। उड़ीसा की काफी आबादी आदिवासी और जनजातीय है। अन्य प्रदेशों की तुलना में अपने जीवनयापन के लिये उड़ीसा आबादी का ज्यादा प्रतिशत खेती, जंगल और मज़दूरी पर आश्रित है। उड़ीसा में भूमि के साथ खिलवाड़ अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ाने वाला तो साबित होगा ही, गरीब की चोटी अमीर के हाथ में सौंप देने वाला भी साबित होगा।
इस सत्य के मद्देनज़र एकजुटता जरूरी है। इसी आशय से ‘ज़मीन अधिग्रहण विरोधी अभियान, उड़ीसा’ और ‘जनसंगठनों की संयुक्त तैयारी समिति, उड़ीसा’ के विलय का निर्णय कर नए बैनर को ‘भूमि अधिकार आन्दोलन का नाम दिया गया है।
इस बैनर के तले प्रस्तावित धरने हेतु निर्णय में भागीदारी कर अखिल भारत किसान सभा, उड़ीसा कृषक सभा, समाजवादी कृषक सभा, चासी मुलिया संघ, उड़ीसा खेत-मज़दूर यूनियन, उड़ीसा श्रमजीवी मंच, उड़ीसा आदिवासी अधिकार मंच, बनबासी सुरक्षा परिषद, उड़ीसा रोडसाइड वेन्डर्स एसोसिएशन, इंसाफ, अनियोजित मजदूर संघ के अलावा, एआईकेकेएस., एआईकेकेएमएस., एआईपीएफ, टीयूटीसी., पीपीएसएस., और आरपीआई कृषक मंच ने एकजुटता जाहिर की है।
विस्तृत जानकारी के लिये आप मोबाइल संख्या 0943-742-6647 पर श्री नरेन्द्र मोहंती से सम्पर्क कर सकते हैं।
स्थान : राज्यपाल कार्यालय, भुवनेश्वर
आयोजक : भूमि अधिकार आन्दोलन, उड़ीसा
खनिजों के मामले में समृद्ध होने के बावजूद, उड़ीसा भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। उड़ीसा की काफी आबादी आदिवासी और जनजातीय है। अन्य प्रदेशों की तुलना में अपने जीवनयापन के लिये उड़ीसा आबादी का ज्यादा प्रतिशत खेती, जंगल और मज़दूरी पर आश्रित है। उड़ीसा में भूमि के साथ खिलवाड़ अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ाने वाला तो साबित होगा ही, गरीब की चोटी अमीर के हाथ में सौंप देने वाला भी साबित होगा। गत् एक वर्ष से ज़मीन बचाने की राजनैतिक और सामाजिक जंग चल रही है। इसमें कृषि से लेकर नदी, तालाब, पहाड़, पठार और जंगल की ज़मीन बचाने की जंग भी शामिल है। विरोध से विवश होकर केन्द्र सरकार ने कदम पीछे हटाए भी हैं। अब गेंद, राज्यों के पाले में है। क्या राज्यों ने कोई ठोस वैधानिक आश्वासन प्रस्तुत किया। सम्भवतः नहीं।
उड़ीसा से आई खबर तो उलटी ही है। ‘भूमि अधिकार आन्दोलन’ की ओर जारी विज्ञप्ति में श्री नरेन्द्र मोहंती ने उड़ीसा भूमि बिल - 2015 की असल मंशा भूमि कब्जाना करार दिया है। संगठन के बिल को विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना बहस के मंजूर कराने की कवायद को बीजू जनता दल पार्टी की सरकार का अलोकतांत्रिक कदम बताया है।
16 सितम्बर, 2015 को वरिष्ठ पत्रकार श्री रबिदास की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस कवायद का व्यापक विरोध करने का निर्णय लिया गया। तय किया है कि ‘भूमि अधिकार आन्दोलन’ आगामी 14 अक्तूबर को राज्यपाल कार्यालय के बाहर विशाल धरना आयोजित करेगा।
गौरतलब है कि खनिजों के मामले में समृद्ध होने के बावजूद, उड़ीसा भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है। उड़ीसा की काफी आबादी आदिवासी और जनजातीय है। अन्य प्रदेशों की तुलना में अपने जीवनयापन के लिये उड़ीसा आबादी का ज्यादा प्रतिशत खेती, जंगल और मज़दूरी पर आश्रित है। उड़ीसा में भूमि के साथ खिलवाड़ अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ाने वाला तो साबित होगा ही, गरीब की चोटी अमीर के हाथ में सौंप देने वाला भी साबित होगा।
इस सत्य के मद्देनज़र एकजुटता जरूरी है। इसी आशय से ‘ज़मीन अधिग्रहण विरोधी अभियान, उड़ीसा’ और ‘जनसंगठनों की संयुक्त तैयारी समिति, उड़ीसा’ के विलय का निर्णय कर नए बैनर को ‘भूमि अधिकार आन्दोलन का नाम दिया गया है।
इस बैनर के तले प्रस्तावित धरने हेतु निर्णय में भागीदारी कर अखिल भारत किसान सभा, उड़ीसा कृषक सभा, समाजवादी कृषक सभा, चासी मुलिया संघ, उड़ीसा खेत-मज़दूर यूनियन, उड़ीसा श्रमजीवी मंच, उड़ीसा आदिवासी अधिकार मंच, बनबासी सुरक्षा परिषद, उड़ीसा रोडसाइड वेन्डर्स एसोसिएशन, इंसाफ, अनियोजित मजदूर संघ के अलावा, एआईकेकेएस., एआईकेकेएमएस., एआईपीएफ, टीयूटीसी., पीपीएसएस., और आरपीआई कृषक मंच ने एकजुटता जाहिर की है।
विस्तृत जानकारी के लिये आप मोबाइल संख्या 0943-742-6647 पर श्री नरेन्द्र मोहंती से सम्पर्क कर सकते हैं।
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Post By: RuralWater