सुजानपुर प्रखण्ड में एक थाती सेनुआ गांव है, जहां के गांववाले हिमाचल प्रदेश के हमरीरपुर जिले के पारंपरिक वर्षाजल संग्रहण के लिए आगे आए हैं, जिससे वे छत से वर्षाजल संग्रहण कर सकें। गांव वालों ने अपने प्रयास से अपने-अपने घरों के लए फेरोसीमेंट की टंकियों का निर्माण किया, जिसमें उनकी छत का पानी जमा होता है। छत से पाइप को नीचे टैंक के साथ जोड़ा जाता है। यह गांव पूरी तरह से खत्रियों पारंपरिक जल सुझाओं पर निर्भर है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा जल आपूर्ति हफ्ते में जाकर होती है और कई बार तो उन्हें एक महीने तक यह पानी नसीब नहीं होता है।
सछुई प्राथमिक स्कूल के प्राध्यापक छत्तर सिंह ने बताया कि “पिछले पचास सालों में चंदेल राजपूत के दो परिवारों का गांव आज 27 घरों का गांव हो गया है, जिसमें 150 लोगों की आबादी है। अत: इससे पानी की मांग भी बढ़ी है।“ लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं था। उन्होंने आगे बताया कि “हमने कुछ नई खत्रियां भी बनाई, इस प्रखण्ड द्वारा किए गए सर्वेक्षण को देखकर पता चला कि पानी की इस बढ़ी मांग को छत पर वर्षा जल संग्रहण के जरिए ही पूरा किया जा सकता है। इस गांव के 26 घरों में से 16 घरों को छत पर वर्षा जल संग्रहण और टंकियों के निर्माण के लिए चुना गया, लेकिन 2 घरों के लोगों ने इसके लिए इन्कार कर दिया, जिससे सिर्फ 14 घरों के लिए टैंकों का निर्माण हुआ।“
ग्रामीण जिला विकास प्रशासन, हमीरपुर के परियोजना अधिकारी सतीश शर्मा ने बताया कि, “गांव के चारों तरफ का क्षेत्र सख्त पहाड़ों का है और यहां बरसात का पानी गिरते ही बह जाता है और उसका कोई उपयोग नहीं होता है। ऐसी स्थिति में घरेलू उपयोग के लिए वर्षाजल संग्रहण करना एक व्यवहारिक, उपयोगी और टिकाऊ पद्धति होगी। राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद शिमला द्वारा फेर्रोसीमेंट टंकी की तकनीकी अपनाई गई है। इसमें यह पाया गया है कि फेर्रोसीमेंट की टंकियों की तुलना में यह काफी टिकाऊ भी होती है। हमारे निरंतर प्रयास से इन टंकियों का निर्माण हुआ। गांववाले श्रमदान के रूप में इसमें अपना 10 प्रतिशत योगदान किया है और बाकी प्रखंड के विकास फंड से प्राप्त हुआ।“
सुजानपुर प्रखण्ड के जूनियर इंजिनीयर श्री आर के राणा कहते हैं कि, “फेर्रोसीमेंट टंकियों के निर्माण का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यह काफी दिनों तक चलता है। एक परिवार द्वारा रोजाना पानी के उपयोग और क्षेत्र में पानी बरसने की अवधि के आधार पर 5,000 लीटर की क्षमता वाली टंकी का निर्णय लिया गया। “इस गांव की ग्रामसभा के सचिव प्रेमचन्र्य ने बताया कि, “हमारे यहां काफी वर्षा होती है और इसी वर्षा के पानी को रोकने से हमारी पानी की समस्या का समाधान हुआ है। यद्यपि हमें वर्षा ऋतु में ही सिर्फ पानी प्राप्त होता है, अत: हमें गर्मी के मौसम में पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस वर्षा से हमें 9 महीने तक पानी मिलता रहता है। हमीरपुर के उपायुक्त अनुराधा ठाकुर ने बताया कि “थाती सेनुआ गांव में छत के वर्षा जल संग्रहण से अन्य गांवों के लिए भी मार्ग प्रशस्त हुआ है। हम इस मिसाल का अन्य गांवों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।“
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: श्री प्रेमचंद, सचिव, ग्राम थाती सेनुआ, प्रखण्ड- सुजानपुर, जिला हमीरपुर हिमाचल प्रदेश
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