तटवर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा

राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार के लिए गठित मन्त्री समूह की सिफारिशों पर गठित तटीय सुरक्षा योजना का अनुमोदन सुरक्षा सम्बन्धी मन्त्रिमण्डल समिति ने जनवरी 2005 में किया था, जिस पर वर्ष 2005-06 से शुरू होकर पाँच वर्षों में अमल किया जाना था। योजना में तटवर्ती 9 राज्यों और 4 केन्द्रशासित प्रदेशों को 73 तटवर्ती पुलिस थाने, 97 जाँच चौकियाँ, 58 सीमा चौकियाँ और 30 बैरकों की स्थापना के लिए सहायता दी जाती है। इन सब के लिए कुल 204 नौकाएँ, 153 जीपें और 312 मोटर साइकिलें मुहैया कराई गई हैं। नौ तटवर्ती राज्यों और चार केन्द्रशासित प्रदेशों से लगी हुई 7,516 किलोमीटर लम्बी हमारी तटीय सीमा, सुरक्षा सम्बन्धी गम्भीर चुनौतियाँ पेश करती है। मुम्बई के 26/11 के आतंकी हमलों के बाद देश के समूचे तटीय सुरक्षा परिदृश्य पर सरकार द्वारा अनेक स्तरों पर समीक्षा की गई। तटीय सुरक्षा के खतरों के विरुद्ध मन्त्रिमण्डल सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय समुद्री और तटीय सुरक्षा समिति (एनसीएमएमसीएस) का गठन किया गया है। तटीय सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दों पर समिति में विस्तृत चर्चा की गई है। सभी नौ तटवर्ती राज्य और चार केन्द्रशासित प्रदेशों ने इस समिति की बैठकों में नियमित रूप से भाग लिया है।

देश की तटीय सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन्न मन्त्रालयों द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिन पर क्रियान्वयन किया जा रहा है। सीमा की सुरक्षा के लिए तटवर्ती राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की पुलिस, राज्य प्रशासन, भारतीय नौसेना, गृह मन्त्रालय और अन्य केन्द्रीय मन्त्रालय पूरे सामंजस्य के साथ काम कर रहे हैं। इन सबके बावजूद भारत की विशाल समुद्री सीमा की रक्षा करना एक बड़ा दायित्व है।

तटीय सुरक्षा योजना


राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार के लिए गठित मन्त्री समूह की सिफारिशों पर गठित तटीय सुरक्षा योजना का अनुमोदन सुरक्षा सम्बन्धी मन्त्रिमण्डल समिति ने जनवरी 2005 में किया था, जिस पर वर्ष 2005-06 से शुरू होकर पाँच वर्षों में अमल किया जाना था। योजना में तटवर्ती 9 राज्यों और 4 केन्द्रशासित प्रदेशों को 73 तटवर्ती पुलिस थाने, 97 जाँच चौकियाँ, 58 सीमा चौकियाँ और 30 बैरकों की स्थापना के लिए सहायता दी जाती है। इन सब के लिए कुल 204 नौकाएँ, 153 जीपें और 312 मोटर साइकिलें मुहैया कराई गई हैं। योजना के अन्तर्गत जनशक्ति का प्रावधान राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है। प्रारम्भ में योजना के अन्तर्गत अनावर्ती व्यय के लिए चार अरब रुपए और नौकाओं की मरम्मत, ईन्धन तथा समुद्री पुलिसकमिर्यों के प्रशिक्षण पर आवर्ती व्यय के लिए 1 अरब 51 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। योजना को पनुः एक वर्ष यानी 31 मार्च, 2011 तक के लिए बढा़ दिया गया और अनावर्ती व्यय के लिए 95 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।

अनुमोदित 73 तटवर्ती पुलिस थानों में से 71 में काम शुरू हो चुका है। इनमें से 48 अपने नये भवनों से काम कर रहे हैं। इसके अलावा 75 जाँच चौकियों, 54 सीमा चौकियों और 22 बैरकों का निर्माण भी पूरा हो चुका है। अनुमोदित 204 नौकाओं में से 195 नौकाएँ 31 दिसम्बर, 2010 तक तटवर्ती राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को दी जा चुकी हैं। गोवा के लिए 10 रिजिड तेज हवा से फूलने वाली नौकाएँ खरीदी जा चुकी हैं। राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा सभी वाहन (153 जीपें और 312 मोटरसाइकिलें) खरीदे जा चुके हैं। तटरक्षक बल ने अब तक करीब 2,000 लोगों को प्रशिक्षण दिया है।

नौकाओं का पंजीकरण


भारतीय जल क्षेत्र में सभी प्रकार की नौकाओं, मछली पकड़ने वाली एवं आवागमन के लिए इस्तेमाल में आने वाली नौकाओं को एक समरूप प्रणाली के तहत पंजीकरण कराना होता है। जहाजरानी मन्त्रालय ने जून, 2009 में दो अधिसूचनाएँ जारी कीं, जिनमें से एक व्यापारिक नौवहन (मछली पकड़ने वाली नौकाओं का पंजीकरण) नियमों में संशोधन से सम्बन्धित था, जबकि दूसरा पंजीयकों की सूची की अधिसूचना से सम्बन्धित था। राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश इस पर अनुसरण कर रहे हैं। राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) ने देश में एक समरूप ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली का विकास किया है। कार्यक्रम पर अमल के लिए एनआईसी को रु. 1 करोड़, 20 लाख और तटवर्ती राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों को रु. 5 करोड़, 81 लाख, 86 हजार जारी किए जा चुके हैं। इससे सम्बन्धित प्रशिक्षण की शुरुआत हो चुकी है तथा ऑनलाइन पंजीकरण भी प्रारम्भ हो गया है।

मछुआरों को पहचान-पत्र जारी करना


तटवर्ती मछुआरों को बायोमीट्रिक पहचान-पत्र जारी करने के लिए रु. 72 करोड़ की लागत से केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना शुरू की गई है। इस परियोजना के लिए आर्थिक सहयोग भारतीय महापंजीयक से प्राप्त हो रहा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की अगुवाई में तीन कम्पनियों के एक समूह को आँकड़ों के अंकीकरण, कार्ड के उत्पादन और उसे जारी करने का काम सौंपा गया है। बायोमीट्रिक पहचान-पत्र जारी करने के लिए जिन 15,59,640 मछुआरों की पहचान की गई है, उनमें से 8,29,254 (53.17 प्रतिशत) के बारे में आँकड़े इकट्ठा किए जा चुके हैं और 3,76,828 (45.44 प्रतिशत) मछुआरों के आँकड़ों का अंकीकरण किया जा चुका है।

आरजीआई, जनसंख्या 2011 के पूर्व तटीय राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने की अपनी परियोजना के एक अंग के तौर पर तटवर्ती गाँवों के बासिन्दों को बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान-पत्र जारी करने की प्रक्रिया प्रगति पर है। नये कार्ड एएचडी (पशुपालन विभाग) और मत्स्य-पालन विभाग द्वारा जारी किए जाएँगे। पहले चरण में 3,331 तटवर्ती गाँवों का चयन इस कार्य के लिए किया गया है।

पहचान-पत्र का वितरण दिसम्बर 2010 से शुरू हो चुका है। लेख लिखे जाने तक 1 करोड़ 20 लाख लोगों के आँकड़े इकट्ठा किए जा चुके थे, जबकि 69 लाख लोगों के बायोमीट्रिक विवरण तैयार किए जा चुके थे। गजुरात, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, दमन व दीव, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के तटवर्ती गाँवों में रहने वालों के स्थानीय रजिस्टर (एलआरयूआर) की छपाई पूरी हो चुकी है।

बन्दरगाह सुरक्षा


ऐसे बन्दरगाह जो ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माने जाते उनकी सुरक्षा हमेशा से ही चिन्ता का विषय रही है। देश में 12 प्रमुख और करीब 200 कम महत्व के छोटे बन्दरगाह हैं। प्रमुख बन्दरगाहों की सुरक्षा सीआईएसएफ के हाथों में है, जबकि छोटे और कम महत्व के बन्दरगाहों की सुरक्षा राज्यों के समुद्री बोर्डों अथवा राज्य सरकारों के हाथ में होती है। बड़े बन्दरगाह अन्तरराष्ट्रीय जहाजों के अनुकूल सुरक्षा प्रबन्धों और सुविधाओं से लैस हैं। इन बन्दरगाहों का सुरक्षा अंकेक्षण हर दो वर्ष में किया जाता है, यानी सुरक्षा सम्बन्धी प्रबन्धों की समीक्षा की जाती है, परन्तु कम महत्व के बन्दरगाहों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

12 प्रमुख बन्दरगाहों के अतिरिक्त देश के 53 छोटे/कम महत्वपूर्ण बन्दरगाह और 5 शिपयार्ड (पोत निर्माण संयन्त्र) भी अन्तरराष्ट्रीय स्तर के जहाजों के अनुकूल सुरक्षा और सुविधाओं से सम्पन्न हैं। इन बन्दरगाहों के सुरक्षा प्रबन्धों और सुविधाओं की वैश्विक अनुकूलता की स्थिति का पुनर्आकलन भारतीय जहाजरानी रजिस्टर द्वारा किया गया है। सीमा-शुल्क विभाग जहाजरानी तथा राज्यों के समुद्री बोर्डों को साथ लेकर उपर्युक्त वर्णित 65 प्रमुख और गैर-प्रमुख बन्दरगाहों के अतिरिक्त अन्य कम महत्वपूर्ण बन्दरगाहों में भी अन्तरराष्ट्रीय स्तर के जहाजों के अनुकूल सुरक्षा और सुविधाओं को जुटाने के लिए आवश्यक कार्रवाई कर रहा है।

गुजरात और महाराष्ट्र के तटवर्ती क्षेत्रों की पेट्रोलिंग की संयुक्त व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए चलाई जा रही ऑपरेशन स्वान योजना के तहत तटरक्षक बल को 15 इण्टरसेप्टर (पीछा करने वाली) नौकाओं की खरीद और महाराष्ट्र के धानु तथा मुरूड जंजीरा और गुजरात के वेरावल में 3 तटरक्षक केन्द्र स्थापित करने के लिए रु. 3 अरब, 42 करोड़ 56 लाख की सहायता दी जा रही है। योजना के अन्तर्गत जमीन और नौकाओं की लागत के तौर पर केन्द्रीय गृह मन्त्रालय द्वारा अब तक 61 करोड़, 11 लाख रुपए जारी किए जा चुके हैं।

निर्णयों का क्रियान्वयन


समुद्री और तटवर्ती सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए अग्रलिखित निर्णयों पर क्रियान्वयन हो चुका है— तटवर्ती क्षेत्रों में गश्त और निगरानी में विस्तार, तटवर्ती और तट से दूर सुरक्षा सहित समग्र समुद्री सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना को उत्तरदायित्व सौंपना, तटवर्ती पुलिस की गश्त वाले क्षेत्रों सहित भू-भागीय जल क्षेत्र की सुरक्षा के लिए तटरक्षक बल को अधिकृत करना, महानिदेशक, तटरक्षक बल का कमाण्डर मनोनीत करना, तटवर्ती सुरक्षा से सम्बन्धित सभी मामलों में केन्द्रीय और राज्यों की एजेंसियों के बीच समन्वयन का उत्तरदायित्व तटवर्ती कमाण्ड को सौंपना, मुम्बई, विशाखापट्टनम, कोच्चि और पोर्टब्लेयर में चार संयुक्त कार्रवाई केन्द्रों की स्थापना और तटरक्षक बल द्वारा सभी तटवर्ती राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में मानक प्रचालन प्रक्रियाओं को अन्तिम रूप देना और उनको जारी करना।

सुरक्षा योजना अन्तिम रूप से तैयार


तटवर्ती राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों ने तटरक्षक बल के परामर्श से खामियों और खतरों के आधार पर तैयार तटवर्ती सुरक्षा योजना (द्वितीय चरण) के प्रस्ताव को सरकार ने 1 अप्रैल, 2011 से पाँच वर्ष तक के लिए मंजूरी दे दी है। आशा है इस योजना से तटवर्ती राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के तटीय सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत बनाया जा सकेगा। इस योजना पर परिव्यय के लिए जो वित्तीय व्यवस्था की गई है, उनमें से 11 अरब, 54 करोड़, 91 लाख, 20 हजार रुपए गैर-आवर्ती व्यय के लिए और 4 अरब, 25 करोड़ रुपए आवर्ती व्यय के लिए रखे गए हैं। प्रस्ताव की प्रमुख विशेषताओं में से 180 नौकाओं, 60 जेट्टी, 35 हवा से फूलने वाली मजबूत नौकाओं (केवल अण्डमान निकोबार के लिए), 131 चार पहिया वाहन और 242 मोटरसाइकिलों की व्यवस्था के साथ 131 तटीय पुलिस थानों की स्थापना शामिल है। निगरानी उपकरण, रात में देखने के लिए उपकरण, कम्प्यूटर और फर्नीचर तथा पीओएल पेट्रोल और लुब्रीकेण्ट्स 180 नौकाओं की आपूर्ति के बाद (एक वर्ष के लिए) प्रति पुलिस थानों के हिसाब से 15 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। नौकाओं के सन्धारण के लिए वार्षिक संविदा और समुद्री पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है।

नयी तटीय सुरक्षा योजना के द्वितीय चरण में 60 जेट्टियों के साथ-साथ मौजूदा जेट्टियों के उन्नयन का विशेष प्रावधान किया गया है।

(लेखक पत्र सूचना कार्यालय, नई दिल्ली में निदेशक हैं)

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