टॉयलेट जरूरी या टेलीफोन

जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि देश में फोन धारकों और टीवी देखने वालों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है तो संचार क्रांति के इसी असर को इस समस्या से लड़ने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस समस्या से निजात पाने में विकासात्मक संचार काफी अहम भूमिका निभा सकता है।

मकान गणना 2011 के आंकड़ों से ये तथ्य सामने आया है कि आजादी के 64 साल बाद भी देश के सिर्फ 47 प्रतिशत घरों में ही शौचालय की सुविधा मौजूद है। बाकी 53 प्रतिशत यानी देश की आधे से भी ज्यादा जनता खुले में ही निवृत होने को मजबूर हैं। हालांकि पिछले 10 सालों में, इसमें 13 प्रतिशत का सुधार हुआ है। 2001 में सिर्फ 34 प्रतिशत घरों में ही शौचालय था। लेकिन स्थिति अब भी कोई ज्यादा अच्छी नहीं है। इसी जनगणना से एक और दिलचस्प बात सामने आई है और वह यह है कि संचार के मामले में हमारे देश ने काफी तरक्की की है। आज देश के 63 प्रतिशत घरों में मोबाइल फोन या टेलीफोन हैं। जिसमें शहरों में 82 प्रतिशत और गांवों में 54 प्रतिशत लोगों के पास ये सुविधा है। टेलीविजन सेट वाले घरों में भी 16 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। जिसका सीधा सा अर्थ है कि देश की जनता लगातार संचार के माध्यमों से भली भांति जुड़ती जा रही है।

संचार की सुविधाओं से लोगों का जुड़ना देश की तरक्की के लिए बहुत ही अच्छा है क्योंकि जिस देश के लोग जितने ज्यादा जानकार होंगे वह देश उतनी ही ज्यादा तरक्की करेगा। लेकिन घर में शौचालय का होना एक बुनियादी जरूरत है तो ऐसा क्यों है कि हमारे देश में लोग घर में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के बजाय फोन और टीवी जैसी संचार की सुविधाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। संचार माध्यमों की बढती लोकप्रियता इसकी अति जरूरत, कम दाम और आसानी से उपलब्धता है। इसके साथ ही किसी के पास मोबाइल फोन होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है। फिर भी आजादी के इतने साल बाद भी देश की आधी से भी ज्यादा जनता के घर में शौचालय होने के प्रति उदासीनता होना एक बेहद निराशाजनक बात है लेकिन देखा जाए तो इस समस्या का हल भी गणना के आंकडों में ही छुपा हुआ है।

जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि देश में फोन धारकों और टीवी देखने वालों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है तो संचार क्रांति के इसी असर को इस समस्या से लड़ने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस समस्या से निजात पाने में विकासात्मक संचार काफी अहम भूमिका निभा सकता है। अब जब हमें पता लग चुका है कि देश के लगभग सभी लोग किसी न किसी तरीके से संचार माध्यमों से जुड़े हैं तो इन्हीं संचार माध्यमों द्वारा लोगों को खुले में शौच से होने वाले नुकसान और घर में शौचालय होने की अहमियत बताई जा सकती है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग घर में शौचालय बनवाने की अहमियत समझें और अपने घर में शौचालय बनवाएं। रोटी और कपड़े के साथ-साथ मकान हर व्यक्ति की बुनियादी जरूरत है और मकान तभी मकान कहलाता है जब उसमें मूलभूत सुविधाएं हों और शौचालय होना भी एक मूलभूत सुविधा ही है।

Path Alias

/articles/taoyalaeta-jarauurai-yaa-taelaiphaona

Post By: Hindi
×