टोंस का मैकल की पहाड़ियों तमसा कुण्ड से उद्गम हुआ है। इस नदी को टमस या तमसा भी कहते हैं। छत्रसाल के जमाने की बुन्देलखण्ड की पूर्वी सीमा टोंस नदी बनाती थी। इतना ही नहीं उनके शासित बुन्देलखण्ड की चारों दिशाओं की सीमायें प्राकृतिक रूप से चार नदियाँ ही निर्मित करती थीं। विन्ध्याचल का पूर्वी भाग कैमूर पर्वत श्रेणी है जो मिर्जापुर तक विस्तारित है। यह पर्वत श्रृंखला सोन और टोंस नदियों को एक दूसरे से अलग करती है।
पुरवा जल प्रपात टमस नदी द्वारा निर्मित है। इसकी गहराई 60 मीटर है। यह प्रपात सीढ़ीनुमा स्थानों से होकर सतत प्रवाहित होता है। इसका क्षेत्रफल भी अन्य प्रपातों की भाँति ही है। विन्ध्य के अन्य प्रपातों की तुलानात्मक दृष्टि से इसकी गहराई कम है। पुरवा प्रपात का निर्माण करती हुई कीहर नदी आगे चलकर टमस नदी में मिलकर एकाकार होकर अपना अस्तित्व समाप्त कर देती है। टमस जहाँ गंगा में मिलती है उस स्थान को ‘पनासा’ कहा जाता है।
टोंस व उसकी सहायक नदियाँ विन्ध्य के कगार से उतरती हुई चचाई, क्योटि आदि प्रपात बनाती हैं। विन्ध्य के पठार के मध्यवर्ती भाग में बेवस, सोनार, व्यारमा, केन और टोंस नदियों की 150 से 300 मीटर ऊँची समतल पठारी भूमि है। इस पठार पर कगारों से उतरने वाली नदियाँ कंदरे, प्रपात, गुफाओं का निर्माण करती हैं।
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