ताजमहल बचाने के लिए यमुना को बचाएगी सरकार

ताज की नींव में लगी लकड़ी पानी के बिना सूख रही है


उत्तर प्रदेश में सियासत का पारा सूर्य के उत्तर की तरफ अग्रसर होेने के साथ चढ़ रहा है। ऐसे में ताजमहल और यमुना नदी के हलक को तर करने की कोशिश इतिहास के साथ ही वर्तमान को भी संजोने की तरफ इशारा करती है। देखना यह है कि ताजमहल के हलक को तर करने के सरकारी प्रयास कितनी गंभीरता से किए जाते हैं। क्योंकि बिना निगरानी के सरकारी काम का अंजाम तक पहुंचना खानापूर्ती के अलावा कुछ और बनकर नहीं रह पाता। लखनऊ, 14 अप्रैल। सोलहवीं लोकसभा चुनाव को जद्दोजहद के बीच उत्तर प्रदेश सरकार सालो से सूख रहे ताजमहल के हलक को तर करने की तैयारी में हैं। इसके लिए सिंचाई विभाग ने विस्तृत योजना बनाई है। इसके तहत ताजमहल के आसपास यमुना के पानी को जमा किया जाएगा। यमुना के जल को ताजमहल के पास जमा करने की ठोस वजह है। वास्तुशिल्प की इस बेजोड़ धरोहर की नींव में लकड़ी लगी है जिसे हर वक्त पानी की दरकार होती है। ताज की नींव में लगी लकड़ी को पानी न मिलने से यह सूख रही है जिसका असर विश्व की सर्वाधिक खूबसूरत इस इमारत पर देखा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के लोकनिर्माण और सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव कहते हैं कि ताजमहल लकड़ी की नींव पर बना है। इस लकड़ी को हर वक्त पानी मिलते रहना इमारत के लिए बहद जरूरी है। वह कहते हैं, “पूर्ववर्ती सरकारों की अनदेखी की वजह से यमुना के जलस्तर में लगातार कमी आती गई। इस वजह से ताजमहल की नींव में लगी लकड़ियां सूख रही हैं। इसका सीधा असर इमारत पर हो रहा है। इसे खत्म करने और ताज के हुस्न को बनाए रखने के लिए सिंचाई विभाग यमुना नदी में ढाई सौ क्यूसेक पानी प्रतिदिन डालने की योजना है। इसके तहत सात मार्च से यमुना नदी में 75 क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ा जा रहा है। अगले दो महीनों में इस मात्रा को बढ़ाकर यमुना के जलस्तर को बढ़ाने का काम शुरू किया जाएगा।”

दरअसल ताजमहल की नींव में लगी लकड़ियों का हलक सूखने की वजह से इमारत के गुंबद पर खतरा मंडराने लगा था। वैज्ञानिकों ने शोध के बाद यह संदेह जताया था कि प्रदूषण और बांध बनने की वजह से यमुना के जल में हर साल हो रही तीन से पांच फीट की कमी ताज के गुंबद के लिए खतरा बन सकती है। यदि समय रहते ताजमहल की जड़ों में लगी लकड़ी का हलक तर नहीं हुआ तो गुंबद में दरारें आ सकती हैं। इस शोध के संज्ञान में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने ताजमहल के आसपास बीयर (एक तरह का छोटा बांध) बनाने की योजना को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।

शिवपाल यादव कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद इस काम को पूरी शक्ति के साथ अंजाम दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव के दौरान ही ताजमहल के सामने बीयर बनाने के काम को मंजूरी देने का अनुरोध किया है।

दरअसल ताजमहल और यमुना नदी एक दूसरे के पूरक हैं। प्रदूषण और बांध के जरिए पानी के रुकने से सुखी यमुना को फिर उसका यौवन लौटाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सात मार्च से माठ शाखा से गंगा नदी से 75 क्यूसिक पानी यमुना में छोड़ा जाना शुरू हो चुका है। शिवपाल सिंह इसके कई लाभ गिनाते हैं। वह कहते है, यमुना में प्रतिदिन ढाई सौ क्यूसेक पानी छोड़ने से ताजमहल को ताजगी तो मिलेगी ही, आगरा, मथुरा और वृंदावन सहित यमुना नदी के किनारे बसे तमाम शहरों और कस्बों तक इसका लाभ पहुंचेगा। इसके अलावा इन इलाकों में होने वाली पेयजल और सिंचाई के पानी की कमी को भी पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में सियासत का पारा सूर्य के उत्तर की तरफ अग्रसर होेने के साथ चढ़ रहा है। ऐसे में ताजमहल और यमुना नदी के हलक को तर करने की कोशिश इतिहास के साथ ही वर्तमान को भी संजोने की तरफ इशारा करती है। देखना यह है कि ताजमहल के हलक को तर करने के सरकारी प्रयास कितनी गंभीरता से किए जाते हैं। क्योंकि बिना निगरानी के सरकारी काम का अंजाम तक पहुंचना खानापूर्ती के अलावा कुछ और बनकर नहीं रह पाता।

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