स्वच्छ पानी स्वस्थ काया रोग  मिट सेहत सुधरे

स्वच्छ पानी स्वस्थ काया रोग  मिट सेहत सुधरे
स्वच्छ पानी स्वस्थ काया रोग  मिट सेहत सुधरे

ऋग्वेद में कथन है "सर्वेषाम भेषजम अप्सु में"

 जिसके अर्थ में कहा गया- सभी प्रकार की औषधियां मैंने जल में रख दी हैं। वस्तुतः पानी हमारे शरीर के विकृत पदार्थों को बाहर निकालता है। यह देह को निर्मल स्वच्छ, स्वस्थ व ताकतवर बनाता है। पानी से शरीर की गर्मी दूर होती है, यह स्नायुतंत्र की तरोताजा बनाता है। समझना होगा पीने का पानी ई-कोलाई रहित हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यु. एच. ओ.) और भारतीय मापदंडों के अनुसार पानी में ई-कोलाई संख्या प्रति सी लीटर में दस से अधिक नहीं होनी चाहिए। समझा जाता है कि आज बीमारियों को ठीक करने के लिए कई तेज (हाईडोज ) दवाईयाँ लेकर लोग शरीर में विष घोल रहे हैं, जबकि पानी एक ऐसी औषधि है जिससे कठिन रोगों को भी सहजता से ठीक किया जा सकता है। मनुष्य जीवन में पानी की उपयोगिता छुपी नहीं। शरीर में सम्पूर्ण भार का दो तिहाई भाग पानी होता है। शरीर में रोज 2600 ग्राम पानी खर्च होता है। गुर्दों से 1500 ग्राम, त्वचा से 650 ग्राम, फेफड़ों में 350 ग्राम और मलद्वार से 150 ग्राम पानी खर्च होता है। इस खर्च हुए पानी की पूर्ति भोजन में घुले पानी से होती है, परन्तु सन्तुलन के लिए प्रतिदिन ढाई किलो पानी पीना जरूरी समझा जाता है। शरीर के तापमान के अनुसार पानी घूंट-घूंट पीना चाहिए। हमें शुद्ध पानी ही पीना चाहिए, इसे तुलसी के पत्ते डालकर भी शुद्ध किया जा सकता है। प्लास्टिक बोतल से पानी पीने से बचना चाहिए, क्योंकि प्लास्टिक के जहरीले रसायन पानी में मिल जाते हैं फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से जोड़ों में दर्द, चलने फिरने में कष्ट, दांत पीले-पीले हो जाते हैं तथा हड्डियों में भी दोष हो जाते हैं। माना जाता है कि गर्म भोजन, खीरा, तरबूज, ककड़ी खाने के बाद, सोकर उठने के तुरन्त बाद चाहे दिन हो या रात, दस्त होने के बाद, दूध, चाय लेने तथा छींक के बाद, धूप में से आने के बाद पानी पीने में जल्दी नहीं करनी चाहिए। 

'मनुष्य जीवन में पानी की उपयोगिता छुपी नहीं। शरीर में सम्पूर्ण भार का दो तिहाई भाग पानी होता है। शरीर में रोज 2600 ग्राम पानी खर्च होता है। गुर्दों से 1500 ग्राम, त्वचा से 650 ग्राम, फेफड़ों में 350 ग्राम और मलद्वार से 130 ग्राम पानी खर्च होता है। इस खर्च हुए पानी की पूर्ति भोजन में घुले पानी से होती है, परन्तु सन्तुलन के लिए प्रतिदिन ढाई किलो पानी पीना जरूरी समझा जाता है। शरीर के तापमान के अनुसार पानी घूंट-घूंट पीना चाहिए।'

वैसे शरीर पानी की आवश्यकता स्वतः दर्शा देता है, समझा जाता है- प्रातः उठते ही पीया गया पानी अमृत से कम नहीं होता। दिन में पीया पानी प्यास की पूर्ति करता है। वहीं माना जाता है कि रात को पानी आवश्यकता के अनुसार ही पीना चाहिए। सोने से तीन घंटे पूर्व भोजन के तुरन्त बाद पानी पीने से शरीर फूलता व मोटा होता है। भोजन के एक घंटे बाद पानी पीने से आमाशय ठीक रहता है, पाचन ठीक होता है। कहा जाता है कि जिन्हें पतले दस्त होते हों उन्हें भोजन करते समय पानी नहीं पीना चाहिए।

 प्यास की अनुभूति तो स्वतः होती है, ऐसी अनुभूति पर पानी पीना जरूरी होता है। उल्लेखनीय है कि जल की पूर्ति शरीर में अन्य चीजों से भी होती रहती है, जैसे चाय, दूध, फल इत्यादि से।   उल्लेखनीय यह भी है जैसा कि डॉक्टर बताते आए हैं कि बी. पी. बढ़ने पर, ज्वर में, लू में, पेशाब की बीमारियों में हृदय की धड़कन बढ़ने पर कब्ज होने पर, पेट में जलन आदि के समय, पानी पीना अधिक उपयुक्त रहता है। यह भी माना जाता है कि भरपूर पानी पीने से कोलोन कैंसर नहीं हुआ करता। बताया जाता है, सांस व दांतों में सड़न व बदबू पानी की कमी से होती है। अस्थमा के रोगियों के लिए पानी वरदान होता है। पानी की विशेषता सेहत के लिए सबसे अच्छा पाचन में सहायक होता है। यह जोड़ों को सहारा देता है, आन्तरिक अंगों की सफाई करता है। व्यर्थ पदार्थों को बाहर करता है। संक्रमणों से शरीर की रक्षा का एकमात्र उपाय-पानी समझा जाता है। पानी की कमी से हाथ आंखों का संतुलन भी प्रभावित हो जाता है। अतः पानी पर्याप्त पीना चाहिए।

साफ पानी की अपनी उपयोगिता होती है। साफ पानी के लिए क्लोरीन, प्रयुक्त की जाती है, परन्तु अधिक समय तक क्लोरीनयुक्त पानी भी उपयुक्त नहीं समझा जाता। बताया जाता है कि अधिक क्लोरीनयुक्त पानी से पित्त पथरी, कैंसर, हृदय रोग बढ़ा करते हैं। पानी उबालकर छानकर पीना उपयुक्त समझा जाता है। इसके विपरीत अब तो प्रचलन सा हो गया है कि पानी ऊपर से सीधे मुंह में पिया जाने लगा है, पर ऐसे पानी पीना दोषयुक्त समझा जाता । माना जाता है कि इससे पेट की बीमारियां पनपने की आशंका होती है। ऊपर से मुंह में पानी डाल कर पीने से, आहार नाल में वायु विकार होता है, इससे बदहजमी, खट्टी डकारे, अपच, जी मिचलाने की शिकायत भी हो जाती है। वस्तुतः होठों से गिलास लगा-घूंट-घूंट पानी पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक समझा जाता है। पानी अधिक भी नहीं पीना चाहिए, अधिक पीने से शरीर में नमक (सोडियम) का संतुलन बिगड़ने की संभावना रहती है वहीं यह भी कहा जाता है, शरीर  के वजन को 0.55 से गुणा करें, इससे जो परिणाम मिले उतना पानी पिएं, अधिक मेहनत पर 0.66 से गुणा करें।

दिनभर में आठ दस गिलास पानी पीना ठीक समझा जाता है। एक साथ की जगह कम-कम पानी पीना स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त तथा व्याधिनाशक होता है। उल्लेखनीय है कि पानी से शरीर स्वस्थ होता है। स्वस्थ शरीर ही किसी बीमारी से लड़ने में सक्षम होता है। पानी सामान्यतया तथा कई बड़े रोगों में औषधि का काम करता है। साफ पानी की बाल्टी में चेहरा बार-बार डुबोने से आंखें खोलने व बन्द करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। पिता बनने वाले युवाओं को गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिये, समझा जाता है कि इससे शक्राणुओं की कमी होती है। ठण्डे पानी से नहाने पर शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। कहीं भी रक्त बहे, रूई या कपड़ा ठंडे पानीयुक्त लगावे, पानी डालते रहे, इससे रक्त बहना रूक जाता है। अपच में पानी दवा का काम करता है। भोजन पचने के बाद पानी पीने से शरीर को ताकत मिलती है। कहते हैं दस्त, पेट में कीड़े, आंत रोग पर उबला पानी तथा लू ताप, दुर्बलता, तेज बुखार पर ठण्डा पानी पींना व स्नान करना लाभदायक होता है। संक्रामक घाव, फोड़े पर गर्म पानी से धोएं, सेक करें। मुंह व दांत में दर्द पर नमक गर्म पानी में डाल गरारे करने पर दर्द मिट जाता है। 

दांत निकलवाने के बाद बहने वाले रक्त पर ठंडे पानी से गरारे करने से रक्त बंद हो जाता है दो चार चम्मच जामुन सिरका एक गिलास पानी,भूखे पेट पीने से कहा जाता है कि कमर का मोटापा दूर हो जाता है। गर्म उबला छना पानी दोष रहित, अच्छा समझा जाता है। कहा जाता है कि रात को सोते समय व प्रातः भूखे पेट गुनगुना पानी पीने से पाचन में होने वाली गड़बड़ियां ठीक हो जाती हैं। मोटापा घटाना, गैस, कब्ज, पसली का दर्द, जुकाम बादी रोग, गले के रोग, संग्रहणी, श्वास, खांसी, हिचकी, चिकने पदार्थ खाने के बाद गिलासभर गर्म पानी, जितना गर्म पी सके, लगातार पीने से ठीक हो जाते हैं तथा सिर दर्द, बदहजमी, कब्ज से मुक्ति मिलती है। गर्म पानी से महिलाओं का प्रसव पश्चात् बढ़ा हुआ पेट ठीक होकर सुगठित हो जाता है, ऐसा माना जाता है। मोटे लोगों के लिए, गठिया, जोड़ों के दर्द वालों के लिए गर्म पानी का सेवन अच्छा माना जाता है। बताया जाता है हार्ट अटैक से भी पानी बचाव करता है माना जाता है कि भरपूर पानी पीने से हृदयघात का खतरा 54 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

वहीं समझा जाता है कि शरीर में 72 प्रतिशत भाग पानी होता है, ये खून को पतला रखता है। पानी भरपूर पीने से खून के थक्के नहीं जमते, वहीं बिच्छू के काटने पर तत्काल पानी स्नान से विष अधिक नहीं फैलता पथरी होने पर अधिक पानी पीना ठीक समझा जाता है। बताया जाता है कि पेशाब बंद होने पर रीड़ की हड्डी पर गर्म पानी की सेक करने पर रूका पेशाब आने लगता है। पानी से पेशाब की जलन दूर होती है। सर्दी, जुकाम, अनिद्रा आदि में गर्म पानी से स्नान करना ठीक समझा जाता है। मुंह साफ कर ठण्डा पानी पीने से ताजगी महसूस होती है। प्राकृतिक स्नान अच्छा माना जाता है। खुश्की गर्म पानी से ठीक हो जाती है। वहीं कान में कीड़ा हो तो गर्म पानी में थोड़ा नमक डालने से कीड़ा मर जाता है। पेट दर्द पर गर्म पानी की बोतल से सेक पर आराम आता है। माना जाता है कि नशे का दुष्प्रभाव भी ज्यादा पानी पीने से कम हो जाता है। तांबे के बर्तन में रात में रखा पानी प्रातः गंगाजल के समान माना जाता है। कहते हैं कि इससे संक्रमण नहीं हुआ करता। यह अनेकानेक रोगनाशक समझा जाता है। 

गर्मी में ताजा ठण्डा, सर्दी के दिनों में गुनगुना पानी प्रातः पीने से कई बीमारियों में लाभ होता हैं। जैसा कि कहा जाता है कि डायबिटीज, वृद्धत्व त्वचा पर झुरियां, सिरदर्द, बी.पी., एनीमिया (रक्त की कमी), जोड़ों का दर्द, लकवा-मोटापन, हृदयरोग, बेहोशी, कफ, खांसी, दमा, टी.बी., यकृतरोग, पेशाब की बीमारियां, स्त्रियों के लिए अनियमित मासिक धर्म, गर्भाशय कैंसर, एसीडिटी, कमर व पेट रोग, वात पित्त, कफ, कील-मुहांसे, बुखार, गैस रोग, आदि में मौसम व बीमारियों के मिजाज के अनुसार ठण्डा, गर्म पानी पीने से लाभ मिलता है। माना जाता है कि अधिक पानी पीने से वजन घटता है। वहीं बीमार हो या स्वस्थ सभी के लिए प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर  पानी पीना लाभदायक समझा जाता है। वेदों में उषापान को अमृतपान बताया गया है।

वहीं ठण्डा पानी बहते हुए रक्त को रोकता है। कहा जाता है कि मुंह में पानी भरकर पांच बार कुल्ला, गाल थपथपा के करने से चेहरे पर झुरियां नहीं आती। चेहरा सुंदर बना रहता है। वहीं पीने का पानी भी सुन्दरता बढ़ाने में मददगार होता है यह भी कहा जाता है कि जितना पानी पी सकें पिएं, इससे पाचनशक्ति ठीक रहती है। कब्ज, एसिडिटी नहीं होती, यह दोनों बीमारियां कब्ज व एसिडिटी रहने से चेहरे की सुन्दरता घटती है। पानी पर्याप्त पीते रहने से आंखों में चमक ठीक रहती है। मसूड़े ठीक रहते हैं, रक्त प्रक्रिया ठीक रहने से चेहरा स्वतः कोमल व सुन्दर रहता है। पानी शरीर का तापमान संतुलित रखने के साथ-साथ अवशिष्ट दूर करता है। चेहरा बार-बार धोना, मुख सुन्दर रखने की चिकित्सा समझी जाती है।  "वस्तुतः जल औषधि है, स्वच्छ पानी स्वस्थ काया- रोग मिटे, सेहत सुधरे। 

जल औषधि से जानी अनजानी कई बीमारियां मिटती हैं। स्वच्छ पानी की उपयोगिता सभी जानते हैं स्वस्थ निरोग काया, स्वच्छ, साफ पानी से ही रह सकती है। शरीर से निरोग, स्वस्थ रहने, से आयु बढ़ती है पंच तत्वों में स्वच्छ, पानी प्रमुख तत्व है जहां पंच तत्वों से शरीर बनता है। इन्हीं तत्वों में जल से कुदरत ने चिकित्सा की व्यवस्था भी की है। कहा है कि स्वच्छ पानी स्वच्छ हवा लाख दुखों की दवा है ।

उल्लेखनीय है कि गंदा, अशुद्धि संक्रमणयुक्त पानी, दूषित पानी से टाइफाइड, पेट में कीड़े, पीलिया, भूख में कमी, अपच, हैजा, पेचिस, दस्त आदि बीमारियां हो जाया करती हैं वहीं दूषित पानी गर्भवती महिला और गर्भ में शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है। आज इस जमाने में अमृत कहां है? वस्तुतः पानी ही अमृत है, जिसे हम पीते हैं। पानी, साफ-सुथरा व स्वच्छ ही पीना चाहिये। प्राचीनकाल से मान्यता है, पानी बिना छाने नहीं पीना चाहिए। बिना छाने पानी पीना स्वास्थ्य के विरूद्ध है। हमारे जीवन में पानी का सबसे अधिक उपयोग है जीवन दानी प्राणों का प्राण हैं, पानीः स्वस्थ काया, स्वच्छ पानी से ही संभव है। औषधियों की औषधि, जलौषधि है, स्वास्थ्य के लिए इसका उपयोग के बारे में, चिकित्सकों, वैद्यों व जानकारों से पूछ लेना और भी अधिक उपयोगी हो सकता है।

संपर्क करें:

रामगोपाल राही,जिला बून्दी (राज.) मो.नं. 8239604477

स्रोत - जल चेतना | खण्ड 7 अंक 1 जनवरी 2018

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Post By: Shivendra
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