स्मार्ट जल प्रबंधन

स्मार्ट जल प्रबंघन की जरूरत है
स्मार्ट जल प्रबंघन की जरूरत है

स्टेटिस्टा (2021) के अनुसार, 2050 तक वैश्विक जनसंख्या का दो-तिहाई भाग स्वच्छ जल के संसाधनों की सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में रह सकता है। इस रिपोर्ट में आगे तर्क दिया गया है कि औद्योगिक देशों में भी जल की कमी महसूस की जाएगी क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम सम्बन्धी आपदाएं अधिक हो रही हैं और जल की बढ़ती औद्योगिक मांग से स्वच्छ जल की पहुँच पर भारी दबाव पड़ने की आशंका है। इसलिए, जल सुरक्षा हासिल करने के लिए जल उपयोगिता कम्पनियों के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन को अनुकूलित करते हुए जल की स्वच्छ और स्थिर आपूर्ति के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए नवीन तकनीकी की आवश्यकता है। स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली जल सुरक्षा प्राप्त करने वाली सबसे उपयुक्त तकनीकों में से एक है।

स्मार्ट जल प्रबंधन (SWM) जल प्रणालियों की दक्षता, पर्याप्तता, विश्वसनीयता और स्थिरता में सुधार के लिए सेंसर, ऑकड़ा विश्लेषण एवं स्वचालन जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग को संदर्भित करता है। स्मार्ट जल प्रबंधन के लिए, जल संसाधनों के उपयोग और गुणवत्ता की निगरानी, नियंत्रण और विनियमन के साथ-साथ सम्बंधित उपकरणों (पाइप, पंप, आदि) को बनाए रखने के लिए तंत्र के एकीकरण और जटिल उपायों की आवश्यकता होती है।

यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें सेंसर, स्मार्ट जल निगरानी, सूचना प्रणाली, आँकड़ा प्रकमण और दृश्यीकरण (Visualization) यंत्र, वेब और मोबाइल नियंत्रक शामिल हैं जो लोगों को जल प्रणालियों से जोड़ते हैं।

हमें स्मार्ट जल प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?

हमारी पृथ्वी 70 प्रतिशत जल से आच्छादित है। यदि आपको आश्चर्य लगता है कि हमें इतने प्रचुर संसाधन के बारे में चिंता क्यों करनी चाहिए, तो पुनर्विचार करें। जल की कमी की समस्या विकराल होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की कई रिपोटों के अनुसार, 2025 तक इसका सीधा प्रभाव विश्व की लगभग 20 प्रतिशत जनसंख्या पर पड़ेगा। वैश्विक स्तर पर चार में से एक बच्चा वर्ष 2040 तक अत्यधिक उच्च जल तनाव वाले स्थानों में रहेगा। केवल विकासशील देश ही इससे प्रभावित नहीं हैं। स्वच्छ जल, जिसका उपयोग हम नहाने, सब्जियों उगाने, खाना पकाने और पीने के लिए करते हैं, अत्यधिक दुर्लभ है। पृथ्वी पर केवल 3 प्रतिशत ही स्वच्छ जल उपलब्ध है, और उसका दो-तिहाई भाग या तो हिमनदों में जमा हुआ है अन्यथा अनुपयोगी है। कई गैर-सरकारी संगठनों का अनुमान है कि 1.1 अरब लोगों की स्वच्छ जल तक पहुंच नहीं है और 2.7 अरब लोग साल के कम से कम एक महीने पेय जल की कमी का अनुभव करते हैं।

इसके प्रमुख कारणों में जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, बुनियादी ढाँचा, वितरण नेटवर्क, प्रदूषण, सशस्त्र संघर्ष, अत्यधिक दबाव वाली जल प्रणालियों और जल संसाधनों का कुप्रबंधन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, जब जल की कमी होती है, तो सीवेज प्रणालियों भी दोषपूर्ण हो सकती हैं। परिणामतः टाइफाइड, बुखार, हैजा और अन्य जल-जनित बीमारियों होने का खतरा बढ़ जाता है। दुनिया के पारिस्थितिकी तंत्र संकट में हैं। इसके अतिरिक्त, जल मूल्य में वृद्धि भी एक प्रमुख कारण है जो अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करती है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) में इस चिंताजनक समस्या को कम करने की क्षमता है। सेंसर, आंकड़े और कृत्रिम वृद्धिमत्ता (AI) प्रौद्योगिकियों पर आधारित स्मार्ट जल निगरानी और प्रबंधन प्रणाली, जल उपयोगिता ऑपरेटरों, किसानों और व्यावसायियों को उनके जल वितरण नेटवर्क और प्रदान की गई जल गुणवत्ता को मापने, निगरानी और विनियमित करने की क्षमता प्रदान कर सकती हैं। कम खपत, कम अपशिष्ट और बेहतर जल गुणवत्ता प्रबंधन से जल संरक्षण में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

स्मार्ट जल प्रबंधन के उद्देश्य

स्मार्ट जल प्रबंधन का प्राथमिक उद्देश्य जल संसाधनों का उचित और सतत उपयोग और पुनर्चक्रण है। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ते पर्यावरणीय तथ्य और खाद्य एवं कृषि क्षेत्र पर दबाव जल को और भी अधिक मूल्यवान संपत्ति बनाते हैं। इस सम्बंध में, जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों और गतिविधियाँ निम्नलिखित उद्देश्यों का अनुसरण करती हैं:-

  • 1. कृषि, विनिर्माण, विद्युत उत्पादन के लिए उच्च मात्रा में उपयोग किए जाने वाले जल की बर्बादी को कम करना। इसका तात्पर्य सटीक खेती, स्मार्ट सिंचाई, उपयुक्त फसल जल प्रबंधन, वास्तविक समय जल मीटरिंग/मानीटरिंग और कृषि में इंटरनेट ऑफ थिंग्स के अन्य अनुप्रयोगों जैसी उच्च तकनीकी विधियों के प्रारंभ से है।
  • 2. कृषि सॉफ्टवेयर विकास सेवाओं के बारे में जानना।
  • 3. जल की गुणवत्ता में सुधार करना और रासायनिक अपशिष्ट और अम्लीकरण जैसे प्राकृतिक प्रदूषण से संदूषण को रोकना। जल की गुणवत्ता को सुधारने और बनाए रखने के लिए, कंपनियां वास्तविक समय की निगरानी और नियंत्रण के लिए सेंसर और आईओटी तकनीक का उपयोग करती हैं।
  • 4. जल संग्रहकर्ताओं, उपचार संयंत्रों, वितरण मुख्य लाइन और अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण केंद्रों जैसी जल प्रणालियों की दक्षता में वृद्धि।
  • 5. जल रिसाव और आर्द्रता सेंसर से सुसज्जित स्मार्ट जल प्रबंधन उपकरणों का उपयोग करके जल रिसाव नियंत्रण लागू करना। यह देखते हुए कि रिसाव से होने वाली क्षति के उपचार पर लगभग तीन विलियन डॉलर वर्ष खर्च किए जाते हैं, जल संसाधनों और बजट को सुरक्षित रखने के लिए जल रिसाव नियंत्रण आवश्यक है।
  • 6. आईओटी-आधारित जल प्रबंधन प्रणालियों के माध्यम से जल उपयोग पर निगरानी रखना। यह विभिन्न स्तरों-घरों, समुदायों, देशों और पूरे ग्रह-पर जल संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने और नियंत्रण में रखने में सहायता करता है।
  • 7. घरेलू जल उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना। कई घरों में अपशिष्ट जल होता है, लेकिन उन्हें ऐसी तकनीकों की कोई जानकारी नहीं है जिससे इस जल की बर्बादी को कम किया जा सके। कुछ उपयोगिता कंपनियों ने अब स्मार्ट मीटर स्थापित किए हैं जो उन्हें उपयोग की निगरानी और जल उपयोग का तुरन्त और बाद में मापन एवं बिलिंग करने में मदद करते हैं।

इसके अतिरिक्त जल उपयोग से सम्बन्धित जानकारी अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए आसानी से उपलब्ध कराना, जो एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन है। व्यक्तिगत उपभोक्ता अपने जल के बिल को कम करके और दैनिक जल आपूर्ति को संरक्षित करके पैसे बचा सकते हैं।

आधुनिक स्मार्ट जल प्रौद्योगिकियाँ आज, स्मार्ट जल प्रौद्योगिकी स्वच्छ जल संग्रहण से लेकर अपशिष्ट जल संग्रहण और पुनर्चक्रण तक पूरी जल आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और बेहतर नियंत्रण ला रही है। इस श्रेणी में जल प्रबंधन के लिए आईओटी उपकरण, सिस्टम और सॉफ्टवेयर उपकरण शामिल हैं जो जल के उत्पादन, वितरण और उपयोग को अनुकूलित करने और स्मार्ट जल उपचार तकनीकों को सक्षम बनाने में सहायता करते हैं।


 

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Post By: Kesar Singh
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