स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण - 2017 (Swachhathon-1.0)

स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छ भारत अभियान

भारत का अभी तक का सबसे बड़ा स्वच्छता कार्यक्रम स्वच्छ भारत अभियान माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को आरम्भ किया गया।

अभियान


2 अक्टूबर, 2019 तक स्वच्छ भारत का सपना पूरा करना।

प्रमुख उपलब्धियाँ


स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एसबीएम-जी आरम्भ होने के बाद सेशौचालय बने - 4.56 करोड़

ओडीएफ घोषित


एसबीएम (जी) आरम्भ होने के बाद से 220578 ग्राम तथा 98632 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है।

सर्वेक्षण के उद्देश्य


भारत में 4626 गाँवों के 1.4 लाख परिवारों का विस्तृत सर्वेक्षण ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण - 2017’ किया गया, जिसमें ग्रामीण स्वच्छता की व्यापकता को निम्नलिखित मानकों पर कसा गया था-

1. शौचालयों की उपलब्धता
2. शौचालयों का प्रयोग
3. कचरे और ठहरे हुए अपशिष्ट जल की उपस्थिति
4. सर्वेक्षण और आँकड़े
5. शामिल किये गए राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेश - 32
6. शामिल किये गए जिले - 696
7. पद्धतिः प्राथमिक नमूना इकाई - गाँव
8. आकार के अनुपात में सम्भावना (पीपीएस) की नमूना पद्धति का प्रयोग करते हुए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में 4626 गाँवों का आवंटन
9. गाँवों के चयन के लिये प्रतिस्थापन के बगैर सामान्य औचक या रैंडम नमूने की पद्धति अपनाई गई।
10. गाँवों के भीतर जिन परिवारों का सर्वेक्षण होना था, उन्हें रैंडम नमूनों या सैम्पलिंग के जरिए चुना गया।
11. आकलन का समय - मई तथा जून, 2017 (8 सप्ताह)।
12. 300 आकलनकर्ताओं का दल काम पर लगाया गया।
13. 40 सदस्यीय नियंत्रण-कक्ष
14. मोबाइल-आधारित एप्लिकेशन का प्रयोग कर वास्तविक समय में जानकारी एकत्र की गई; सभी परिवारों तथा शौचालयों की जियो-टैगिंग की गई तथा नमूनों का वितरण सुनिश्चित करने के लिये उपग्रह के चित्रों का प्रयोग किया गया।

 

अध्ययन में प्रत्यक्ष अवलोकन के निष्कर्ष


1. 4289 आँगनबाड़ी केन्द्रों का दौरा किया गया और पाया गया कि 65 प्रतिशत आँगनबाड़ियों में शौचालय की सुविधा है और 86 प्रतिशत आँगनबाड़ियाँ कचरे से मुक्त हैं।


2. 1670 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का दौरा किया गया और पाया गया कि 76 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शौचालय की सुविधा है और 83 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कचरे से मुक्त हैं।


गुणवत्ता निगरानी एवं मूल्यांकन - 3 स्तरों पर गुणवत्ता जाँच


1. आकलनकर्ताओं का प्रशिक्षण - विभिन्न स्थानों पर कक्षा तथा क्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम


2. वॉर रूम - क्षेत्र में समन्वय पर नजर रखने तथा गुणवत्ता जाँचने के लिये चौबीसों घंटे का वॉररूम


3. त्वरित प्रतिक्रिया दल - गुणवत्ता एवं तलमेल की जाँच के लिये औचक निरीक्षण हेतु समर्पित त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन किया गया।

 

 

गंगा किनारे के सभी गाँव ओडीएफ घोषित


गंगा के किनारे पर बसे 52 जिलों के सभी 4480 गाँव ओडीएफ घोषित किये गए हैं। यह जिले पाँच राज्यों- उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में हैं। 12 अगस्त, 2017 को इलाहाबाद के नैनी में हुए गंगा गाँव सम्मेलन नमामि गंगे परियोजना के तहत इन्हें ओडीएफ घोषित किया गया। यह घोषणा ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री श्री नरेन्द्र तोमर ने की। बाद में जल संसाधन और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती और श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गंगा ग्राम मॉडल लांच किया। इसके लिये 24 नमामि गंगे गाँवों की पहचान की गई है। इन्हें ‘आदर्श गंगा ग्राम’ बनाया जाएगा। गंगा ग्राम योजना, जल संसाधन और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है। इन गाँवों के ग्राम प्रधानों ने आदर्श गंगा ग्राम का लक्ष्य हासिल करने की शपथ भी ग्रहण की। शपथ जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने दिलाई।


स्वच्छता रथ


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुश्री उमा भारती और श्री तोमर ने हरी झंडी दिखाकर 30 स्वच्छता रथों को भी रवाना किया। रथ वास्तव में मोबाइल वैन थी, जिनमें स्वच्छता की फिल्में दिखाने के लिये एलईडी पैनल लगे थे और गाँवों में समुदायों को साथ लाने के लिये एक नुक्कड़ नाटक टीम भी थी। रथ पूरे प्रदेश में घूमें और जन-जागरूकता फैलाने का काम किया। साथ ही समुदाय के सदस्यों का व्यवहार परिवर्तन करने में भी मदद की।

 

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