सूखे पर सर्वोच्च न्यायालय सख्त, माँगा राहत योजना का ब्यौरा

सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र व सूखाग्रस्त राज्य सरकारों से कहा है कि वे उसे जल्द-से-जल्द उन उपायों के बारे में बताएँ जो सूखा राहत के लिये अपनाए जा रहे हैं।

.जलवायु परिवर्तन के कारण मौसमी अनियमितता का असर देश पर लगातार देखने को मिलने लगा है। एक ओर जहाँ देश के अलग-अलग इलाकों में किसानों की आत्महत्या की घटनाएँ लगातार देखने को मिल रही हैं वहीं फिलहाल सूखे की मार ने उनको दोहरा कर रखा है। इस बीच केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों को सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि वे सूखा राहत को लेकर किये जा रहे उपायों के बारे में उसे तत्काल सूचित करें।

सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश के नौ राज्यों के 207 जिलों को सूखा पीड़ित घोषित कर रखा है। दरअसल वर्ष 2015 के खरीफ सत्र में कम बारिश ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश और झारखण्ड में खेती के लिये विकट स्थितियाँ पैदा कर दी हैं।

देश के 302 जिलों में वर्षा का स्तर सामान्य से 20 प्रतिशत तक कम रहा है लेकिन इनमें से हर जगह सूखे जैसे हालात नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि रबी सत्र में देश में 442 लाख हेक्टेयर रकबे में बुआई हुई जबकि पिछले साल यह रकबा 446 लाख हेक्टेयर था। दलहन की बुआई की बात करें तो पिछले साल के 115 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस साल 114 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन की बुआई की गई। सरकार ने दाल के बढ़ते दामों को देखते हुए दलहन की खेती करने वाले किसानों को विशेष मदद मुहैया कराई थी।

इस बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों की मदद के लिये विभिन्न उपाय अपनाए जाने की बात कही है। इसके तहत सभी किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड जारी करने और आगामी अप्रैल तक 300 कृषि बाजारों को जोड़ने की बात शामिल है।

सूखे की स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार तथा सम्बन्धित राज्य सरकारों से कहा है कि वे सूखे की स्थिति को लेकर अपनी-अपनी रिपोर्ट उसके सामने पेश करें। उन्हें देश की सबसे बड़ी अदालत को यह बताना होगा कि अब तक किसानों की मदद के लिये कौन-कौन से उपाय अपनाए गए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हालिया नोटिस में कहा है पिछले चार महीने से भी कम समय में इन सभी राज्यों में 1500 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अकेले महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में गत तीन महीनों में 400 किसानों ने आत्महत्या की है। उल्लेखनीय है कि गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों ने बारिश की भारी कमी के बावजूद अपने यहाँ सूखा घोषित नहीं किया है।

ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने योगेंद्र यादव के नेतृत्व वाले स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों को कहा है कि वे इस सम्बन्ध में सारी जानकारी उसे मुहैया कराएँ।

केन्द्र सरकार ने बीते दिनों अनुपूरक बजट के रूप में 9688 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। इस राशि का बड़ा हिस्सा विभिन्न राज्यों को सूखे से राहत देने में किया जाएगा।
 

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Post By: RuralWater
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