शुरू कैसे करें?

जाहिर है छोटा किसान, जो खेती पर ही पूरी तरह से निर्भर है, एकदम से पूरी तरह कुदरती खेती नहीं अपना सकता। वह रोजी-रोटी का खतरा मोल नहीं ले सकता परन्तु यदि हमें यह विश्वास है कि अगर पैदावार घटी भी तो 2-3 साल में वापिस बढ़ेगी और मौजूदा रास्ते पर चलना खतरनाक है, तो इस शुरुआती जोखिम को हम आगे के लिये निवेश समझ सकते हैं। इसलिए हम अपनी जमीन के उतने हिस्से- आधा एकड़ या एक-दो एकड़-से शुरू कर सकते हैं जितने की, थोड़े समय के लिये, आमदनी घटने का खतरा हम उठा सकते हैं। अपने खेत के इतने हिस्से में तो पूरी तरह से रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दें। परन्तु यह ध्यान रहे कि केवल यूरिया इत्यादि का प्रयोग बन्द करने से काम नहीं चलेगा। उस से तो उपज घटेगी ही। हमें इसके साथ-साथ कुदरती खेती के दूसरे सारे उपाय भी इस टुकड़े में करने होंगे। इस के साथ-साथ बाकी खेत में भी इन सारे उपायों में से जितने अपनाये जा सकें, वे हमें अपनाने चाहियें।

कई लोग यह सोच कर शुरुआत नहीं कर पाते कि अगर हम कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर देंगे परन्तु पड़ौसी कीटनाशकों का प्रयोग करते रहेंगे, तो हमारे खेत में कीटों का प्रकोप बढ़ जायेगा। यह डर गलत है। पड़ौसियों की बात छोड़िये, अगर कोई किसान अपने खेत के एक हिस्से में कीटनाशकों का प्रयोग बंद करता है और बाकी हिस्से में वह रसायनों का प्रयोग करता रहे, तो भी उसे नुकसान नहीं होगा। खेत के जिस हिस्से में कुदरती खेती अपनाई है, एक ओर उस हिस्से में मित्र कीट बढ़ जायेंगे और दूसरी ओर मिट्टी और पौधे की बढ़ी हुई ताकत के कारण कुदरती तरीके से उगाई उस की फसल पर कीटों का हमला कम होगा। इस लिए इस डर से कि पड़ौसी के खेत से कीटों का हमला होगा, शुरुआत करने से न डरें।

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