प्रो. राजेन्द्र चौधरी

प्रो. राजेन्द्र चौधरी
कुदरती खेतीः कुछ तरीके
Posted on 08 Apr, 2011 11:45 AM
1. इस तरह की खेती में दो चीजें जरूरी हैं। एक तो, कम से कम एक पशु का गोबर और पेशाब। देसी गाय को ज्यादा फायदेमन्द बताया गया है। इसलिये शुरू में कम से कम एक देसी गाय जरूर पालें या पड़ौसी या गउशाला से गोबर और पेशाब नियमित तौर पर लेने का प्रबन्ध करें। दूसरी जरूरत है किसी भी तरह की वनस्पति, पत्ते, पराल इत्यादि यानी बायोमास की पर्याप्त मात्रा। अगर यह आपके पास है तो ठीक, नहीं तो शुरू में मोल ले सकते हैं
शुरू कैसे करें?
Posted on 08 Apr, 2011 11:39 AM
जाहिर है छोटा किसान, जो खेती पर ही पूरी तरह से निर्भर है, एकदम से पूरी तरह कुदरती खेती नहीं अपना सकता। वह रोजी-रोटी का खतरा मोल नहीं ले सकता परन्तु यदि हमें यह विश्वास है कि अगर पैदावार घटी भी तो 2-3 साल में वापिस बढ़ेगी और मौजूदा रास्ते पर चलना खतरनाक है, तो इस शुरुआती जोखिम को हम आगे के लिये निवेश समझ सकते हैं। इसलिए हम अपनी जमीन के उतने हिस्से- आधा एकड़ या एक-दो एकड़-से शुरू कर सकते हैं जितने क
कुदरती खेती कैसे? मूल सिद्धान्त
Posted on 08 Apr, 2011 11:23 AM
कुदरती खेती के कुछ मूल सिद्धान्त हैं। मिट्टी में जीवाणुओं की मात्रा, भूमि की उत्पादकता का सब से महत्वपूर्ण अंग है। ये जीवाणु मिट्टी, हवा और कृषि-अवशेषों/बायोमास में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पोषक तत्त्वों को पौधों के प्रयोग लायक बनाते हैं। इस लिये मुख्यधारा के कृषि-वैज्ञानिक भी मिट्टी में जीवाणुओं की घटती संख्या से चिन्तित है। कीटनाशक फसल के लिये हानिकारक कीटों के साथ-साथ मित्र जीवों को भी मारते हैं
कुदरती खेती के अनुभव
Posted on 07 Apr, 2011 09:34 AM
आम तौर पर यह माना जाता है कि रासायनिक खाद का प्रयोग न करने पर उत्पादन घटता है, विशेष तौर पर शुरु के सालों में। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। अगर पूरी तैयारी के साथ कुदरती खेती अपनाई जाए (यानी कि पर्याप्त बायोमास- हर प्रकार का कृषि-अवशेष या कोई भी वनस्पति-पराली, पत्ते, इत्यादि-हों, और पूरे ज्ञान के साथ, समय पर सारी प्रक्रिया पूरी की जायें तथा अनुभवी मार्गदर्शक हो) तो पहले साल भी घाटा नहीं होता
कुदरती खेती क्यों?
Posted on 06 Apr, 2011 04:36 PM
इस तरह की खेती अपनाने के पीछे निम्नलिखित मुख्य कारण हैं।
1. रसायन एवं कीटनाशक आधारित खेती टिकाऊ नहीं है। पहले जितनी ही पैदावार लेने के लिए इस खेती में लगातार पहले से ज्यादा रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ रहा है।

2. इस से किसान का खर्चा और कर्ज बढ़ रहा है और बावजूद इसके आमदनी का कोई भरोसा नहीं है।
कुदरती खेतीः बिना कर्ज, बिना जहर
Posted on 06 Apr, 2011 09:50 AM
कर्ज और जहर बगैर खेती के कई रूप और नाम हैं- जैविक, प्राकृतिक, जीरो-बजट, सजीव, वैकल्पिक खेती इत्यादि। इन सब में कुछ फर्क तो है परन्तु इन सब में कुछ महत्वपूर्ण तत्त्व एक जैसे हैं। इसलिये इस पुस्तिका में हम इन सब को कुदरती या वैकल्पिक खेती कहेंगे। कुदरती खेती में रासायनिक खादों, कीटनाशकों और बाहर से खरीदे हुए पदार्थों का प्रयोग या तो बिल्कुल ही नहीं किया जाता या बहुत ही कम किया जाता है। परन
कर्ज और जहर के बगैर खेती
Posted on 14 Apr, 2010 09:39 AM

आज खेती के लिये किसान को हर चीज खरीदनी पड़ती है। इसलिये वह कर्ज में दबा रहता है। इसके साथ-साथ उसे हर बार पहले से ज्यादा (रासायनिक) खाद और दवाइयों का प्रयोग करना पड़ता है। परन्तु उपज की मात्रा और कीमत का कोई भरोसा नहीं रहता। दूसरी ओर उपज की गुणवत्ता भी घट रही है। बीमारियाँ बढ़ रही हैं। पानी, मिट्टी और यहाँ तक कि माँ के दूध में भी जहर के अंश पाये गये हैं। आम तौर पर औरतें तो शराब और सिगरेट नहीं पीतीं पर उनमें भी कैंसर बढ़ रहा है। इसका एक कारण (लेकिन एकमात्र नहीं) खेती में प्रयोग होने वाले जहर है। क्या इस का कोई विकल्प हो सकता है? क्या कर्ज और जहर के बगैर खेती हो सकती है?

भोजन हम सब की जरूरत है। इस के साथ-साथ अगर खेती स्वावलंबी हो जाती है, किसान को बाहर से कुछ खरीदने की जरूरत नहीं रहती, छोटी जोत वाला किसान भी आजीविका कमा-खा सकता है, पूरे साल खेत में काम रहता है, तो हमारे खाने के लिए स्वस्थ भोजन उपलब्ध होने के साथ-साथ, गाँवों और पूरे समाज की दशा और दिशा ही बदल जायेगी। पर्यावरण संकट में भी कुछ कमी होगी।

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