![सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पर लगाए गए 120 करोड़ के जुर्मानें पर लगाई रोक,Pc-ht](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/2023-03/supreme%20court%20.jpeg?itok=ZiATVPuO)
सुप्रीम कोर्ट ने गोरखपुर जिले की नदियों में अनट्रीटेड सीवेज छोड़ने और अनुचित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश पर 120 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर रोक लगा दी है भारत के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी की खंड पीठ ने एनजीटी के 13 सितंबर 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यूपी राज्य को मुआवजे के रूप में 120 करोड़ रुपए जमा करने के एनजीटी के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है।
पीट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि हमारा आदेश एनजीटी द्वारा दिए अन्य सभी निर्देशों का पालन करने और ट्रिब्यूनल को अनुपालन रिपोर्ट देने के निर्देश का पालन करने के राज्य सरकार के दायित्व के आड़े नहीं आएगा। 2014 में मीरा शुक्ला व अन्य ने एनजीटी में एक आवेदन दायर किया गया था जिसमें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले और उसके आसपास रामगढ़ झील अमी राप्ती और नदियों में अनट्रीटेड सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट निर्वाहन के कारण जल निकायों और भूजल के प्रदूषण के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी।
आवेदन में कहा गया था कि दूषित पानी से एंटरोवायरस ईवी फाइल हो सकता है जो जापानी इंसेफलाइटिस समान दिमागी बुखार का कारण बन सकता है जो गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सैकड़ों बच्चों के मरने का इतिहास रहा है।
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