सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, मातृ सदन में नहीं रखा जाएगा सानंद का पार्थिव शरीर

गंगा के लिये पंचतत्व में विलीन सानंद (फोटो साभार : डॉ. अनिल गौतम)
गंगा के लिये पंचतत्व में विलीन सानंद (फोटो साभार : डॉ. अनिल गौतम)

गंगा के लिये पंचतत्व में विलीन सानंद (फोटो साभार : डॉ. अनिल गौतम)शुक्रवार को हरिद्वार निवासी डॉक्टर विजय वर्मा द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने आठ घंटे के भीतर स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के पार्थिव शरीर को मातृ सदन को सौंपने का निर्देश दिया था। परन्तु इस आदेश के खिलाफ दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर अब मातृ सदन में नहीं रखा जायेगा।

डॉक्टर विजय वर्मा, जो प्रख्यात प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल सह स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के अनुयायी हैं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अदालत से यह अनुरोध किया था कि पार्थिव शरीर को मातृ सदन में अन्तिम दर्शन के लिये रखने की अनुमति दी जाए। याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की पीठ ने यह आदेश जारी किया था।

न्यायालय के आदेश के मुताबिक मातृ सदन में स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर 76 घंटे के लिये रखा जाना था।

गौरतलब है कि गंगा की अविरलता और निर्मलता को बरकरार रखने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा गंगा एक्ट को संसद द्वारा पारित कराये जाने सहित अन्य माँगों को लेकर स्वामी सानंद का देहावसान 112 दिनों के अनशन के बाद ऋषिकेश स्थित एम्स में 11 अक्टूबर को हृदय गति रुक जाने से हो गया था। वे 87 वर्ष के थे।

स्वामी सानंद ने अनशन के दौरान ही सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कर अपना शरीर एम्स ऋषिकेश को दान कर दिया था। इसी के फलस्वरूप एम्स प्रशासन ने उनका पार्थिव शरीर मातृ सदन को अन्तिम दर्शन के लिये सौंपने से मना कर दिया था।

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