जब मैं केन्द्रीय भूजल बोर्ड का अध्यक्ष रहा उस समय CGWB ने यमुना के इन जलजनित क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन किया था और उसके अनुसार इन मैदानों का रक्षण करना बेहद जरूरी है और 2 सितम्बर 2000 को एक अधिसूचना जारी करके यह स्पष्ट किया गया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित यमुना का बाढ़जनित इलाका एक विशिष्ट अधिसूचित क्षेत्र है, तथा इस इलाके में किसी भी प्रकार के निर्माण, संरचना निर्माण अथवा अन्य प्रकार की ड्रिलिंग आदि प्रतिबन्धित रहेगी। इसी प्रकार इस क्षेत्र में भूजल का दोहन सिर्फ़ पीने के पानी और घरेलू उपयोग हेतु संरक्षित रहेगा। - डी के चड्ढा (पूर्व अध्यक्ष - केन्द्रीय भूजल बोर्ड )
इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने काम को जारी रखने का फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की पीठ ने इस मामले में आपत्तियों को खारिज कर दिया।
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने पर्यावरण खतरों की बुनियाद पर राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दिल्ली में यमुना किनारे निर्माण कार्यों पर कई तरह की रोक लगा दी थी।
अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार ने 21 सितंबर 1999 को आवश्यक अधिसूचनाएं जारी कीं और विभिन्न संगठनों की आपत्तियों के मद्देनजर पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया। निर्माण गतिविधियों को चुनौती देने वाली याचिका वर्ष 2007 में दायर की गई थी।
गौरतलब है कि अक्षरधाम मंदिर के पीछे बन रहे खेल गांव में 1,000 से अधिक फ्लैट का निर्माण हो रहा है। इनकी कीमत 1.5 करोड़ रुपए से ऊपर है। मामले के अदालत में लंबित होने और फ्लैट के भविष्य को लेकर चल रही आशंका के कारण खरीदार बुकिंग के लिए आगे नहीं आ रहे थे। खेलगांव का निर्माण कर रही एमार एमजीएफ को आर्थिक संकट से उबारने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कंपनी को 700 करोड़ रुपए मंजूर किए थे।
फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डीडीए की प्रवक्ता ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमने अदालत के सामने जो पक्ष रखा था उसे अदालत ने स्वीकार किया। इस फैसले के बाद परियोजना को लेकर चल रही अटकलों पर पूर्ण विराम लग जाएगा।' इस फैसले के बाद खेल गांव के फ्लैट की बुकिंग पर क्या असर होगा, इस बारे में प्रवक्ता ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। निर्माण कंपनी एमार एमजीएफ से इस बारे में संपर्क किया गया तो कंपनी की प्रवक्ता ने कहा, 'इस संबंध में कंपनी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं कर रही है।'
राष्ट्रमंडल खेलों के लिए यमुना नदी के किनारे निर्माण के लिए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने हरी झंडी दिखा दी।
इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने काम को जारी रखने का फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की पीठ ने इस मामले में आपत्तियों को खारिज कर दिया।
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने पर्यावरण खतरों की बुनियाद पर राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दिल्ली में यमुना किनारे निर्माण कार्यों पर कई तरह की रोक लगा दी थी।
अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार ने 21 सितंबर 1999 को आवश्यक अधिसूचनाएं जारी कीं और विभिन्न संगठनों की आपत्तियों के मद्देनजर पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया। निर्माण गतिविधियों को चुनौती देने वाली याचिका वर्ष 2007 में दायर की गई थी।
गौरतलब है कि अक्षरधाम मंदिर के पीछे बन रहे खेल गांव में 1,000 से अधिक फ्लैट का निर्माण हो रहा है। इनकी कीमत 1.5 करोड़ रुपए से ऊपर है। मामले के अदालत में लंबित होने और फ्लैट के भविष्य को लेकर चल रही आशंका के कारण खरीदार बुकिंग के लिए आगे नहीं आ रहे थे। खेलगांव का निर्माण कर रही एमार एमजीएफ को आर्थिक संकट से उबारने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कंपनी को 700 करोड़ रुपए मंजूर किए थे।
फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डीडीए की प्रवक्ता ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमने अदालत के सामने जो पक्ष रखा था उसे अदालत ने स्वीकार किया। इस फैसले के बाद परियोजना को लेकर चल रही अटकलों पर पूर्ण विराम लग जाएगा।' इस फैसले के बाद खेल गांव के फ्लैट की बुकिंग पर क्या असर होगा, इस बारे में प्रवक्ता ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। निर्माण कंपनी एमार एमजीएफ से इस बारे में संपर्क किया गया तो कंपनी की प्रवक्ता ने कहा, 'इस संबंध में कंपनी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं कर रही है।'
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