शुद्ध पानी के नाम पर जल संस्थान का बड़ा छलावा

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देहरादून, 4 मई 2019

INEXT टीम का रियलिटी-चेक

 पानी की किल्लत वाले इलाकों के लोग टैंकरों से मंगवाया गया दूषित पानी पी रहे हैं। इन टैंकरों की साफ-सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। ये खुले में दूषित पानी की सप्लाई कर रहे हैं। शुक्रवार को को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने सर्वे चौक पर जाकर टैंकरों का रिएल्टी चेक किया। ये देख वहां से टैंकर वाले खिसकने लगे। यही नहीं जिन टैंकरों को जल संस्थान की ओर से यूजलेस बताया गया। बाद में उनमें पानी भर वहां से खिसकाया गया।
 
वाटर सप्लाई के टैंकरों की पड़ताल

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम शुक्रवार को टैंकरों की साफ-सफाई को लेकर हड़ताल करने निकली सर्वे चौक पर तीन टैंक बाहर से नया पेंट किए हुए दिखे। इस पर जब पूछा गया था तो टैंकर वालों का कहना था कि साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए हर साल ऐसा करना होता है। रिपोर्टर ने बाहर से नया पेंट किए हुए दिखे टैंकरों के अंदर झांककर देखा तो नजारा चौंकाना वाला था। अंदर गंदगी का अंबार था। टैंकरों की दीवारें जंग खा चुकी थी तो ईंट-पत्थर भी अंदर भरे थे।

टीम की ओर से टैंकरों के अंदर झांका गया। अंदर की तस्वीर ली गई। टैंकर के अंदर जंग लगा हुआ था, गंदगी थी। आश्चर्य की बात है कि घर बनाना हो या लोगों को पीना हो। इन एक ही तरह के टैंकरों को इसके लिए यूज किया जाता है। टीम की ओर से मौके पर फोटो लिए जाने पर टैंकर वाले और जल संस्थान कर्मी वहां से इधर-उधर होने लगे। 

यूजलेस टैंकर भी काम पर

गंदे टैंकरों की पड़ताल करने पर कर्मचारी इनको यूजलेस बताने लगे। टैंकर वालों ने उनकी हां में हां मिलाई, लेकिन कुछ देर बाद पानी भरकर वहां से खिसकने लगे। यही नहीं कुछ दूरी पर खड़े टैंकरों को भी यूजलेस बताया गया लेकिन जब उनके अंदर देखा गया तो पानी भरा हुआ था। ऐसे में कर्मचारियों का झूठ समझ में आ रहा था। 

नलकूप से टैंकर तक जिस पाइप से पानी भरा जाता है, उसकी भी सफाई सालों से नहीं हुई है। इस पाइप पर गंदगी की परत जमी हुई है। इस मोटी परत को  देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सालाें से इसकी सफाई नहीं हुई है। पाइप के मुहाने से ये गंदगी कई बार पानी के साथ टैंकरों में भी चली जाती है। जो कि सीधे लोगों के घर तक पहुंचती है।

ओवरहेड टैंक की भी स्थिति खराब

सर्वे चौक के ओवरहेड टैंक की स्थिति भी खराब है। वह भी बाहर से देखने में बेहद गंदा और जीर्ण-शीर्ण लगता है। बरसों से उसमें भी रंग-रोगन नहीं किया गया है। जबकि विभाग के नियमों के अनुसार हर दूसरे या तीसरे साल में ओवरहेड टैंक की सफाई करवाई जाती है।  ट्यूबवेल से टैंकर में पानी पहुंचाने वाली पाइप की भी सफाई नहीं की जाती है। पाइप की गंदगी भी पानी के टैंकर से होकर घर तक पहुंच जाती है। 

स्पैक्स संस्था के सचिव बृज मोहन शर्मा कहते हैं, टैंकर से टीडीएस बढ़ेगा। इसके बढ़ने से अल्सर हो सकता है, स्किन डिसीज हो सकती है। पानी में कॉलीफॉर्म भी है तो आंखों को नुकसान हो सकता है, डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जल संस्थान के टैंकर इंचार्ज पीएस द्विवेदी कहते हैं, टैंकर संचालकों को हर वर्ष टैंकर की साफ-सफाई के साथ पेंट के लिए कहा जाता है। लेकिन प्राइवेट टैंकर संचालक हमारी बात नहीं मानते हैं। ऐसे में इन पर नियम थोपे नहीं जा सकते हैं।

 

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