सारांश
नर्मदा नदी पर निर्माणाधीन सरदार सरोवर बांध भारत के बड़े बांधों में से एक है। इस बांध का निर्माण, नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण वर्ष 1979 के उस निर्णय के उपरान्त शुरू हुआ जिसके द्वारा नर्मदा जल का बटवारा किया गया है। वर्ष 1980 में परियोजना की रूपांकन सम्बन्धी घटकों को अंतिम रूप दिया गया। अब उसके बाद की अवधि के निस्सारण / गाद (सिल्ट ) के आंकड़े भी उपलब्ध हैं। कुछ आलोचकों ने आशंका व्यक्त की है कि जलाशय में गाद के जमाव के लिए समुचित स्थान नहीं रखा गया है। इस आलेख में केन्द्रीय जल आयोग के गरूड़ेश्वर निस्सारण स्थल, (परियोजना स्थल से 7 कि०मी० नीचे) के प्रेक्षित आंकड़ों के आधार पर, जलाशय में गाद के भंडारण हेतु पर्याप्त स्थान व जलाशय की आयु से सम्बन्धित विश्लेषण किया गया है।
प्रस्तावना
नदी के प्रवाह में अवरोध से तथा जलाशय में जल के भराव से नदी के गाद प्रवाह में व्यवधान पड़ता है। बांध निर्माण द्वारा अवरूद्ध हुए प्रवाह से नदी में बह रही गाद जलाशय में जमा होने लगती है। गाद जमा होने से बांध की भण्डारण क्षमता घट जाती है, जिसके कारण बांध की आयु कम हो जाती है। सरदार सरोवर बांध में जमा होने वाली गाद की मात्रा पर कुछ लोगों के द्वारा आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि आकलन से अधिक मात्रा में सिल्ट जमा होगी तथा जलाशय की आयु तथा उससे मिलने वाले लाभ की मात्रा घट सकती है।
जलाशय में गाद (सिल्ट )का संग्रहण
गाद की उत्पत्ति, नदी द्वारा गाद का परिवहन तथा जलाशय में संग्रहण की प्रक्रिया काफी जटिल है। यह समस्या तब और जटिल हो जाती है जब किसी नदी पर क्रम में बहुत से जलाशयों का निर्माण हो रहा हो, जैसा कि नर्मदा कछार में प्रस्तावित है। मिट्टी के स्खलित होने की दर कई घटकों पर निर्भर करती है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण घटक हैं:- 1. मिट्टी की बनावट, 2 स्तरण 3. पारगम्यता 4. नमी की मात्रा 5. बनावट, 6 यांत्रिक संघठन, 7. वनस्पती के आवरण का प्रकार और विस्तार, 8 भूमि का ढाल 9 वर्षा की तीव्रता एवं 10 वायु वेग इत्यादि। नदी में बहने वाली गाद की मात्रा, जल ग्रहण क्षेत्र, मिट्टी के स्खलन की कुल दर तथा स्खलित पदार्थ को नदी प्रणाली द्वारा जलाशय में परिवहन की क्षमता पर निर्भर करती है। स्खलन की कुल दर मौसम, मिट्टी की प्रकृति भूमि के प्रकार तथा भूमि के उपयोग पर निर्भर करती है, जबकि नदी द्वारा स्खलित पदार्थ की परिवहन क्षमता नदी की जल भौतिकीय स्थितियों पर निर्भर करती है, जैसे कि (अ) तल तथा किनारों की मिट्टी व बनावट ब) तल का ढाल (स) जल प्रवाह का वेग इत्यादि ।
जलाशय में गाद का फैलाव घाटी का ढाल, जलाशय की लम्बाई निलम्बित अवसाद के कण का आकार, अन्तर्वहन एवं जलाशय की क्षमता का अनुपात, जलाशय का प्रचालन, इत्यादि पर निर्भर करता है। तलछट का अधिकतर भाग :-
1. विशेषज्ञ ( जल विज्ञान ) नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण, भोपाल ।
2 अधीक्षण अभियन्ता, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण, भोपाल
जलाशय के मुहाने पर डेल्टा के रूप में बैठ जाता है। लेकिन सूक्ष्म कण एक लम्बी अवधि तक निलम्बित स्थिति में रहते हैं और अन्त में जलाशय के अगले भाग में बांध के समीप बैठ जाते हैं अति सूक्ष्म कण लम्बे समय तक निलम्बित स्थिति में रह सकते हैं और कुछ बांध के निर्गम द्वारों से पात जल (पेन स्टॉक), नहरों तथा उत्प्लव मार्ग के माध्यम से जल के साथ बाहर निकल जाते हैं। जलाशय में कितना 'गाद भार' संचित होगा, इसका आकलन निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जाता है:-
(अ) निस्सारण स्थल पर गाद का परिमाण करना ।
(ब) अनुभविक समीकरण तथा
(स) उसी आकार प्रकार के जलाशय के सर्वेक्षण परिणाम ।
उपरोक्त विधियों में से निस्सारण स्थलों पर गाद का परिमाण करना सर्वाधिक विश्वसनीय विधि है।
नर्मदा जल ग्रहण क्षेत्र में जल संसाधनों का विकास
न्यायाधिकरण द्वारा सरदार सरोवर बांध तक उपयोग में आ सकने वाले जल का आकलन और इसके भागीदार राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा राजस्थान में बटवारे का फैसला किया गया। न्यायाधिकरण के अंतिम आदेश के अनुसार राज्यों में उपलब्टध जल का बटवारा निम्नलिखित मात्रा में किया गया है:
राज्य |
जल की मात्रा (दस लाख घनमीटर) |
जल की मात्रा (दस लाख एकड़ फुट) |
मध्य-प्रदेश | 22511.01 | 18.25 |
गुजरात | 11101.32 | 9.00 |
महाराष्ट्र | 308.37 | 0.25 |
राजस्थान | 616.74 | 0.50 |
योग | 34537.44 | 28.00 |
नर्मदा घाटी की वृहद परियोजनाएँ
उपरोक्त आधार पर सरदार सरोवर बांध के ऊपरी कछार में (चित्र - 1 ) जल संसाधनों के सुनियोजित विकास हेतु 21 बड़ी परियोजनाएं, जिनमें इंदिरा सागर परियोजना भी है, 158 मझौले बांध तथा 3000 से भी अधिक छोटे बांध बनाना प्रस्तावित है। बड़े बांधो की श्रृंखला में से सरदार सरोवर, इंदिरा सागर और महेश्वर बांधो के निर्माण का काम मुख्य नदी पर शुरू हो गया है। पाँच बड़े बांध निर्मित हो चुके है। इनमें से बरगी, मुख्य नदी पर तथा मटियारी, तवा, बारना और सुक्ता सहायक नदियों पर हैं। बहुत सी मझौली एवं छोटी परियोजनाएं, जो कि नर्मदा की सहायक नदियों तथा उप कछारों में स्थित हैं, का काम भी पूरा हो चुका है। निर्मित हो चुकी परियोजनाओं के द्वारा उपलब्ध जल की केवल 10 प्रतिशत मात्रा का ही उपयोग हो पा रहा है।
सरदार सरोवर बांध की मुख्य विशेषताएँ
गुजरात में नवागाम नामक स्थान पर बन रहा सरदार सरोवर बांध अन्तर्राज्यीय, बहुउद्देशीय तथा नर्मदा नदी के अंतिम छोर पर बनने वाला मुख्य बांधहै। यह देश के बड़े बांधो में से एक है। बांध का जल ग्रहण क्षेत्र 88,000 वर्ग कि०मी० का है तथा इसके द्वारा गुजरात में 17.92 लाख हेक्टेयर तथा राजस्थान में 0.79 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई करने एवं साथ ही गुजरात के 135 नगरों और 8815 गाँवों तथा राजस्थान के 129 गॉवों में पेयजल उपलब्ध करने का प्रावधान किया गया है। पूर्ण होने पर इस परियोजना से 1450 विद्युत का उत्पादन किया जायेगा । इस बांध की अन्य मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है :-
(अ) जल स्तर
- अधिकतम जल स्तर - 140.21 मीटर (480 फुट)
- पूर्ण जलाशय स्तर - 38.68 मीटर (455 फुट )
- न्यूनतम निकास स्तर - 110.64 मीटर (363 फुट )
- जलाशय के तल का स्तर - 1 0.67 मीटर से 23 मीटर (35 फुट से 75.5 फुट) के मध्य
(ब) भण्डारण
- कुल भण्डारण - 9,500.0 मिलियन घन मी. (7.7) मि. ए. फुट)
- उपयोगी भण्डारण - 5,861.2 मिलियन घन मी. ( 4.73 मि. ए. फुट)
- अनुपलब्ध भण्डारण - 3,638.8 मिलियन घन मी. (2.97 मि. ए. फुट)
(स) इसमें निम्नलिखित तीन प्रकार के निकास है:-
- नहर शीर्ष विद्युत गृह व सिंचाई के लिए पेन स्टॉक (50 मेगावॉट के 5 यूनिट) - स्तर 97.30 मी.
- नदी तल विद्युत गृह के लिए पेन स्टॉक ( 200 मेगावॉट के 6 यूनिट) - स्तर 93.695 मी.
- नदी के स्लूस - स्तर 53.0 मी.
सरदार सरोवर बांध की गाद भण्डारण क्षमता व आयु
बांध के रूपांकन हेतु गरूड़ेश्वर एवं मोरटक्का गेज स्थलों पर वर्ष 1980 से पूर्व के वास्तविक प्रेक्षित आंकड़ों बांध का उपयोग किया गया है। केन्द्रीय जल आयोग का गरूड़ेश्वर स्थल निर्माणाधीन सरदार सरोवर बांध से 7 मि.मी. नीचे स्थित है। बांध के डिजाइन हेतु गाद जमाव की दर 5.34 हे0मी0 / 100 वर्ग कि0मी0 / वर्ष ली गई है।
नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण द्वारा सरदार सरोवर बांध में गाद भंडारण का प्रावधान
जलाशय में उसके जीवन काल के दौरान संचित होने वाली गाद की मात्रा, इसके ऊपरी कछार में बने जलाशयों के आकार प्रकार, निर्माण के दौरान उनकी क्रमबद्धता एवं निर्माण काल, जल की निकास के लिए किए गए प्रबन्ध एवं जलाशय संचालन पर निर्भर करती है। न्यायाधिकरण ने विचार प्रकट किया है कि इतने परिवर्तनशील घटकों एवं अपर्याप्त प्रेक्षित आंकड़ों के कारण, जैसा कि वर्तमान प्रकरण में है, गाद भंडारण के लिए किया गया प्रावधान एक तकनीकी अनुमान है। न्यायाधिकरण ने मत प्रकट किया है कि यह मानना यथोचित होगा कि सरदार सरोवर बांध की यह उपयोगिता के 100 वर्षो के दौरान इसमें लगभग 1233.5 मिलियन क्यूबिक मीटर (1.0 मि. ए०फु.) गाद संचित होगी।
जलाशय की उपयोगी क्षमता में गाद की मात्रा के संचित होने का आकलन, मैसर्स बोरलैण्ड तथा मिलर द्वारा जलाशय में गाद के वितरण के पूर्वानुमान के लिए सुझाई गई एरिया इंक्रीमेंट विधि पर आधारित है। इस विधि का प्रयोग करते हुए, पूर्ण जलाशय स्तर 138.68 मी. ( 455 फुट ) तथा न्यूनतम निकास स्तर 110.64 मी0 (363 फुट) के आधार पर जलाशय के उपयोगी क्षमता में जितना गाद संचित होगा, उसकी मात्रा यह 370 मिलियन घन मीटर (0.3 मि. ए. फुट) आंकी गयी।
सरदार सरोवर बांध की आयु
गुजरात के नर्मदा योजना समूह ने सरदार सरोवर बांध में गाद के संचय का विस्तार से विश्लेषण किया ताकि बांध के लिए युक्तियुक्त उपयोगी आयु निर्धारित की जा सके। बांध निर्माण की वर्तमान स्थिति के अनुसार यह आशा की जाती है कि सरदार सरोवर बांध जिसमें कुछ ऊँचाई तक पानी भर लिया गया है इंदिरा सागर परियोजना से पहले निर्मित हो जायेगी । तालिका-1 में सरदार सरोवर बांध की उपयोगी आयु दर्शाई गयी है, जिसका आकलन तीन विभिन्न विधियों से तथा सरदार सरोवर बांध और इंदिरा सागर बांध के अलग-अलग निर्माण समय के आधार पर किया गया है ।तालिका एक से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इस जलाशय की आयु 180 से 237 वर्ष तक हो सकती है, यह सरदार सरोवर बांध एवं इंदिरा सागर परियोजना के पूर्ण होने के काल पर निर्भर करता है।
गाद भराव के कारण उपयोगी क्षमता की क्षति
तालिका- दो में भराव के 50, 100, 150 एवं 200 वर्षों के पश्चात् सरदार सरोवर बांध में उपलब्ध उपयोगी जल क्षमता एवं इसके समतुल्य गाद का स्तर दर्शाया गया है। साथ ही उपयोगी जल क्षमता में क्षति एवं उसकी प्रतिशत क्षति को भी दर्शाया गया है जोकि तालिका-एक के प्रकरण एक तथा प्रकरण चार के लिए है।
गरुडेश्वर में प्रेक्षित गाद
गरुडेश्वर स्थल पर व्यवस्थित रूप से गाद प्रेक्षण, केन्द्रीय जल आयोग द्वारा दिनांक 21.01.73 में प्रारम्भ किया गया था। उनके आंकड़ों के अनुसार 1973-74 से 1989-90 की अवधि का वार्षिक कुल गाद 'चित्र दो' में दर्शाया गया है। यदि इंदिरा सागर बांध नहीं बन पाया तो इस भार का एक बड़ा भाग सरदार सरोवर बांध में संचित हो जाएगा। इस अवधि में प्रेक्षित औसतन वार्षिक गाद भार, तलछट भार के साथ जो कि वार्षिक निलंबित गाद भार का 15 प्रतिशत लिया गया है, लगभग 4. 44 हे0मी0 / 100 वर्ग कि०मी०/ वर्ष है, जो कि तुलनात्मक तौर पर सरदार सरोवर बांध के रूपांकन में रखी गयी व्यवस्थाओं के हिसाब से सुरक्षित स्थिति में है। गरूड़ेश्वर में 1973-74 से 1989-90 की अवधि में औसतन कुल वर्षा तथा अपवाह की मात्रा (रन ऑफ) को भी चित्र -2 में दर्शाया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि गाद भार की मात्रा का अनुमान वर्षा तथा भूमि पर बहने वाले जल की मात्रा ( रन ऑफ) से लगाया जा सकता है।
गाद जमाव के पहलू
केंद्रीय जल आयोग द्वारा निलंबित गाद को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है।
क्रमांक | गाद का प्रकार | आकार |
1. | स्थूल गाद | 0.2 मि0मी0 से अधिक |
2. | मध्यम गाद | 0.2 से 0.075 मि0मी0 के मध्य |
3. | सूक्ष्म गाद | 0.075 मि0मी0 से कम |
जैसा कि पिछले पैराग्राफ में वर्णित किया गया है कि सरदार सरोवर बांध की अनुपयोगी क्षमता तथा उपयोगी क्षमता में स्थूल, मध्यम तथा कुछ प्रतिशत सूक्ष्म गाद जमा होगी। निलम्बित गाद का एक बड़ा भाग जो पानी में निलम्बन की स्थिति में रहेगा, 'स्पिलवे के ऊपर से होकर नीचे नदी में बह जाएगा और कुछ मात्रा नहरों में जल के साथ निकल जाएगी। जहाँ जलाशय में जमा होने वाली गाद जलाशय की आयु को घटाती है, वहीं नहरों से गुजरते हुए यह नहर तल पर जमा हो जाती है, जिससे नहरों की जल वहन क्षमता घट जाती है। जलाशय से पाइप के द्वारा विद्युत गृह के टरबाइनों तक पहुँचने वाले सूक्ष्म कण टरबाइन की पंखुड़ियों को नुकसान पहुँचाते हैं।सरदार सरोवर बांध में इस स्थिति पर काबू पाने के लिए नदी तल विद्युत गृह पावर हाऊस व नहर विद्युत गृह के लिए पानी ले जाने वाले द्वारों पर उचित साइज के ट्रे स- रेक लगाए गये हैं। सूक्ष्म अवसाद से टरबाइन के ब्लेडों के बचाव के लिए उनके रूपांकन में आवश्यक ध्यान दिया गया है।
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तालिका -2
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जलाशय में गाद की आवक को कम करने के उपाय
जलाशय में गाद की आवक कम करने के लिए परियोजना अधिकारियों द्वारा बचाव के कई उपाय योजनाबद्ध एवं व्यवस्थित रूप से किए जा रहे हैं, जिनका वर्णन नीचे किया गया है:-
- 1,76,000 हेक्टेयर भू-क्षेत्र भूमि का उपचार करना ताकि यहाँ से भू-स्खलन कम किया जा सके। यह क्षेत्र सीधा जलाशय में निकास करता है। इन क्षेत्रों का उपचार जलाशय के भराव से पहले पूर्ण करना प्रस्तावित है।
- सरदार सरोवर बांध तक समूचे जलग्रहण क्षेत्र को 1000 उप जल ग्रहण क्षेत्रों में बाँट कर उनका विस्तृत सर्वेक्षण कराया गया है और प्रत्येक उप-जलग्रहण क्षेत्र के लिए 'गाद उत्पाद सूचकांक की गणना की गयी है। इस आंकड़े के आधार पर जिन उप जल ग्रहण क्षेत्रों में भू-स्खलन की मात्रा ज्यादा है, वहाँ भू-स्खलन पर काबू पाने के लिए बचाव के उपाय करने को प्रमुखता दी गयी है। इन उप जलग्रहण क्षेत्रों में भू-स्खलन पर काबू पाने के लिए किए गए बचाव के उपाय में चेक बांधो का निर्माण, कंटूर नहरें, गल्ली प्लगिंग, टेरेसिंग, वनीकरण तथा नष्ट हो रहे वनों का पुनः लगाना प्रमुख हैं।
- यह भी प्रस्तावित है कि डूब में आने वाले प्रत्येक 1 हेक्टेयर वन के बदले में 1 हेक्टेयर का नया वन विकसित किया जाएगा तथा 2 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त वनों का जीर्णोद्धार किया जायेगा, इस प्रकार भविष्य में कुल वन क्षेत्र वर्तमान से दो गुना अधिक की वृद्धि होगी, जिससे गाद की जलाशय में आवक कम हो जाएगी।
- इसके अलावा लगभग 1000 हेक्टेयर भूमि जो अन्य कार्यों तथा परियोजना की गतिविधियों के उपयोग में आती है, को भी भू-उपचार के अन्तर्गत ले लिया गया है।
- इंदिरा सागर परियोजना के 60,000 हेक्टेयर से भी अधिक जलग्रहण क्षेत्र पर भू-उपचार प्रस्तावित है, जिससे कि सरदार सरोवर बांध में गाद की आवक दर में कमी होगी।
महत्वपूर्ण बांधो की गाद दर
केन्द्रीय जल आयोग ने 46 बड़े तथा मध्यम भारतीय जलाशयों के गाद आंकड़े एकत्रित किए हैं। इन आंकड़ों से सरदार सरोवर बाँध के लिए की गयी व्यवस्थाओं से तुलना करने पर मालूम पड़ता है कि बांध के रूपांकन हेतु मानी गई गाद दर 5.34 हे0मी0 / 100 वर्ग कि0मी0 / वर्ष युक्तियुक्त लगती है।
जलाशय में गाद की दर पर जलाशय भराव के बाद की विभिन्न अवधियों में अध्ययन किया गया है। 9 जलाशयों में गाद की दर तालिका-3 में दर्शाई गयी है, जिसके अध्ययन से यह स्पष्ट है कि इन जलाशयों में गाद दर, बाद के वर्षों के बजाए पहले के वर्षों में अधिक थी।
तालिका-3 भारत के कुछ जलाशयों में दो विभिन्न वर्षों के गाद जमाव दर
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सोर्स- श्री श्याम सुंदर व अन्य के आलेख से उद्दृत
निष्कर्ष एवं अनुमोदन
उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि कुछ आलोचकों का यह डर कि गाद जमाव की अधिक दर के कारण सरदार सरोवर बांध अपनी रूपांकित उपयोगी आयु पूर्ण नहीं कर पाएगा, गलत है यह डर वास्तविक आंकड़ों पर आधारित नहीं है। विभिन्न जलाशयों की गाद दर के अध्ययन से यह भी मालूम पड़ता है कि जलाशय में जल भराव के प्रारम्भिक वर्षों में गाद जमाव दर अधिक रहती है और फिर वह धीरे-धीरे कम होती जाती है अतः सरदार सरोवर बांध के लिए गणना की गयी गाद जमाव दर भी सम्भवतः स्थिर न रहे। इस दर में भी समय के साथ कमी हो सकती है, खासकर तब जब इसके ऊपर के जल ग्रहण क्षेत्र में बचाव के काफी उपाय किए जा रहे है।
आभार अभिव्यक्ति
इस आलेख को तैयार करने के लिए हम श्री एस. ए. चार कार्यकारी सदस्य श्री एम. एस. मेनन, सदस्य (सिविल), श्री आर. एस. वरदराजन मुख्य अभियन्ता, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को उनके बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। हम उन सभी संगठनों/विभागों का भी धन्यवाद करते हैं, जिनके प्रकाशनों का इस आलेख में सन्दर्भ लिया गया है। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल के अधिकारियों ने इसके लिए विभिन्न सूचनाएं एवं आंकड़े एकत्रित किए हैं। अतः हम इन सभी का धन्यवाद करते हैं।
सन्दर्भ
- मेनन एम.एस., वरदराजन आर. एस. भण्डारी एन.के., 1995 का जून 1995 में सी डब्ल्यू. आर. डी. एम. द्वारा त्रिवेन्द्रम में जल संसाधनों के विकास का प्रबंधन के पर्यावरणीय मुद्दों पर आयोजित की गयी राष्ट्रीय सेमिनार में पढ़ा गया आलेख सरदार सरोवर जलाशय में अवसादन
- भण्डारी एन.के., वरदराजन आर. एस. चार एस. ए.. : मई 1994 में केन्द्रीय सिंचाई एवं विद्युत बोर्ड की कार्यशाला में पढ़ा गया आलेख 'सॉयल इरोजन इन नर्मदा बेसिन'
- कॉम्पेडियम आन सिल्टिंग ऑफ रिजरवायरस इन इण्डिया' केन्द्रीय जल आयोग के जलाशय अवसादन निदेशालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित 1991.
- राज पी.ए. (1995), फेक्ट्स ऑफ सरदार सरोवर प्रोजेक्ट सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड, गांधी नगर.
- मुतरेजा के. एन. (1986), बुक ऑन अप्लाइड हाइड्रोलॉजी, टाटा मेग्ग्रा पब्लिशिंग कम्पनी लिमिटेड, नई दिल्ली.
- नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (1992) की प्रकाशन संख्या-2192 सिल्टिंग ऑफ सरदार सरोवर.
- नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण की रिपोर्ट व निर्णय वाल्यूम - 1, 1979.
- श्याम सुन्दर एवं अन्य (1994), सेडिमेंटेशन पर आयोजित कार्यशाला, मई 1994.
सोर्स - जलविज्ञान एवं जल संसाधन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 15-16 दिसम्बर, 1995, रूड़की
/articles/sardar-sarovar-jalashay-mein-gaad-ka-prabandhan