हिंदी प्रस्तुति: अरुण तिवारी
विश्व सांस्कृतिक उत्सव आयोजन के यमुना भूमि पर किए जाने से उपजे विवाद से आप परिचित ही हैं। विवाद को लेकर राष्ट्रीय हरित पंचाट ने दिनांक नौ मार्च, 2016 अपना आदेश जारी कर दिया है। खबर है कि प्रारम्भिक मुआवजा राशि के आदेश से असंतुष्ट श्री श्री रविशंकर जी ने सर्वोच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है। मेरा मानना है कि आदेश ने पर्यावरणीय सावधानियों के अलावा प्रशासनिक कर्तव्य निर्वाह के पहलुओं पर भी दिशा दिखाने की कोशिश की है।
मूल आदेश अंग्रेजी में है। पाठकों की सुविधा के लिए आदेश का हिंदी अनुवाद करने की कोशिश की गई है। यह शब्दवार अनुवाद नहीं है, किंतु ध्यान रखा गया है कि कोई तथ्य छूटने न पाये। समझने की दृष्टि से कुछ अतिरिक्त शब्द कोष्ठक के भीतर जोङे गये हैं। अनुरोध है कि कृपया अवलोकन करें, विश्लेषण करें और अपने विश्लेषण/प्रतिक्रिया से हिंदी वाटर पोर्टल को अवगत करायें।
आदेश दस्तावेज की हिंदी प्रस्तुति
आवेदन
मूल आवेदन संख्या 65 (वर्ष 2016)
और
मूल आवेदन संख्या 76 (वर्ष 2016)
और
मूल आवेदन संख्या 81 (वर्ष 2016)
और मूल आवेदन संख्या 108 (वर्ष 2016)
...........................
मामलेे
मनोज मिश्र बनाम दिल्ली विकास प्राधिकरण एवम् अन्य
और
प्रमोद कुमार त्यागी बनाम आर्ट आॅफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर एवम् अन्य
और
आनंद आर्य बनाम दिल्ली विकास प्राधिकरण एवम् अन्य
और
ओजस्वी पार्टी बनाम वन एवम् पर्यावरण मंत्रालय एवम् अन्य
..............................
पीठ
माननीय न्यायमूर्ति श्री स्वतंत्र कुमार - अध्यक्ष
माननीय न्यायमूर्ति श्री एम. एस. नाम्बियार - न्यायिक सदस्य
माननीय डाॅ. डी. के. अग्रवाल - विशेषज्ञ सदस्य
माननीय श्री बिक्रम सिंह सजवाण - विशेषज्ञ सदस्य
..............................
मूल आवेदन संख्या - 65 (वर्ष 2016)
आवेदक: वरिष्ठ वकील संजय पारिख, वकील ऋित्विक दत्ता, राहुल चैधरी, मीरा गोपाल, आनंद आर्य और स्वामी ओमजी मुकेश जैन।
उत्तरदाता संख्या - 1: राजीव बंसल, कुश शर्मा, सागर महरोत्रा, अर्पिता, जसमीत सिंह (दिल्ली विकास प्राधिकरण), अत्तिन शंकर रस्तोगी, अमित यादव।
उत्तरदाता संख्या - 2: वकील तरुणवीर सिंह खेहर, जोसेफ और बेनशाॅ सोनी (जीएनसीटीडी)
उततरदाता संख्या - 4: वकील सावित्री पाण्डेय, नवीन चावला (सिंचाई विभाग),
बी.वी. नीरेन और ईश्वर सिंह (मानव जल संसाधन मंत्रालय)।
उत्तरदाता संख्या - 6: वकील राहुल प्रताप, अमित बंसल(पर्यावरण एवम् वन मंत्रालय)।
ए डी एन राव, सुदीप्तो सिरकार, अन्नाम वेंकटेश, अंकिता गुप्ता (दिल्ली मेट्रो),
वकील बालेन्दु शेखर, एहसान बहुगुणा, अक्षय एर्बोल और अमित बंसल (पूर्वी दिल्ली नगर निगम)।
मूल आवेदन संख्या 108 वर्ष 2016
आवेदक: स्वामी ओमजी और मुकेश जैन
उत्तरदाता संख्या - 1: अत्तिन शंकर रस्तोगी, अमित यादव, तरुणवीर सिंह खेहर, वकील राजीव बंसल, कुश शर्मा और केशव दत्ता, अर्पिता, नवीन चावला (दिल्ली विकास प्राधिकरण)।
बी. वी. नीरेन (पूर्वी दिल्ली नगर निगम)
बालेन्दुशेखर, अक्षय एर्बोल, एहसान बहुगुणा, अमित बंसल
आइटम नंबर 02 से 04 , दिनांक: 09 मार्च, 2016
आदेश
1. याची ने 11 दिसबंर को दिल्ली के उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखी। किंतु पंचाट के समक्ष आठ फरवरी को आवेदन किया। इस बीच व्यक्ति विकास केन्द्र - भारत (द फाउण्डेशन) खादर व संलग्न क्षेत्र में निर्माण कार्य पूरा कर चुका था। इस तरह याची ने पंचाट को संपर्क करने में देरी की। बहाली तथा क्षतिपूर्ति की निष्पादन क्षमता आदि कारणों और परिस्थितियों के मद्देनजर हम, निर्माण हटाने तथा खादर की मूल स्थिति संबंधी आवश्यक निर्देश देने की याची की प्रार्थना को इस समय स्वीकार करने में असमर्थ हैं।
2. हालांकि सुनवाई के दौरान प्राधिकार संस्थाओं ( बोर्डों/विभागों/मंत्रालयों ) दस्तावेजों को तलब व दर्ज किया गया है, जो कहते हैं कि फाउण्डेशन को उनसे अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी, किंतु यह बताना जरूरी है कि याची ने दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा 30 जून, 2015 को दी अनुमति को चुनौती नहीं दी है। अकेले इस आधार पर याची की प्रार्थना को रद्द नहीं किया जा सकता, किंतु इससे याची को कुछ असुविधा अवश्य हो सकती है।
3. पंचाट, 11 से 13 मार्च, 2016 के बीच प्रस्तावित सांस्कृतिक आयोजन से अति सरोकार नहीं रखता। पंचाट, मुख्य रूप से फाउण्डेशन की गतिविधियों व ऐसे आयोजन के आयोजित होने से होने वाली पर्यावरणीय जटिलताओं तथा नदी व खादर के पारिस्थितिकीय, पर्यावरणीय व जैव विविधता संबंधी नुकसान से ताल्लुक रख रहा है।
4. हम, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से किए गये इस दावे को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि फाउण्डेशन द्वारा इतने बङे आयेाजन हेतु निर्माण, सीवेज, ठोस कचरे संबंधी तौर-तरीके तथा जलापूर्ति स्त्रोत की बाबत् सहमति देना अथवा मना करना दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए बाध्यकारी नहीं है।
किसी भी हालत में बोर्ड से यह अपेक्षित था कि वह अपनी वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आवश्यक निर्देश जारी करता। जल (प्रदूषण रोकथाम एवम् नियंत्रण) कानून 1974 की धारा 25 तथा 33ए के आलोक में हमें यह कहते हुए कोई हिचकिचाहट नहीं है कि सहमति प्राप्त करने हेतु फाउण्डेन द्वारा आवेदन करने के बावजूद, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी वैधानिक बाध्यता पूर्ति में असफल रहा है। बोर्ड ने अपेक्षित कर्तव्य निर्वाह की कोशिश नहीं की, बल्कि इसने तथ्यों और परिस्थितियों पर कोई आदेश न देने का रुख अपनाया। अतः हम, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाते हैं।
5. आयोजन के संबंध में अनुमति लेने के लिए फाउण्डेशन ने कई प्राधिकारी संस्थाओं को आवेदन किया था। इसे अभी तक पुलिस विभाग, अग्नि शमन विभाग, जल संसाधन, नदी विकास एवम् गंगा पुनरोद्धार मंत्रालय से कोई अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। 31 जुलाई, 2014 की अधिसूचना के अनुसार निर्विवाद रूप से उक्त मंत्रालय, यमुना नदी के संरक्षण, विकास, रख-रखाव तथा जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। ये सभी प्रााधिकारी संस्थायें, अपेक्षित कर्तव्य पूर्ति के सार्वजनिक दायित्व निर्वाह में असफल रही हैं।
हम यहां यह भी बताना चाहते हैं कि आवेदक (फाउण्डेशन) द्वारा प्राधिकरी संस्थाओं को दी जानकारियां अधूरी, अस्पष्ट व अनिश्चित थीं। दी गई जानकारियों से आयोजन की विशालता, समतलीकरण गतिविधि, तथा संपर्क मार्ग, पंटून पुल, रैम्प, पार्किंग तथा 40 फीट ऊंचे, 1000 फीट चैङे, 200 फीट लम्बे मंच को लेकर कोई विशिष्ट आंकङा, समर्थन करते दस्तावेज व विस्तृत योजना के बारे में कुछ पता नहीं चलता।
अपेक्षित था कि इस सांस्कृतिक गतिविधि से पहले फाउण्डेशन, सभी प्राधिकारी संस्थाओं के समक्ष परियोजना के पूरे तथ्य प्रस्तुत करता। इस आधार पर फाउण्डेन भी क्षतिपूर्ति भुगतान हेतु जिम्मेदार होगा।
6. दिल्ली पुलिस विभाग के पत्र (01 मार्च, 2016) और लोक निर्माण विभाग के पत्र (08 मार्च, 2016) में सामग्री संबंधी कुछ कमजोरियों/गलतियां बताई गई हैं। हम निर्देश देते हंै कि संबंधित विभागों द्वारा सुरक्षा, निर्माण के स्थायित्व तथा अन्य संबंध में अपेक्षाओं की पूर्ति की जाये। पुलिस विभाग व अग्नि शमन विभाग से अनुमति ली जाये। पुलिस विभाग के पत्र में दर्शाये जरूरतों की पूर्ति की जाये।
जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि हम पर्यावरण, वन एवम् जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के इस दावे को स्वीकार नहीं करते कि फाउण्डेशन द्वारा किए गये सभी प्रकार के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं थी। मंत्रालय का यह रुख, विशेषकर 50 हेक्टेयर से अधिक भूमि के विकास के संबंध में पर्यावरणीय दुष्प्रभाव आकलन के संबंध में जारी अधिसूचना,2006 के विरुद्ध है।
7. विशेषज्ञों के मत और प्रस्तुत किए दस्तावेजों से पर्याप्त स्तर तक प्रमाणित होता है कि नदी के प्राकृतिक प्रवाह तथा नदी भूमि पर प्राकृतिक वनस्पति, घास, सरकण्डा को नष्ट करके, खादर के साथ बुरी तरह छेङछाङ की गई है। मनोज मिश्रा बनाम यूनियन आॅफ इंडिया एवम् अन्य मामले (अपील संख्या 6, वर्ष 2012) में 13 जनवरी, 2015 को दिए गये पंचाट के फैसले में जिन जल संरचनाओं और दलदली क्षेत्रों का अस्तित्व संज्ञान में था, उन्हे नष्ट करके नदी के जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाया गया है।
जल संसाधन मंत्रालय समेत संबंधित अन्य प्राधिकारों से अनुमति लिए हुए बिना इन्होने रैम्प, रास्ते, पंटुन पुल तथा अन्य अस्थाई तथा सेमी-स्थाई निर्माण किए हैं; भूमि को दृढ़ किया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा दी गई अनुमति का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि नदी के मामले में दिल्ली सरकार कोई समक्ष प्राधिकारी संस्था नहीं है। यह अनुमति, सिर्फ बाढ़ की स्थिति के लिए है। यह प्रमाण है कि यह अनुमति सिर्फ कहने के लिए है। वास्तव में दिल्ली सरकार का पंचाट के समक्ष यही रुख था।
नदी के जलीय जीवन, जैव विविधता, पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए फाउण्डेशन हर तरह से जिम्मेदार है। इस बाबत् एनजीटी एक्ट, 2010 की धारा 15 व 17 के तहत् अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए हम प्रारम्भिक तौर पर पांच करोङ रुपये पर्यावरणीय हर्जाना सुनिश्चित करते हैं। यह राशि, फाउण्डेशन को कार्यक्रम शुरु होने से पहले भुगतान करनी होगी। अंतिम तौर पर भुगतान हेतु जो हर्जाना राशि तय होगी, यह अग्रिम राशि उसमें समाहित कर ली जायेगी।
निर्णय के तहत् गठित प्रधान समिति को हम निर्देश देते हैं कि वह आज (नौ मार्च, 2016) से चार सप्ताह के भीतर बाढ़ क्षेत्र को मूल स्थिति में लाने के लिए अपेक्षित बहाली, क्षतिपूर्ति व पुनर्जीवन संबंधी कदमों के संबंध में अपनी रिपोर्ट हमें सौंपे। प्रधान समिति यह भी बतायेगी कि बाढ़ भूमि की बहाली तथा क्षतिपूर्ति में लगभग कितनी राशि खर्च होगी।
उक्त उल्लिखित ’मनोज कुमार एवम् यूनियन आॅफ इंडिया व अन्य’ मामले में हमारे द्वारा पूर्व में दिए फैसले के अनुसार विवाद में आये पूरे क्षेत्र को जैवविविधता पार्क के रूप विकसित करने का भी आदेश देते हैं। इसकी लागत फाउण्डेशन और दिल्ली विकास प्राधिकरण को उस अनुपात में देनी होगी, जो अंतिम रूप से पंचाट द्वारा निर्देशित किया जायेगा।
फाउंडेशन, कल (10 मार्च,2016) तक पंचाट में एक हलफनामा जमा करे कि पंचाट के निर्देशानुसार बाढ़ क्षेत्र की बहाली हेतु जो बकाया तय होगा, दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा मांगे जाने की तिथि के दो सप्ताह के भीतर फाउंडेशन उसे जमा करेगा।
प्रधान समिति को अधिकार होगा कि लागत खर्च का अनुमान लगाने के लिए अन्य विशेषज्ञ नियुक्त कर सकेगी।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण,वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधि तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को मिलाकर हम एक समिति गठित करते हैं, जो तुरंत जाकर मौके का मुआइना करेगी और आयोजन के दौरान जलस्त्रोत, ठोस कचरा व सीवेज को इकट्ठा करने तथा निष्पादन की बाबत् कल (10 मार्च, 2016) को निर्देश जारी करेगी; ताकि आगे कोई पर्यावरणीय क्षति न हो और न ही जन स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव पङे।
जल स्त्रोत, बिजली स्त्रोत और इनके उपयोग के बारे में भी हम निर्देश जारी करते हैं। इन्हे जल कानून की धारा 33 ए तथा पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के तहत् जारी निर्देश के रूप में लिया जाये। इन निर्देशों को मानना फाउण्डेशन तथा आयोजन में शामिल अन्य सभी सभी सार्वजनिक प्राधिकारों के लिए आवश्यक होगा।
8. दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा 30 जून, 2015 को दी गई अनुमति, अस्पष्ट अनुमति है। यह अनुमति, राष्ट्रीय हरित पंचाट के आदेश के अनुरूप नहीं है। वास्तव में यह अनुमति दिल्ली विकास प्रािधकरण में निहित शक्तियों से आगे जाती है, जो कि पंचाट के अभिप्राय के अनुरूप नहीं है।
इस आयोजन को पूर्णरूपेण मनोरंजन गतिविधि नहीं कहा जा सकता। सांस्कृतिक गतिविधि मनोरंजक हो सकती है, किंतु रैम्प, रास्तों का निर्माण, मलवा, प्राकृतिक स्थलाकृति को पलट देने तथा बाढ़ क्षेत्र से प्राकृतिक वनस्पति को उजाङ देने को मनोरंजक नहीं कहा जा सकता। यह अपने आप में एक परियोजना है और दिल्ली विकास प्राधिकरण को इसमें अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए था। आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली विकास प्राधिकरण न तो अनुमति देने से पहले और न कार्य जारी रहने के दौरान मौके का मुआइना किया। परिणामस्वरूप, इसकी गलतियों और वैधानिक कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हैं।
9. हम दिल्ली विकास प्रािधकरण को निर्देश देते हैं कि भविष्य में वह ऐसी अनुमति न दे। दिल्ली विकास प्राधिकरण अथवा किसी भी राज्य/ प्राधिकरण द्वारा यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र के सबंध में भविष्य में दी गई कोई भी अनुमति, पंचाट के निर्णयों के अधीन होंगी।
10. फाउण्डेशन की विद्वान वकील ने पंचाट के समक्ष यह हलफनामा दिया है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति लिए बिना फाउण्डेशन, यमुना, यमुना की सहायक धारा और किसी जल संरचना में किसी तरह का एंजाइम नहीं डालेगी।
ऊपर उल्लिखित धनराशि, दिल्ली विकास प्राधिकरण के पास जमा की जाये और इसका एक अलग खाता रखा जाये। यद्यपि जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है, विस्तृत कारणों से पक्ष अपना खर्च स्वयं वहन करंेगे; उक्त निर्देश जारी किए जाते हैं।
स्वतंत्र कुमार - अध्यक्ष
एम. एस. नाम्बियार - न्यायिक सदस्य
डाॅ. डी. के. अग्रवाल - विशेषज्ञ सदस्य
बी. एस. सजवाण - विशेषज्ञ सदस्य
हिंदी प्रस्तुति - अरुण तिवारी
146, सुंदर ब्लाॅक, शकरपुर, दिल्ली-92amethiarun@gmail.com, 9868793799
tags
shri shri ravi shankar products in hindi, shri shri ravi shankar quotes in hindi, sudarshan kriya in hindi, shri shri ravishankar bhajans free download in hindi, shri shri ravi shankar facebook in hindi, shri shri ravishankar school in hindi, shri shri ravishankar vidya mandir in hindi, shri shri ravishankar maharaj songs in hindi, shri shri ravi shankar art of living quotes in hindi, shri shri ravi shankar art of living courses in hindi, shri shri ravi shankar art of living bhajans download in hindi, shri shri ravi shankar art of living bhajans free download mp3 in hindi, shri shri ravi shankar art of living in hindi, shri shri ravi shankar art of living quotes in hindi, shri shri ravi shankar art of living video in hindi, art of living founder in hindi, information about art of living course in hindi, art of living courses in hindi, artofliving in hindi, art of living programs in hindi, art of living center in hindi, art of living fees in hindi, theartofliving in hindi, art of living course fee in hindi, art of living foundation controversy in hindi, art of living meditation in hindi, art of living foundation wiki, art of living foundation jobs in hindi, art of living foundation course in hindi, art of living foundation donation in hindi, art of living foundation criticism in hindi, art of living foundation in hindi, ravi shankar, art of living foundation in hindi.
/articles/sarai-sarai-yamaunaa-vaivaada-raasataraiya-haraita-pancaata-kaa-adaesa