सरायपाली ग्राम पंचायत अपने सराहनीय कार्य के लिए वर्ष 2001 में रायगढ़ जिले में प्रथम स्थान पर आया। वर्ष 2002 में श्रेष्ठ ग्राम पंचायत चयनित होने पर इसे 25,000 रुपए का नगद पुरस्कार और वर्ष 2003 में पुनः श्रेष्ठ ग्राम पंचायत चयनित होने पर 35,000 रुपए का नगद पुरस्कार प्राप्त हुआ। वर्ष 2009 में इसे सरकार ने निर्मल ग्राम घोषित किया।ग्राम पंचायत के कार्य में पारदर्शिता और सामुदायिक एकजुटता के आधार पर निर्णय को बढ़ावा देने के लिए ग्राम सभा की व्यवस्था की गई है। हम कह सकते हैं कि अगर ग्राम पंचायत शरीर है तो ग्राम सभा उसकी आत्मा है। ग्राम सभा कभी भंग नहीं होती। पंचायत अधिनियम के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में ग्राम सभा की कम से कम छह बैठकें आयोजित की जा सकती हैं। चार ग्राम सभा के लिए तिथि निर्धारित है और दो बैठकों को ग्राम पंचायत अपनी सुविधा के अनुसार आयोजित कर सकती है। ग्राम पंचायत अपनी आवश्यकताअनुसार ग्राम सभा की अतिरिक्त बैठकें भी आयोजित कर सकती है।
ग्राम सभा का कार्य है ग्राम पंचायत के लिए आर्थिक विकास की योजना बनाना, ग्राम पंचायत के लिए वार्षिक बजट पर विचार करना, ग्राम पंचायत के वार्षिक सम्परीक्षा प्रतिवेदन तथा वार्षिक लेखाओं पर विचार, विभिन्न योजनाओं के लिए प्राप्त निधियों के समुचित उपयोग पर चर्चा व प्रमाणीकरण, गरीबी उन्मूलन व अन्य कार्यक्रमों के लिए हितग्राहियों का चयन और ग्राम पंचायत के अन्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सामुदायिक सहयोग पैदा करना।
विभिन्न अध्ययनों और शोधपत्रों से स्पष्ट हो चुका है कि ग्राम सभा की कल्पना जिन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की गई वे साकार नहीं हो सके हैं। ग्राम सभा की विफलता का सबसे बड़ा कारण ग्राम सभा की बैठक में लोगों का न आना है। ग्राम सभा की बैठक में ग्रामवासियों के शरीक न होने की वजह से ग्राम पंचायत की विकास योजनाओं पर चर्चा नहीं हो पाती है। ग्राम सभा के द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए जिन हितग्राहियों का चयन किया जाता है वे हितग्राही वास्तविक नहीं होते। ग्राम सभा की विफलता का अन्य कारण जनप्रतिनिधियों में ग्राम सभा के प्रति जागरुकता की कमी है। जनप्रतिनिधियों द्वारा भी ग्राम सभा को सशक्त नहीं किया जाता है। ग्राम सभा की विफलता को लेकर बहुत सारे प्रश्न उठाए जाते हैं जिनका हल सरायपाली ग्राम पंचायत ने दिया है।
सरायपाली छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित है। यह ग्राम पंचायत सुदूर जंगलों के बीच स्थित है। इस ग्राम पंचायत के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। सरायपाली ग्राम पंचायत में ग्राम सभा की सक्रियता की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के नये साधन पैदा हुए हैं। ग्राम सभा ग्राम पंचायत के प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखती है। ग्राम सभा की बैठकों में ग्रामवासियों की सहभागिता होती है।
ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने से सात दिन पूर्व ग्रामवासियों को इसकी सूचना दे दी जाती है। ग्राम सभा की बैठक में अधिक से अधिक ग्रामवासी उपस्थित हों, इसके लिए गाँव के बाजार, मेलों व सार्वजनिक स्थानों पर मुनादी व दीवार लेखन द्वारा सूचना दी जाती है। ग्राम पंचायत के पंचों को जिम्मेदारी दी जाती है कि वे अपने पारे (टोले) के लोगों को बैठक की सूचना दें। गाँव के युवा ग्राम सभा की बैठक में आएँ इसके लिए पंचायत द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गाँव के वरिष्ठ व्यक्तियों को नारियल व शाल देकर सम्मानित किया जाता है। बैठक का स्थान और समय ग्रामवासियों की सुविधा के अनुसार निर्धारित किया जाता है क्योंकि गाँवों के अधिकतर व्यक्ति कृषि कार्य से जुड़े हैं और सुबह उपस्थित नहीं हो सकते हैं। ग्राम सभा की बैठक आश्रित गाँव में भी आयोजित की जाती है।
ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने से पूर्व ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा सरपंच और पंचों के सहयोग से कार्ययोजना व एजेण्डा तैयार किया जाता है। कार्य-योजना व एजेण्डा का निर्धारण करने के लिए पारा (मोहल्ला) स्तर पर बैठक कर ग्रामवासियों से चर्चा की जाती है। इस तरह से जो भी योजना ग्राम पंचायत द्वारा बनाई जाती है उसमें ग्रामवासियों की पूर्ण सहभागिता होती है। ग्राम सभा की बैठक में समस्त ग्रामवासियों के सामने कार्य-योजना व एजेण्डा को रखा जाता है। समस्त ग्रामवासी आपसी विचार-विमर्श से कार्य-योजना पर सहमति देते हैं तो ग्राम सभा अध्यक्ष अपना अन्तिम निर्णय सुनाते हैं।
सरायपाली ग्राम पंचायत में ग्राम सभा के सशक्त होने का परिणाम यह रहा कि सरायपाली ग्राम पंचायत अपने सराहनीय कार्य के लिए वर्ष 2001 में रायगढ़ जिले में प्रथम स्थान पर आया। वर्ष 2002 में श्रेष्ठ ग्राम पंचायत चयनित होने पर इसे 25,000 रुपए का नगद पुरस्कार और वर्ष 2003 में पुनः श्रेष्ठ ग्राम पंचायत चयनित होने पर 35,000 रुपए का नगद पुरस्कार प्राप्त हुआ। वर्ष 2009 में इसे सरकार ने निर्मल ग्राम घोषित किया।
ग्राम पंचायत के वर्तमान सरपंच का कहना है कि ग्राम सभा के मजबूत होने से ग्राम पंचायत के विकास में सफलता मिली है लेकिन कभी-कभी ग्राम पंचायत के सामने समस्या यह आती है कि कुछ लोगों को ग्राम सभा का फैसला मंजूर नहीं होता है। ग्राम सभा ऐसे लोगों को भी सन्तुष्ट करने का कार्य करती है। कभी-कभी ग्राम सभा के फैसले पर राज्य सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसी स्थिति में ग्राम सभा ग्रामवासियों से सहयोग लेती है। सरायपाली ग्राम पंचायत में बहुत अधिक समस्याएँ थीं जिसका हल ग्राम सभा ने दिया है। आज सरायपाली ग्राम पंचायत विकास के नये-नये आयाम प्राप्त कर रही है। ग्राम पंचायत ने ग्राम सभा के सहयोग से कई ऐसे फैसले लिए हैं जिसके सम्बन्ध में राज्य सरकार भी विचार नहीं कर पाई है।
(लेखक बीआरजीएफ, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास संस्थान में प्रशिक्षण सलाहकार हैं)
ई-मेल : singh.ashutosh4@gmail.com
ग्राम सभा का कार्य है ग्राम पंचायत के लिए आर्थिक विकास की योजना बनाना, ग्राम पंचायत के लिए वार्षिक बजट पर विचार करना, ग्राम पंचायत के वार्षिक सम्परीक्षा प्रतिवेदन तथा वार्षिक लेखाओं पर विचार, विभिन्न योजनाओं के लिए प्राप्त निधियों के समुचित उपयोग पर चर्चा व प्रमाणीकरण, गरीबी उन्मूलन व अन्य कार्यक्रमों के लिए हितग्राहियों का चयन और ग्राम पंचायत के अन्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सामुदायिक सहयोग पैदा करना।
विभिन्न अध्ययनों और शोधपत्रों से स्पष्ट हो चुका है कि ग्राम सभा की कल्पना जिन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की गई वे साकार नहीं हो सके हैं। ग्राम सभा की विफलता का सबसे बड़ा कारण ग्राम सभा की बैठक में लोगों का न आना है। ग्राम सभा की बैठक में ग्रामवासियों के शरीक न होने की वजह से ग्राम पंचायत की विकास योजनाओं पर चर्चा नहीं हो पाती है। ग्राम सभा के द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए जिन हितग्राहियों का चयन किया जाता है वे हितग्राही वास्तविक नहीं होते। ग्राम सभा की विफलता का अन्य कारण जनप्रतिनिधियों में ग्राम सभा के प्रति जागरुकता की कमी है। जनप्रतिनिधियों द्वारा भी ग्राम सभा को सशक्त नहीं किया जाता है। ग्राम सभा की विफलता को लेकर बहुत सारे प्रश्न उठाए जाते हैं जिनका हल सरायपाली ग्राम पंचायत ने दिया है।
सरायपाली छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित है। यह ग्राम पंचायत सुदूर जंगलों के बीच स्थित है। इस ग्राम पंचायत के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। सरायपाली ग्राम पंचायत में ग्राम सभा की सक्रियता की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के नये साधन पैदा हुए हैं। ग्राम सभा ग्राम पंचायत के प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखती है। ग्राम सभा की बैठकों में ग्रामवासियों की सहभागिता होती है।
ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने से सात दिन पूर्व ग्रामवासियों को इसकी सूचना दे दी जाती है। ग्राम सभा की बैठक में अधिक से अधिक ग्रामवासी उपस्थित हों, इसके लिए गाँव के बाजार, मेलों व सार्वजनिक स्थानों पर मुनादी व दीवार लेखन द्वारा सूचना दी जाती है। ग्राम पंचायत के पंचों को जिम्मेदारी दी जाती है कि वे अपने पारे (टोले) के लोगों को बैठक की सूचना दें। गाँव के युवा ग्राम सभा की बैठक में आएँ इसके लिए पंचायत द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गाँव के वरिष्ठ व्यक्तियों को नारियल व शाल देकर सम्मानित किया जाता है। बैठक का स्थान और समय ग्रामवासियों की सुविधा के अनुसार निर्धारित किया जाता है क्योंकि गाँवों के अधिकतर व्यक्ति कृषि कार्य से जुड़े हैं और सुबह उपस्थित नहीं हो सकते हैं। ग्राम सभा की बैठक आश्रित गाँव में भी आयोजित की जाती है।
ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने से पूर्व ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा सरपंच और पंचों के सहयोग से कार्ययोजना व एजेण्डा तैयार किया जाता है। कार्य-योजना व एजेण्डा का निर्धारण करने के लिए पारा (मोहल्ला) स्तर पर बैठक कर ग्रामवासियों से चर्चा की जाती है। इस तरह से जो भी योजना ग्राम पंचायत द्वारा बनाई जाती है उसमें ग्रामवासियों की पूर्ण सहभागिता होती है। ग्राम सभा की बैठक में समस्त ग्रामवासियों के सामने कार्य-योजना व एजेण्डा को रखा जाता है। समस्त ग्रामवासी आपसी विचार-विमर्श से कार्य-योजना पर सहमति देते हैं तो ग्राम सभा अध्यक्ष अपना अन्तिम निर्णय सुनाते हैं।
सरायपाली ग्राम पंचायत में ग्राम सभा के सशक्त होने का परिणाम यह रहा कि सरायपाली ग्राम पंचायत अपने सराहनीय कार्य के लिए वर्ष 2001 में रायगढ़ जिले में प्रथम स्थान पर आया। वर्ष 2002 में श्रेष्ठ ग्राम पंचायत चयनित होने पर इसे 25,000 रुपए का नगद पुरस्कार और वर्ष 2003 में पुनः श्रेष्ठ ग्राम पंचायत चयनित होने पर 35,000 रुपए का नगद पुरस्कार प्राप्त हुआ। वर्ष 2009 में इसे सरकार ने निर्मल ग्राम घोषित किया।
ग्राम पंचायत के वर्तमान सरपंच का कहना है कि ग्राम सभा के मजबूत होने से ग्राम पंचायत के विकास में सफलता मिली है लेकिन कभी-कभी ग्राम पंचायत के सामने समस्या यह आती है कि कुछ लोगों को ग्राम सभा का फैसला मंजूर नहीं होता है। ग्राम सभा ऐसे लोगों को भी सन्तुष्ट करने का कार्य करती है। कभी-कभी ग्राम सभा के फैसले पर राज्य सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसी स्थिति में ग्राम सभा ग्रामवासियों से सहयोग लेती है। सरायपाली ग्राम पंचायत में बहुत अधिक समस्याएँ थीं जिसका हल ग्राम सभा ने दिया है। आज सरायपाली ग्राम पंचायत विकास के नये-नये आयाम प्राप्त कर रही है। ग्राम पंचायत ने ग्राम सभा के सहयोग से कई ऐसे फैसले लिए हैं जिसके सम्बन्ध में राज्य सरकार भी विचार नहीं कर पाई है।
(लेखक बीआरजीएफ, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास संस्थान में प्रशिक्षण सलाहकार हैं)
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Post By: birendrakrgupta