सफलता की गाथा लिखता एक प्रगतिशील किसान

कहा जाता है कि जिनके पास जज़्बा होता है वह पहाड़ के सीने को चीरकर अपना रास्ता बना लेते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है श्रीकृष्ण धाकड़ जी ने जो उम्र के सात दशक पूरे करने पर भी ऐसा जोश रखते हैं जो किसी युवा में देखने को मिलता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी से सतत् संपर्क रखने वाले ये एक ऐसे नवप्रवर्तक किसान हैं जो शिवपुरी जिले में कृषि के समेकित प्रबंधन के माॅडल को अपने प्रक्षेत्र पर बनाए हुए हैं। उनकी जज़्बे की कद्र करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी ने उन्हें ‘मित्र कृषक’ की संज्ञा दी है।

खेती का समन्वित मॉडल


फसल उत्पादनश्री धाकड़ खरीफ में सोयाबीन, मूंगफली फसल की उन्नत प्रजातियां एवं अनुसंशित वैज्ञानिक तकनीक से प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल तक पैदावार ले लेते हैं। रबी फसलों में गेहूं की उन्नत प्रजातियों जी.डब्ल्यू. 322, जी.डब्ल्यू 366 इत्यादि से पैदावार 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, चना जे.जी. 130 एवं काबुली प्रजातियों से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सरसों (पूसा बोल्ड, पूसा अग्रणी, रोहिणी व वरुणा इत्यादि) से लगभग 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज का दावा कर अनेक जिलों/राज्यों/देश स्तर के कृषकों के सम्मेलनों में अपनी बात रखी है।

फलोत्पादन
फलोत्पादन के रूप में दो हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 800 वृक्ष आंवला की उन्नत प्रजाति नरेन्द्र आंवला 6, नरेन्द्र आंवला 7, नरेन्द्र आंवला 10, चकैया एवं देशी वृक्ष भी लगे हुए हैं। इन वृक्षों से प्राप्त फलों से वेमूल्यवर्धक पदार्थों की तैयारी हेतु एवं अन्य औषधीय महत्व के लिए उबालकर उनका गूदा एवं गुठली अलग कर जिले में एवं जिले/प्रदेश के बाहर तक प्रसंस्कृत उत्पादकों/औषधीय निर्माताओं को देकर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

प्राकृतिक संसाधन
बढ़ती जनसंख्या एवं घटती जोत के महत्व को समझते हुए अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा स्रोतबने श्रीकृष्ण धाकड़ ने प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को ध्यान में रखकर एक साथ ‘‘कृषिवानिकी‘‘ की विभिन्न प्रणालियों जिसमें मुख्य कृषि उद्यानिकी मेढ़ वृक्षारोपण के तहत क्रमशः अनार, अमरूद, पपीता, एवं करोंदा, सागोन के वृक्ष भी लगाए हुए हैं जो फसल उत्पादन के अतिरिक्त फलों एवं अन्य उत्पादों के रूप में मुनाफा दे रहे हैं। इसी क्रम में भूमि की निचले तलहटी में एक जलसंग्रह इकाई भी तैयार की हुई है जो क्षेत्र का जलस्तर बनाए रखने के साथ सिंचाई हेतु भी मददगार साबित हो रही है।

सब्जियां एवं मसाला/औषधीय फसल उत्पादन
काशीफल के बारे में श्रीकृष्ण धाकड़ जी कहते हैं कि ‘‘कद्दू खाओ, बुद्धि बढ़ाओ‘‘ के बड़े-बड़े फलों का उत्पादन लेने के साथ, बहुत-सी मौसमी सब्जियों के साथ हल्दी भी लगाते हैं।

जैविक कृषि की ओर रुझान
जैविक कृषि के प्रति विशेष लगाव रखने वाले श्रीकृष्ण धाकड़ ने प्रक्षेत्र पर वर्मीकम्पोस्ट इकाई के साथ गोबर गैस संयंत्र भी लगा रखा है और इससे मिलने वाले लाभ को वे बड़ी खूबी से अन्य आगन्तुकों को बतलाते हैं।

कृषि यंत्र
कृषि यंत्रों के तहत ट्रैक्टर, ट्रॉली, मिट्टी पलट हल, हेरो, गन्ना पिराई मशीन, रीपर, थ्रेशर के साथ-साथ आंवला के मूल्यवर्धक पदार्थों को तैयार करने हेतु बड़े-बड़े कढ़ाहे रखे हुए हैं और मूल्यवर्धक पदार्थों का जिले में ही विपणन हो, इसके लिए भी प्रयासरत हैं।

पशुधन
पशुपालन के अन्तर्गत देशी गाय एवं भैंसें रखे हुए हैं और उनसे औसत उत्पादन ले रहे हैं। लेकिन इस ओर उन्होंने तकनीकी मार्गदर्शन एवं और अधिक वैज्ञानिक ढंग से व्यवसाय हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी सेतकनीकी सहयोग/ मार्गदर्शन चाहा है। श्री धाम कृषि विज्ञान केन्द्र और जिले के पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों के साथ इस दिशा में भी सहयोग हेतु तत्पर एवं प्रयासरत हैं।

उपरोक्त सभी विधाओं से श्रीकृष्ण धाकड़ वर्ष में लगभग 2-2.5 लाख रुपये लगाते हुए वार्षिक शुद्ध लाभ लगभग 5.5-6.5 लाख रुपये प्राप्त कर लेते हैं।

अन्य कार्य
श्री धाकड़ जिलास्तरीय आत्मा प्रबंधन समिति में कृषक सदस्य के रूप में भी नामित हैं। आकाशवाणी के माध्यम से भी इनकी वार्ताएं प्रसारित होती रहती हैं। जिला/राज्य/देश-स्तर पर अनेक कृषि मेलों में भ्रमण कर चुके हैं एवं आज भी भ्रमण हेतु तत्पर रहते हैं और कहते हैं कि जिस प्रकार आने-जाने का क्रम चलता रहता है उसी प्रकार सीखने-सिखाने के लिए कोई उम्र बाधा नहीं होती।

कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी ने दिलाई पहचान
कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी ने वर्तमान में श्रीकृष्ण धाकड़ के प्रक्षेत्र पर सरसों फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु आइसोप्रोट्यूरॉन शाकनाशी का प्रक्षेत्र परीक्षण लगाया हुआ है जिसमें खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण को देखा जा सकता है। इसी क्रम में चना फसल की उन्नत प्रजाति (जाकी 9218 सह-संपूर्ण फसल तकनीक) भी रबी, फसल में लगी हुई है। कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित श्री धाकड़ को 26 जनवरी 2013 को जिला स्तरीय सम्मानित कर प्रशस्त-पत्र प्रदान किया गया।

(लेखक कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी (म.प्र) में कार्यक्रम समन्वयक हैं।)
ई-मेल :mukesh2535@rediffmail.com

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