नयन की रसधार
सुरभि के संस्पर्श में
कहती पुकार-पुकार-
मैं नदी, तुम कूल-तरु
निर्मूल दूर-विचार
भेद नव होना असंभव
जब तुम्हीं आधार
कर लो धार का उद्धार।
सुरभि के संस्पर्श में
कहती पुकार-पुकार-
मैं नदी, तुम कूल-तरु
निर्मूल दूर-विचार
भेद नव होना असंभव
जब तुम्हीं आधार
कर लो धार का उद्धार।
Path Alias
/articles/sansaya
Post By: admin