संसार के विशाल रेगिस्तान

”रेगिस्तान उच्च वायुमंडलीय दाब के क्षेत्र में, जैसे सहारा या ठंडी महासागरीय धाराओं द्वारा महाद्वीपों के पश्चिमी तट (अटाकामा तथा कालाहारी रेगिस्तान) पर निर्मित हो सकते हैं। रेगिस्तान किसी महाद्वीप के भीतरी क्षेत्र में भी स्थित हो सकते हैं, जहां विशाल पर्वतों की श्रृंखलाएं इस क्षेत्र में वर्षा को रोके रखती हैं; गोबी रेगिस्तान इसका अच्छा उदाहरण है।“ -मैकमिलन एनसायक्लोपीडिया, 1981

भूमध्य रेखा के दोनों ओर रेगिस्तान की दो पट्टियां हैं। ये अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के महाद्वीपों में फैले विशाल रेगिस्तान हैं। संसार का सबसे विशाल रेगिस्तान उत्तरी अफ्रीका में स्थित है। दक्षिण-पश्चिमी एशिया तथा मध्य एशिया की भूमि पर रेगिस्तान लगभग पूरी तरह से फैले हुए हैं। अमेरीका के दक्षिण पश्चिमी राज्यों (केलिफोर्निया, एरीज़ोना, नेवादा तथा न्यू मैक्सिको) का अधिकांश क्षेत्र रेगिस्तानी है। उत्तर मैक्सिको का अधिकांश भाग भी रेगिस्तान है। यूरोप में कोई रेगिस्तान नहीं है। दक्षिण अमेरीका में रेगिस्तान संकरी तटीय पट्टी के रूप में चिली व पेरू में स्थित हैं।

विश्व के मुख्य रेगिस्तान


विश्व के मुख्य रेगिस्तानों का क्रमशः उनके नाम, प्रकार, स्थिति, आकार तथा क्षेत्रफल के साथ यहां संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है।

1. अरब रेगिस्तान - गर्म, शुष्क तथा अतिशुष्क; अरब प्रायद्वीप, 23,30,000 वर्ग कि.मी.।

2. अटाकामा - गर्म, अतिशुष्क आरै शुष्क; चिली; 1,40,000 वर्ग कि.मी.।

3. आस्ट्रेलियन रेगिस्तान - गर्म, शुष्क व अर्धशुष्क; आस्ट्रेलिया, 15,00,000 वर्ग कि.मी.।

4. चिहोहुआ रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; मैक्सिको, अमेरिका, 5,18,000 वर्ग कि.मी.।

5. डेथ वैली रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; केलिफोर्निया, अमेरिका, 13,812 वर्ग किमी.।

6. गोबी रेगिस्तान – ठंडा, शुष्क व अर्धशुष्क; चीन एवं मंगोलिया, 1300,000 वर्ग कि.मी.।

7. ग्रेट बेसिन रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; अमेरीका, 4,09,000 वर्ग कि.मी.।

8. कालाहारी रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; दक्षिण अफ्रीका, 500,000 वर्ग कि.मी.।

9. काराकुम रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; तुकर्मनिस्तान, 29,7900 वर्ग कि.मी.।

10. मोजावे रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; केलिफोर्निया और नेवादा (अमेरिका) 65,000 वर्ग कि.मी.।

11. नामीब रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; बोटस्वाना, पूर्वी नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका का उत्तरी भाग, 1,35,000 वर्ग कि.मी.।

12. नेगेव रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; इज़राइल, 12,170 वर्ग कि.मी.।

13. पेटागोनियन रेगिस्तान - ठंडा, शुष्क; अर्जेंटीना, 6,73,000 वर्ग कि.मी.।

14. सहारा रेगिस्तान - गर्म, अति शुष्क, उत्तरी अफ्रीका, 8,600,000 वर्ग कि.मी.।

15. सोनारन रेगिस्तान - गर्म, शुष्क; एरीजानो (अमेरिका) 275,000 वर्ग किमी. ।

16. ताकला-माकन रेगिस्तान - ठंडा, शुष्क; जिंजियागं राज्य, चीन, 3,27,000 वर्ग कि.मी.।

17. थार रेगिस्तान - गर्म, अति शुष्क; भारत, पाकिस्तान, (200,000 वर्ग किमी )।

यहां दिए गए किसी भी रेगिस्तान का क्षेत्रफल लगभग अनुमानित है, इनका क्षेत्रफल कम या अधिक हो सकता है क्योंकि भूर्गभशास्त्र के अनुसार इनका क्षेत्रफल पूर्ण रूप से परिभाषित नहीं है।

अरब प्रायद्वीपीय रेगिस्तान


यह रेगिस्तान उत्तर में सीरिया से लेकर दक्षिण में ओमान तक फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 230,00,00 वर्ग कि.मी. है। अरब प्रायद्वीप रेगिस्तान तथा सहारा रेगिस्तान के बीच बहुत समानता है। वास्तव में यह प्रायद्वीपीय रेगिस्तान एक प्रकार से सहारा रेगिस्तान का ही विस्तारित रूप है। इन दोनों के बीच अवरोधक के रूप में लाल सागर है। सहारा रेगिस्तान की ही भांति इस रेगिस्तान में भी रेत के विशाल समुद्र हैं।

यह अत्यंत शुष्क प्रायद्वीपीय रेगिस्तान है। अनेक वर्षों तक यहां औसत वर्षा केवल 100 मि.मी. से कम ही रही है। यह अत्यंत गर्म रेगिस्तान है। इस रेगिस्तान के मध्य भाग का तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है हालांकि शीत ऋतु में तापमान काफी नीचे आ जाता है और अकसर रात्रि में यह जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है।

इस प्रायद्वीप में संसार के दो-तिहाई पैट्रोलियम संसाधन समाए हुए हैं। इस प्रायद्वीप का दक्षिण-पूर्वी भाग सबसे शुष्क क्षेत्र है। इसी भाग में प्रसिद्ध ‘रब आल खाली’ या एम्टी क्वाटर स्थित है। यह क्षेत्र इसके नाम के अनुरूप निर्जन स्थान है।

अटाकामा रेगिस्तान


अटाकामा उत्तरी चिली में स्थित एक तटीय रेगिस्तान है जिसकी औसत तटीय चैड़ाई 160 कि.मी. से कम है तथा इसकी लंबाई लगभग 960 कि.मी. है। यह रेगिस्तान लवणीय चट्टानों से युक्त है। यह लगभग वर्षाविहीन पठारी क्षेत्र है जो लवणीय द्रोणियों, रेत और लावा प्रवाह से बना है। यह पृथ्वी का सबसे शुष्क क्षेत्र है। इस क्षेत्र में औसत वर्षा कुल 15 मि.मी. प्रति वर्ष तक ही सीमित है। कुछ भागों में तो वर्षा के होने के कोई मानवीय प्रमाण उपलब्ध ही नहीं हैं। उत्तरी चिली के इस रेगिस्तानी क्षेत्र के एक स्थान जिसे कि कलामा कहा जाता है, वहां 400 वर्षों तक (1570-1971) वर्षा नहीं हुई थी। हालांकि अटाकामा रेगिस्तान के कुछ भागों में पर्याप्त वर्षा होने के कारण भूक्षरण के चिन्ह भी अंकित किए गए।

अटाकामा रेगिस्तानअटाकामा रेगिस्तानअटाकामा रेगिस्तान में मानव भी निवास करते हैं। सामान्य रूप से इसके ठिकाने चार विभिन्न नखलिस्तान या मरुद्यान (ओएसिस्) स्थलों जैसे पेरुवियन सीमा के निकट एरिटा, पामा डेल की पूर्वी पट्टी, तभारुगल व लोआ एवं कोपीपो नदियों की द्रोणियों में स्थित हैं। यहां की मुख्य पैदावार मक्का तथा एल्फाल्फा होती है। यहां के मुख्य खनिज नाइट्रेट, तांबा तथा चांदी है। संसार की सबसे बड़ी तांबे की खान इसी रेगिस्तान में ‘चुकीकामता’ नामक क्षेत्र में स्थित है।

आस्ट्रेलियन रेगिस्तान


आस्ट्रेलिया के विशाल भाग पर रेगिस्तान स्थित हैं। ग्रेट सेंडी रेगिस्तान, गिब्सन रेगिस्तान और ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तानों ने संयुक्त रूप से पश्चिमी आस्ट्रेलिया के आधे से अधिक भाग पर कब्जा जमा रखा है। इसके पूर्व में तनामी रेगिस्तान, सिम्पसन रेगिस्तान और स्टुअर्ड रेगिस्तान रेतीले रेगिस्तान हैं।

आज का आस्ट्रेलियन रेगिस्तान पहले कभी ध्रुवीय बर्फ की चादरों से ढका हुआ था। उससे पूर्व इस क्षेत्र में उथले सागर थे। आस्ट्रेलिया की भूमि कुछ लाखों वर्ष पूर्व ही शुष्क होने लगी। आस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से 10 लाख वर्ष पूर्व, जिसे भौगोलिक समायावधि में ज्यादा समय नहीं माना जाता, ही रेगिस्तानों में परिवर्तित हुए हैं। आस्ट्रेलिया धीरे-धीरे उत्तर की ओर गति कर रहा है और एक दिन यह भूमध्य रेखा के समीप पहुंच जाएगा और तब यह फिर से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र बन जाएगा।

आस्ट्रेलिया रेगिस्तान को निम्नांकित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैः-


• चिकनी मिट्टी के समतल रेगिस्तान
• रेतीले रेगिस्तान
• पथरीले रेगिस्तान।

दि ग्रेट सेंडी रेगिस्तानः आस्ट्रेलियन रेगिस्तानों में दि ग्रेड सेंडी रेगिस्तान सबसे बड़ा रेगिस्तान हैं। यह रेगिस्तान पश्चिमी आस्ट्रेलिया के उत्तर में स्थित हैं और इसका क्षेत्रफल लगभग 3,40,000 वर्ग कि.मी. है। इसमें रॉकी पर्वत और पिलेबरा एवं किंब्रले पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य समतल क्षेत्र आता है। इसके अतिरिक्त आस्ट्रेलिया का कोई भी रेगिस्तान समुद्र तट के किनारों तक फैला हुआ नहीं है। यहां वर्षा अधिक होती है तथा औसत वर्षा 250 से 300 मि.मी. तक होती है। किंतु यहां उच्च ताप के कारण बारिश के अधिकतर जल का वाष्पीकरण हो जाता है और वनस्पति तथा जीवों के लिए जल की उपलब्धता बहुत ही सीमित हो जाती है। यहां दिन का तापमान 300 से 420 सेल्सियस के बीच रहता है।

तनामी रेगिस्तान: यह रेगिस्तान ‘दि ग्रेट सेंडी रेगिस्तान’ के पूर्व में स्थित हैं और इनका क्षेत्रफल 37,500 वर्ग कि.मी. है। तनामी पृथ्वी का शुष्क स्थल और प्रमुख विलगित (आइसोलेटेड्) रेगिस्तान है। यहां की मुख्य वनस्पतियों में ‘स्पीनिफेक्स घास’ (नुकीली पत्ती वाली घास जो तट क्षेत्र को बांधती है), बबूल तथा अन्य छोटी झाडि़यां आदि होती हैं। इस रेगिस्तान में बहुत छोटे कद के लाल रंग के कंगारू, जिनकी प्रजाति समाप्त होने के कगार पर है, बड़ी संख्या में मौजूद हैं।

सिम्पसन रेगिस्तान: सिम्पसन रेगिस्तान आस्ट्रेलिया के मध्य भाग में स्थित है तथा यह करीब 170,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। वनस्पतियों के आधार पर यहां विश्व के सबसे लंबे समानांतर रेत के टीले और अर्ग हैं। बिग रेड (नापानरीका) बहुत प्रसिद्ध रेतीला टिब्बा है, जिसकी ऊंचाई 40 मीटर है।

अन्य आस्ट्रेलियन रेगिस्तानों की तुलना में सिम्पनसन रेगिस्तान में वर्षा कम और अनियमित होती है। सिम्पसन रेगिस्तान के नीचे ग्रेट आर्टेशियन द्रोणियां स्थित हैं। यहां पर अनेक प्राकृतिक स्रोतों और कृत्रिम नल-कूपों द्वारा पानी की उपस्थिति बनी रहती है। लेकिन दुर्भाग्य से जल के अनियंत्रित दोहन के कारण इन स्रोतों में जल स्तर बहुत कम हो गया है। इस रेगिस्तान में मुख्य वनस्पतियां ‘स्पीनिफेक्स’ घास तथा अन्य झाडि़यों के रूप में होती है।

दि ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान: ‘दि ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान’ का क्षेत्रफल 338,000 वर्ग कि.मी. है। इस विशाल रेगिस्तान में रेतीले टीलों की भरमार है। चिरपरिचित बालू के टीलों के अतिरिक्त यहां पर चिकनी मिट्टी के बने अर्धचंद्राकार बालू के टीले हैं जो यहां बहुतायत में मिलते हैं। ये अर्धचंद्राकार बालू के टीले ‘लंकटें टिब्बा’ कहलाते हैं। यहां पर समतल क्षेत्र भी होते हैं जो छोटे-छोटे आयरन ऑक्साइड से चमचमाते गोल पत्थरों से भरे रहते हैं। यहां पर वनस्पति बहुतायत से होती है। दि गेट विक्टोरिया रेगिस्तान ‘विज़ार थौर्नी डेविल’ सहित सरीसृप जीवों के कारण यह रेगिस्तान प्रसिद्ध हैं।

गिब्सन रेगिस्तान: पश्चिमी आस्ट्रेलिया के विशाल रेगिस्तान के मध्य में गिब्सन रेगिस्तान स्थित है। यह ग्रेड सेंडी तथा ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान के बीच में स्थित है तथा इसका क्षेत्रफल 156,000 वर्ग कि.मी. है। इसका नामकरण आस्ट्रेलिया महाद्वीप की खोज करने में सफल होने वाले ‘अल्फ्रेड गिब्सन’ के नाम पर किया गया है। अल्फ्रेड गिब्सन ने इस रेगिस्तान को 1874 में पार करने का असफल प्रयास किया था। इस रेगिस्तान में मिलने वाले जीवों में रेड कंगारू प्रमुख हैं।

स्टुअर्ट पथरीला रेगिस्तान: यह रेगिस्तान विस्तृत गिब्बर समतली क्षेत्र, लाल मिट्टी तथा रेत के टीलों के लिए जाना जाता है। इस रेगिस्तान का नामकरण 1844 में चाल्र्स स्टुअर्ड के नाम पर किया गया। स्पष्टतः स्टुअर्ड मध्य आस्ट्रेलिया में पहुंचना चाह रहा था और वहां के पथरीले मैदानों से उसके घोडे़ के घुटने व मवेशीयों के खुरों में जख्मी हो गए थे। इस रेगिस्तान के बारे में कम ही जानकारी है। इसकी खोज उन्नीसवीं शताब्दी में ‘ट्रेलगी’, ‘स्टुअर्ट’ तथा ‘आइर’ ने की थी। इस क्षेत्र में जीव तथा वनस्पतियों की संख्या बहुत कम हैं। यहां मिलने वाली वनस्पतियों में नुकीले अथवा कांटेदार झाडियां मुख्य हैं।

मुख्यतः यहां उगने वाले छोटे आकार की झाडि़यां, शुष्क तथा लवणीय वातावरण में ही पाई जाती हैं जिनका उपयोग भेड़ के चारे के रूप में होता है।

आस्ट्रेलियाई रेगिस्तान में पाए जाने वाले खनिजों में ‘ओपल’ (दूधिया रंग का बहुमूल्य पत्थर) मुख्य है। इसके अतिरिक्त यहां स्वर्ण, जस्ता, लोहा, लैड आदि भी मिलते हैं।

चिहोदेदुआ रेगिस्तान


उत्तर अमेरीका का यह सबसे बड़ा रेगिस्तान है। इस रेगिस्तान का नामकरण इसके केंद्र में स्थित मैक्सिकन प्रांत के नाम पर किया गया है। ऊंचाई पर स्थित इस रेगिस्तान का क्षेत्रफल 5,18,000 वर्ग कि.मी. है। यह ‘सीरा मैडिर’ श्रृंखलाओं के बीच स्थित है, मैक्सिको से लेकर न्यूमैक्सिको, टेक्सास तथा एरीजोन तक फैला हुआ है। यहां ग्रीष्म ऋतु में तापमान बहुत अधिक किंतु शीत ऋतु में तापमान जमाव बिंदु तक पहुंचता है। चिहोदुआ रेगिस्तान का औसतन तापमान -300 सेल्सियस (शून्य से तीस डिग्री सेल्सियस कम) से 400 सेल्सियस के बीच रहता है। इस रेगिस्तान में वर्षा अधिकतर ग्रीष्म ऋतु में होती है। इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा का औसत लगभग 250 मि.मी. तक होता है। यह उच्च अक्षांश रेगिस्तान हैं जिसका अधिकतर हिस्सा 1000 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। चिहोहुआ रेगिस्तान में वनस्पतियों एवं जीवों की अच्छी-खासी संख्या पाई जाती है। निचले क्षेत्रों की मरुभूमि में ‘क्रियोसोट बुश’ व ‘टार’ की झाडियां बहुतायत में होती हैं। यहां पर ‘यकास’ वंश के पौधे (एक प्रकार की लिली) थोड़ा ऊपर के क्षेत्रों में मिलते हैं। चिहोहुआ रेगिस्तान में अत्यंत जहरीले एवं खड़खड़ाहट की आवाज के साथ रेंगने वाले ‘डायमंड बैक’ नामक सर्प पाए जाते हैं।

डैथ वैली


अमेरिका के केलिफोर्निया में स्थित डैथ वैली पृथ्वी का सबसे गर्म स्थान है। यहां गर्मियों के दिनों में तापमान 54 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और सर्दियों में रात में तापमान जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है। चारों ओर से पर्वतों द्वारा घिरे रहने के कारण केलिर्फोनिया स्थित डेथ वेली रेगिस्तानकेलिर्फोनिया स्थित डेथ वेली रेगिस्तानयह स्थान अत्यंत गर्म हो जाता है। यहां बहुत ही कम वर्षा होती हैं। यहां की मिट्टी के द्वारा जल की पर्याप्त मात्रा को अवशोषित न करने के कारण, भारी बारिश होने पर यहां बाढ़ का आ जाना एक सामान्य घटना है। अतीत में इस घाटी में मनले झील के कारण बाढ़ आयी थी। इस रेगिस्तान में ‘अभारगोसा नदी’ तथा ‘फर्नेस क्रीट’ (समुद्र से कटाव के रूप में निकली जल धारा) जल धाराएं भी हैं किंतु वह जल्द ही इस घाटी की रेतीली सतह में समा जाती है। टिम्बिश जनजाति के लोग पिछले एक हजार वर्षों से डैथ वैली में रह रहे हैं।

गोबी रेगिस्तान


‘गोबी’ एक मंगोलियन शब्द है जिसका अर्थ - ‘जलरहित स्थान’ है। यह संसार का पांचवां बड़ा रेगिस्तान और एशिया का सबसे विशाल रेगिस्तान है। सहारा की भांति यह रेगिस्तान भी तीन भागों में विभक्त है - ताकला माकन (ताकला माकन या का शून) रेगिस्तान, अलशान रेगिस्तान तथा मु अस (या ओर्डिस) रेगिस्तान। गोबी रेगिस्तान का अधिकतर भाग रेतीला न होकर चट्टानी है।

गोबी रेगिस्तान की जलवायु में तेजी से बदलाव होता है। यहां न केवल सालभर तापमान बहुत जल्दी-जल्दी बदलता है बल्कि 24 घंटों में ही तापमान में व्यापक परिवर्तन हो जाता है। गोबी रेगिस्तान में वर्षा की औसत मात्रा 50 से 100 मि.मी. है। यहां अधिकतर वर्षा गर्मी के मौसम में ही होती है। यहां का तापमान -400 सेल्सियस (जनवरी में) से लेकर 450 सेल्सियस (जुलाई में) के बीच में रहता है।

गोबी रेगिस्तान का दृश्यगोबी रेगिस्तान का दृश्यगोबी रेगिस्तान में अधिकतर नदियां बारिश के मौसम में ही बहती हैं। अतएव, केवल वर्षा ऋतु में ही नदी में पानी रहता है। निकटवर्ती पर्वतों से जल धाराएं रेगिस्तान की शुष्क भूमि में समा जाती हैं।

गोबी रेगिस्तान में काष्ठीय व सूखा प्रतिरोधी गुणों वाले सैकसोल नामक पौधे बहुतायत में मिलते हैं। लगभग पत्ति विहीन यह पौधा ऐसे क्षेत्रों में भी उग आता है जहां की रेत अस्थिर होती है। अपने इस विशेष गुण के कारण यह पौधा भूक्षरण को रोकने में सहायक होता है।

गोबी रेगिस्तान बेकिटरियन ऊंट (जिनके दो कूबड होते हैं) का आवास स्थल माना जाता है। कछु जगंली किस्म के गधे भी होते हैं। संसार के रेगिस्तान के विशेष भालू इसी रेगिस्तान में पाए जाते हैं। इन भालू की प्रजाति ‘मज़ालाई’ अथवा ‘गोबी’ लुप्त होने के कगार पर है। इसके अतिरिक्त यहां जंगली घोड़े, गिलहरी व छोटे कद के बारहसिंगे भी होते हैं।

दि ग्रेट बेसिन रेगिस्तान


यह अमेरीका का सबसे बड़ा रेगिस्तान है जो लगभग 4,09,000 वर्ग कि.मी. तक के क्षेत्र में फैला है। यह ओरेगोन, इदाहो, नेबादा, यूटा, योर्मिंग, कोलोराडो तथा केलिफोर्निया राज्यों के बीच कालाहारी रेगिस्तान का दृश्यकालाहारी रेगिस्तान का दृश्यफैला हुआ है। इसका अधिकांश भाग यूटा तथा नेवादा राज्यों में स्थित है। यह ऊंचाई पर स्थित रेगिस्तान है जिसका अधिकांश क्षेत्र समुद्र सतह में 1200 मीटर ऊपर की ऊंचाई पर स्थित है। इस रेगिस्तान में एक नहीं अपितु अनेक बेसिन है। वार्षिक वर्षा का औसत 250 मि.मी. रहता है।

यहां अधिकतर ‘साल्टबुश’ नामक वनस्पति पैदा होती है। यहां मिलने वाले जीवों में सर्प, सींगो वाला गिरगिट तथा खरगोश मुख्य हैं।

कालाहारी रेगिस्तान


यह दक्षिण अफ्रीका में स्थित है। यह बोरटबान के अधिकांश क्षेत्र, नामीबिया तथा दक्षिण अफ्रीका के कुछ भूभाग में फैला हुआ है। यह रेगिस्तान दक्षिण में ‘ओरेंज नदी’ तथा उत्तर में ज़ाम्बेज़ी नदी के बीच स्थित है। कालाहारी शब्द संभवतः ‘कीर’ से बना है जिसका अर्थ ‘बेहद प्यास’ है। यह भी कहा जाता है कि ‘कालाहारी’ विशेष जनजातीय शब्द ‘कालागारी’ अथवा ‘कालागारे’ से उत्पन्न हुआ माना जाता है जिसका अर्थ ‘जलविहीन स्थान’ होता है। अन्य रेगिस्तानों की भांति इस स्थान पर भी रेत के टीले व बजरी के समतल क्षेत्र हैं। यहां के टीले लगभग स्थिर रहते हैं। कालाहारी रेगिस्तान में अधिकतर रेत बहुत महीन तथा कहीं लाल, तो कहीं स्लेटी रंग की होती है।

यह विवादित विषय है कि कालाहारी क्या वास्तविक रूप में एक रेगिस्तान हैं? कुछ लोगों का मत है कि इसे रेगिस्तान की श्रेणी में नहीं रखा जाए, क्योंकि यहां पर वर्षा का स्तर 250 से.मी. से अधिक रहता है। इस रेगिस्तान का अधिकांश क्षेत्र जीवाश्म-रेगिस्तान माना गया है। इस रेगिस्तान का दक्षिण-पश्चिमी भाग अति शुष्क है। यहां ग्रीष्म ऋतु में तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है। जबकि शीतकाल में यहां तापमान जमाव बिंदु से भी नीचे चला जाता है।

कालाहारी रेगिस्तान में शेर, लकड़बघ्घा, हिरन तथा अनेक प्रकार के सरीसृप (रेंगने वाले जीव) तथा अनेक प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। कालाहारी रेगिस्तान में 400 से अधिक वनस्पतियां पाई जाती हैं। किंतु मुख्य रूप से यहां बबूल की झाडि़यां तथा अन्य घास पैदा होती हैं।

इस मरुभूमि में समुचित मात्रा में कोयला, हीरा, तांबा, निकल तथा यूरेनियम के भंडार हैं। विश्व में हीरों की प्रमुख खदानों में पूर्वोत्तर कालाहारी के आरोपा क्षेत्र में स्थित हीरे की खान भी शामिल है। यहां अधिकतर खानाबदोश यानी यायावर लोग ही रहते हैं जो स्थान बदलते रहते हैं। यहां के स्थाई निवासियों को ‘बुशमैन’ कहा जाता है, जो अनेक जनजातीय लोगों का मिलाजुला नाम है। ये लोग कालाहारी के रेगिस्तानी क्षेत्र में पिछले बीस हजार वर्षों से रह रहे हैं।

कराकुम रेगिस्तान


कराकुम का शाब्दिक अर्थ ‘काली रेत’ है। यह रेगिस्तान 2,97,900 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है। तुर्कमेनिस्तान में स्थित यह रेगिस्तान केस्पियन सागर के पश्चिमी किनारे के पूर्व से अमूदरिया नदी के पश्चिम तक फैला हुआ है। इस रेगिस्तानी की धरती की विशेषता दरार युक्त चिकनी मिट्टी की सतह तथा ‘अर्धचंद्राकार टिब्बे’ हैं। औसतन यहां 100 से 200 मि.मी. वर्षा होती है। यहां तापमान -14 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। मुख्य वनस्पति के रूप में यहां ‘काले सेकसोल’ के पेड़ होते हैं।

मोजावे रेगिस्तान


मोजावे रेगिस्तान को मोहावे रेगिस्तान भी कहते हैं। यह अमेरीका की विशाल द्रोणी का ही एक भाग है। यह रेगिस्तान किसी समय सागर का ही अंतर्भाग था जो ज्वालमुखीय प्रक्रिया के कारण और कोलोरडो नदी द्वारा एकत्रित पदार्थों द्वारा बना है। यह रेगिस्तान उत्तर तथा पश्चिम दिशा में सीरा नेवादा, तालाचापी तथा सन गब्रिल एवं बर्नारडिनो की पवर्त श्रृंखलाओं द्वारा सीमित है जो दक्षिण-पूर्व में कोलोरडो रेगिस्तान में जा मिलता है। मोजावे रेगिस्तान में असंख्य झीलें व झरने हैं।

 यह क्षेत्र पूरे वर्ष गर्म रहता है। लेकिन इस क्षेत्र में दिन व रात के तापमान में काफी अंतर होता है। यहां का तापमान -13 डिग्री सेल्सियस और 48 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। इस क्षेत्र में 50 से 125 मि.मी. तक वार्षिक वर्षा होती है जो अधिकतर सर्दियों में ही होती है। यहां दोपहर तथा शाम के समय तेज हवाएं चलती हैं। इस रेगिस्तान में सूखे की स्थिति से अप्रभावित रहने वाली अनेक प्रकार की झाडि़यां मिलती हैं। यकका परिवार का जोशुआ वृक्ष इस क्षेत्र की पहचान बन गया है। यहां पर खनिज व धातुओं के रूप में बोरेक्स, स्वर्ण तथा लोहा मुख्य होते हैं।

नामीब रेगिस्तान


नामीब रेगिस्तान नामीबिया में स्थित है और ऐसा माना जाता है कि यह संसार का सबसे पुराना रेगिस्तान है। लगभग पिछले 8 करोड़ वर्षों से यह क्षेत्र शुष्क या अर्धशुष्क रहा है। इस रेगिस्तान की रचना दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के तटीय किनारों के साथ बेगुंएला की ठंडी जल धाराओं द्वारा शुष्क वायु से ठंडा होने पर संभव हुई है। इस रेगिस्तान की चैड़ाई लगभग 160 कि.मी. तथा लंबाई 1300 कि.मी. है। यहां के बालू के टीले अस्थिर होते हैं। इस रेगिस्तान के बालू के कुल टीलों में से ‘स्टार टिब्बा’ लगभग 10 प्रतिशत है।

यहां वार्षिक वर्षा का औसत 15 मि.मी. से कम ही रहता है। यहां की नमी का मुख्य स्रोत तटीय क्षेत्र का कोहरा होता है। यह रेगिस्तान लगभग ऊसर है फिर भी यहां वनस्पति तथा जीवों की अनेक प्रजातियां विद्यमान हैं। संसार की एक दुर्लभ वनस्पति प्रजाति ‘वेलविटचिअ मिरेबिलिस’ (Welwitschia miabilis) यहां उगती है। झाड़ी के प्रकार के ये पौधे अच्छी लंबाई तक बढ़ते हैं तथा इनमें चौड़ी-चौड़ी पत्तियां निकलती रहती हैं। यह पत्तियां बहुत लंबी भी हो जाती हैं तथा तेज हवा के कारण घुमावदार आकार की हो जाती हैं। यह पौधा विपरीत परिस्थितियों में भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। ये वनस्पतियां तटीय क्षेत्र के कोहरे से नमी सोखने की क्षमता रखती हैं। यहां की चट्टानों पर लाइकेन यानी शैवाक नामक रंग-बिरंगी वनस्पतियां बहुतायत में पाई जाती हैं। अफ्रीकन हाथी समेत यहां अनेक प्रकार के पशु निवास करते हैं।

इस रेगिस्तान में मानव का वास नहीं है तथा वहां पर पहुंचना भी कठिन है। हालांकि इस रेगिस्तान का सैसरीम क्षेत्र वर्ष भर आबाद रहता है। इस रेगिस्तान में टंगस्टन, नमक तथा हीरे की खाने हैं।

नेगेव रेगिस्तान


नेगेव शब्द का उद्भव हिब्र भाषा से हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ सूखा है। इसे नेगेब रेगिस्तान भी कहा जाता है। यह रेगिस्तान इजराइल के क्षेत्रफल का लगभग आधे से अधिक भाग रखता है। यह प्रतिलोमी त्रिभुजाकार आकार की रचना करता है जिसके पश्विमी तरफ सिनाई प्रायद्वीपीय आरै पूर्वी भाग में सीमा वादी अरबह इसकी सीमाओं पर जार्डन की पहाडि़यां, सिनाई प्रायद्वीप तथा भूमध्यसागर की एक पतली तटीय पट्टी स्थित है। समान्य रेगिस्तानों की भांति नेगेव रेगिस्तान रेत से ढका नहीं है। यहां पर भूरे, चट्टानी और धूल भरे पर्वत उपस्थित हैं जो वादियों और गहरे गड्ढों से संबद्ध हैं। सामान्यतया यह क्षेत्र आदिकालीन सागरीय युग से पहले का है और यहां समुद्री स्नेल के कंकाल अभी भी बिखरे हुए हैं। इस रेगिस्तान में तांबा, फॉस्फेट तथा प्राकृतिक गैस उपलब्ध हैं।

पैटागोनिया रेगिस्तान


पैटागोनिया रेगिस्तान विश्व का पांचवा सबसे बड़ा रेगिस्तान होने के साथ ही अमेरिका का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल 6,73,000 वर्ग किलोमीटर है। यह मुख्य रूप से अर्जेंटीना से लगा हुआ है और आंशिक रूप से चिली क्षेत्र तक फैला हुआ है। दक्षिणी अर्जेंटीना के पैटागोनिया क्षेत्र के पश्चिम में इसकी सीमा एंडिज पर्वत से और पूर्वी सीमा अटलांटिक महासागर से लगी हुई है। यह एक ठंडा रेगिस्तान है। अर्धशुष्क प्रकृति वाला यह रेगिस्तान चूबुत तथा सांताक्रुज के दक्षिणी राज्य में स्थित एंडिज पर्वत की वृष्टिछाया क्षेत्र तक फैला हुआ है। यहां पूरे वर्ष का औसतन तापमान केवल 7 डिग्री सेल्सियस होता है। यहां पर वर्षा 100 से 260 मि.मी. होती है। इस रेगिस्तान में तेज पछुवा पवनें चलती हैं। इन पवनों में उपस्थित धूल व रेत के कणों के कारण यहां पर बहुत कम वनस्पतियां पायी जाती हैं। यहां के खनिजों में कोयला, प्राकृतिक गैस, तेल व लोहा प्रमुख हैं। अन्य खनिजों के रूप में यहां थोड़ी मात्रा में यूरेनियम, जस्ता व सीसा भी मिलते हैं।

सहारा रेगिस्तान


सहारा या ग्रेट सहारा रेगिस्तान विश्व का सर्वाधिक गर्म और अंटार्कटिका के बाद दूसरा सबसे विशाल रेगिस्तान है। यह रेगिस्तान 90,00,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है जो लगभग संयुक्त राज्य अमेरिका के क्षेत्रफल के बराबर है। पृथ्वी का सबसे विशाल रेगिस्तान सहारा ही है जो उत्तरी अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अटलांटिक महासागर से नील नदी या लाल सागर तक विस्तृत है। यह संसार की समस्त मरुभूमि का आधा भाग है। अरबी भाषा में ‘सहार’ का अर्थ रेगिस्तान होता है, सहारा शब्द बहुवचन है। वास्तव में सहारा एक नहीं अपितु अनेक रेगिस्तानों का नाम है। सहारा रेगिस्तान उत्तरी अफ्रीका में स्थित है। इस रेगिस्तान के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र, चट्टानी क्षेत्र, मिट्टी और कंकर से ढके मैदान, नमक के क्षेत्र तथा रेत के विशाल टीले उपस्थित हैं। भूगर्भीय प्रमाणों के अनुसार सहारा किसी समय में वनस्पति से परिपूर्ण क्षेत्र था तथा उसका कुछ भाग सागर के अंदर था।

विश्व के विषम जलवायु वाले क्षेत्रों में सहारा रेगिस्तान भी शामिल हैं। सहारा रेगिस्तान के विभिन्न भागों में औसतन वर्षा 20 से 400 मि.मी. तक होती है जबकि इसके कुछ अन्य भागों में अनेक वर्षों तक वर्षा विहीन स्थिति बनी रहती है। यह रेगिस्तान सहारा रेगिस्तानसहारा रेगिस्तानगर्म स्थान है। 13 दिसंबर 1922 में इस रेगिस्तान में स्थित लीबिया के अजीजिया क्षेत्र में सर्वाधिक तापमान 580 सेल्सियस मापा गया था। सहारा रेगिस्तान में आने वाले तूफान अकसर स्थानीय होते हैं जो करीब 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले छोटे क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। सहारा की मौसम प्रणाली में तेज तथा अनिश्चित हवाएं जटिल होती हैं। इनका नाम खमसिन, सिरोक्कू, शहली और सिमोन हैं जो दिन के पिछले भाग में बहती हैं और ये हवाएं अपने साथ धूल और बालू की विशाल मात्रा लाती हैं।

इस रेगिस्तान का मुख्य भाग पठार क्षेत्र है जिसके मध्य पर्वतों के शिखर की ऊंचाई 3,415 मी. तक है। इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों जैसे कि उत्तर-पूर्व में स्थित लीबिया रेगिस्तान में रेतीले टीलों की भरमार है। सहारा रेगिस्तान की दृश्यावली मुख्य रूप से तेज हवाओं द्वारा चट्टानों व रेत की टीलों की स्थापना व विस्थापना से परिवर्तित होती है। लगभग 5000-10000 वर्ष पहले सहारा एक जलयुक्त नम स्थान हुआ करता था लेकिन ईसा से लगभग 3000 वर्ष पहले से यह एक शुष्क क्षेत्र में परिवर्तित होने लगा था।

यूं तो सहारा रेगिस्तान में वनस्पतियां कम ही हैं लेकिन फिर भी अधिकतर हिस्सों में यायावर लोगों के लिए ऊंट, बकरी और भेड़ें पालने के लिए पर्याप्त हैं। इस छोटी आबादी की जरूरतों को पूरा करने में यहां उपस्थित नखलिस्तान पर्याप्त हैं।

सहारा रेगिस्तान में पहले अन्वेषी यात्री के रूप में फैड्रिक होर्नमेन का नाम है जिन्होंने 1805 में इस स्थान की यात्रा की थी। फैड्रिक होर्नमेन के बाद मुंगो पार्क ने 1806 में सहारा रेगिस्तान की यात्रा की थी। अभी भी सहारा के अनेक क्षेत्र लगभग अनजानें ही हैं। लेकिन इस रेगिस्तान के अधिकांश क्षेत्रों के लिए, विशेष रूप से नखलिस्तान तथा खदानी क्षेत्रों के लिए, वायुयान तथा मोटर गाडि़यों की सुविधा उपलब्ध हैं।

सोनारन रेगिस्तान


मोजावे रेगिस्तान के उत्तर में स्थित सोनारन रेगिस्तान का अधिकांश भाग अमेरीका के एरीज़ोना क्षेत्र में स्थित है। यहां रेतीले टीलों की भरमार है। इसके उपक्षेत्रों में कोलाराडो रेगिस्तान और यामा रेगिस्तान आते हैं। इसका क्षेत्रफल 2,75,000 वर्ग किमी. है। सोनारन रेगिस्तान उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा और सर्वाधिक गर्म स्थलों में एक गर्म रेगिस्तान है। जहां तापमान -13 डिग्री सेल्सियस -48 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है। इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा 250 मि.मी. तक होती है।

नागफनी यहां की मुख्य वनस्पति है जो यहां अच्छी पनपती हैं। इसकी कुछ प्रजातियां 12 मीटर लंबी होती हैं। शीत ऋतु में वर्षा के कारण वनस्पति की पैदावार अच्छी होती है तथा शीत ऋतु के सोनारम रेगिस्तानसोनारम रेगिस्तानदौरान यहां रंग-बिरंगे सुंदर पौधे भी खूब दिखाई देते हैं। नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले कीटाणु भी कुछ विशेष पौधों में मिलते हैं। ये पौधे धरती की उर्वरता बढ़ाते हैं। सोनारन रेगिस्तान के जीवों में मुख्य रूप से बड़ी-बड़ी छिपकलियां (जिन्हें कि चकवाला कहते हैं) बिच्छू तथा रेगिस्तानी कछुए पाए जाते हैं।

ताकला माकन रेगिस्तान


ताकला माकन रेगिस्तान पश्चिमी चीन के जिनजियांग प्रांत में स्थित हैं। यह चीन का सबसे बड़ा और शुष्कतम रेगिस्तान होने के साथ सर्वाधिक गर्म स्थल भी है। कुनलुम पर्वत और तिब्बत के पठार से लेकर दक्षिण में और उत्तर में टाईन शान के मध्य विस्तृत रेगिस्तान टारिम द्रोणि को भरता है। यह सागरों से धरती के अन्य किसी स्थान से अपेक्षाकृत अधिक दूर स्थित हैं। यह रेगिस्तान एशियाई मानसून से अप्रभावित रहता है। उत्तर से आने वाले आर्कटिक तूफानों को भी इस रेगिस्तान को घेरे हुए पर्वत रोक लेते हैं। इस क्षेत्र में नालियों की कमी होने से जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने से नमक बहुत विशाल क्षेत्र में मिलता है।

ताकला माकन रेगिस्तान का अर्थ है - जहां से वापसी असंभव है। यह क्षेत्र शुष्क पथरीले समतल और अस्थाई रेतीले टीलों से बना है। यहां विश्व के सर्वाधिक अस्थाई रेतीले टीले मौजूद होते हैं। इस रेगिस्तान के करीब 85 प्रतिशत भाग पर बालू के टीले हैं जहां बहुत ही कम संख्या में या न के बराबर वनस्पतियां उगती हैं। इसका क्षेत्रफल 3,27,000 वर्ग किलोमीटर है। इस रेगिस्तान में वार्षिक वर्षा का औसत 40 से 100 मि.मी. है। बर्फ से आच्छादित पहाडि़यों की बर्फ से पिघलने से प्राप्त पानी से अनेक नदियां इस रेगिस्तान से होकर गुजरती हैं।

थार रेगिस्तान


थार रेगिस्तान विश्व का सातवां सबसे बड़ा रेगिस्तान होने के साथ ही निःसंदेह हिंद-प्रशान्त क्षेत्र का सबसे कम आबादी वाला पारिस्थितिकी तंत्रा है। इसे ‘ग्रेट इंडियन डिजर्ट’ के नाम से भी थार रेगिस्तानथार रेगिस्तानजाना जाता है। थार रेगिस्तान का नामकरण पाकिस्तान के सिंध प्रांत के एक जिले ‘थारपारकर’ के नाम पर दिया गया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में यह क्षेत्र चोलिस्तान के नाम से भी जाना है। थार रेगिस्तान का क्षेत्रफल 259,000 वर्ग कि.मी. है तथा इसका 69 प्रतिशत भाग भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। यह भारत के चार प्रदेशों, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात में फैला हुआ है। इस रेगिस्तान का अधिकांश क्षेत्र, लगभग भारतीय थार क्षेत्र का 60 प्रतिशत हिस्सा पश्चिमी राजस्थान में स्थित है। थार रेगिस्तान भारत-ईरान शुष्क क्षेत्र का हिस्सा है जो केस्पियन सागर तक फैला है। भारत-ईरान शुष्क प्रदेश के अंतर्गत अनेक रेगिस्तान आते हैं जिनमें से थार रेगिस्तान भी एक है। यह रेगिस्तान अन्य क्षेत्रों से चौड़ी उपजाऊ घाटियों (सिंधु नदी तथा उसकी सहायक नदियों) द्वारा अलग होता है।

यह स्थल अपने ऊंचे रेतीले टीलों के लिए प्रसिद्ध है। थार रेगिस्तान में कोई-कोई टीले तो 150 मीटर तक ऊंचे होते हैं। इस रेगिस्तान के कुछ ही हिस्सों में रेत के सक्रिय टीले मिलते हैं। अदिकतर यहां बालू के टीले असक्रिय होते हैं। लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह टीले अस्थाई होकर स्थान परिवर्तन करते रहते हैं। इस क्षेत्र में ‘परवलयाकार’ (पेराबोलिक) टिब्बा भी होता है। यह निश्चित रूप से अस्वाभाविक परिघटना है। इन विशेष प्रकार के रेत के टीलों के कारण निरंतर तेज हवाएं चलती हैं।

यहां की जलवायु अत्यंत विषम है। यहां ठंड में तापमान हिमांक बिंदु तक चला जाता है। वहीं गर्मियों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। थार रेगिस्तान में बारिश दक्षिण-पूर्वी मानसून के कारण होती है। इस क्षेत्र में जुलाई से सितंबर के दौरान 100 से 500 मि.मी. बारिश हो सकती है। मई तथा जून के महीनों में यहां रेतीली आंधी आती है और जिसकी गति 150 कि.मी प्रति घंटा तक होती है। भारतीय सीमा वाले थार रेगिस्तान में वर्षा की औसत वार्षिक मात्रा 345 मि.मी. तक होती है। यहां वर्षा की मात्रा पश्चिमी भाग में 100 मि.मी. तक तो पूर्वी सीमा के निकट यह 400 मि.मी. तक हो जाती है। इन रेगिस्तान का कुछ क्षेत्र सतलज नदी द्वारा सिंचित होता है। यहां पर कोई स्थानीय किस्म के नागफनी और पाम के पौधे नहीं मिलते। थार रेगिस्तान में रेत के विशाल स्थल के बीच चट्टानी पहाडि़यां तथा बजरी के समतल क्षेत्र भी होते हैं।

रेगिस्तान क्षेत्र में खेजरी वृक्षों का दृश्यरेगिस्तान क्षेत्र में खेजरी वृक्षों का दृश्यभारत में राजस्थान का थार रेगिस्तान संसार का सबसे रूखा रेगिस्तान होने के साथ ही सर्वाधिक बसावट वाला गर्म रेगिस्तान है। इतनी कठोर जलवायु के बावजूद यहां की विषम परिस्थितियों में जीवों की बहुत सी प्रजातियां पाई जाती हैं। यहा पाए जाने वाले स्तनधारी जीवों में चिंकारा, कृष्णमृग (ब्लैक बक), रेगिस्तानी लोमड़ी और केराकल प्रमुख हैं। रेगिस्तान में पाए जाने वाले ये जीव चेपट या कोर क्षेत्रों में रन के नाम से भी प्रसिद्ध घास के खुले मैदानों और लवणीय क्षेत्रों में विचरण करते हैं। थार रेगिस्तान में छिपकलियों और सर्पों की बीस से अधिक प्रजातियां मिलती हैं, जिनमें से अनेक स्थानिक (ऐन्डेमिक) प्रजातियां हैं। यहां पाए जाने वाले पक्षियों में वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ भी पाई जाती है। इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण वृक्ष खेजरी (प्रोसोपिस सिनेरेलिया) है। इस वृक्ष की उपयोगिता का अंदाजा खेजरी के संबंध में प्रसिद्ध इस कथन से भलि-भांति लगता है कि ”जहां खेजरी का पेड़ होगा वहां अकाल में भी कोई मौत नहीं होगी, क्योंकि यह पेड़ बकरियों, ऊटों और मानवों के लिए आवश्यक परिवेश बनाए रखने में सहायक होता है।“

थार रेगिस्तान का अध्ययन करने पर स्पष्ट रूप से यह पता लगता है कि विस्तृत रूप से फैला यह स्थान भयावह होने के बावजूद मनमोहक भी है।

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