संदर्भ दिल्ली बाढ़: कचरा प्रबंधन के बिना बाढ़ मुक्ति नहीं

बाढ़ (courtesy - needpix.com)
बाढ़ (courtesy - needpix.com)

इस बार देश की राजधानी दिल्ली में हुए जलभराव की काफी चर्चा हो रही है। जलभराव की वजह से लोगों का जनजीवन प्रभावित होता है‚ और उन्हें परेशानी होती है। इसलिए चर्चा होने स्वाभाविक है। अगर इस समस्या को दो प्रश्नों के जरिए समझा जाए तो यह विषय संभवतः ठीक से समझ में आएगा। जलभराव क्यों हुआॽ क्या जलभराव रोका जा सकता हैॽ दिल्ली में 28 नाले हैं‚ जिनमें दिल्ली की बस्तियों और कॉलोनियों का पानी होता है। इन नालों का पानी यमुना में जाकर गिरता है। बारिश से कम से कम दो महीने पहले इन नालों की अच्छे से सफाई की जाती रही है। यह सफाई जरूरी है क्योंकि नालों में साल भर का कूड़़ा–करकट‚गाद जमा हो जाता है। सफाई नहीं किए जाने पर नालों में पानी रुक जाएगा। 

नालों की समय से सफाई के लिए हमेशा से अप्रैल में संबंधित विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय बैठक रखी जाती हैं। एमएसड़ी‚ एनड़ीएमसी‚ बाढ़ नियंत्रण विभाग‚ पीड़ब्लूड़ी‚ डीडीए और कैंटोनमेंट बोर्ड़ के अधिकारी ऐसी बैठकों में शामिल होते हैं। अधिकारी निरंतर नालों की स्थिति और जलभराव की संभावित जगहों का अवलोकन करते हैं यानी कह सकते हैं कि जलभराव न हो इसके सारे इंतजाम किए जाते हैं। दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास मिंटो ब्रिज है‚ जो संभवतः अपने निर्माण के समय से ही काफी नीचे है। वहां अक्सर बारिश में पानी जमा हो जाता है‚ पानी की निकासी के लिए मोटर पंप लगाना पड़़ते हैं। तिलक ब्रिज पर भी बारिश में जल भराव की समस्या पैदा होती है‚ वहां भी पानी निकालने के लिए मोटर पंप का इस्तेमाल किया जाता है।

 पानी की निकासी का उचित प्रबंधन जरूरी

अब इस बात का भी समझना होगा कि अगर ज्यादा बारिश हुई है‚ तो मिंटो ब्रिज और तिलक ब्रिज जैसे कुछ स्थानों पर पानी को निकालने में थोड़़ा समय तो लगेगा ही। हालांकि इन दोनों स्थानों पर बारिश के पानी को ठहरने नहीं देने के पहले से काफी बेहतर उपाय अब किए जा रहे हैं। दोनों स्थानों से काफी ट्रैफिक गुजरता है‚ इसलिए बारिश का थोड़़ा सा भी जल भराव चर्चा में आ जाता है। इन सारी बातों को कहने का आशय यही समझाना था कि बारिश में जलभराव तो होगा लेकिन अगर पानी की निकासी का उचित प्रबंधन भी होगा तो यह बड़़ी समस्या नहीं बनेगा। 

इस बार दिल्ली में उन इलाकों से भी जलभराव की तस्वीरें सामने आईं, जहां चुने हुए जनप्रतिनिधि या वीआईवी वर्ग रहता है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि एनड़ीएमसी इलाके में जलभराव की समस्या कैसे पैदा हो गईॽ सीधी सी बात है कि जल निकासी का उचित प्रबंध नहीं होगा तो कहीं भी पानी का जमाव हो सकता है। हम यह कैसे भूल जाते हैं कि एनड़ीएमसी इलाके में बारिश का जो पानी जमा होता है‚ उसकी निकासी का भी तो जरिया नाले ही हैं। अगर नालों की प्रॉपर सफाई नहीं होगी तो दिल्ली का हर इलाका जलभराव की समस्या का सामना करेगा। इन सारी बातों को विस्तार से बताने का आशय यही था कि मूल समस्या अच्छी तरह से समझ में आ जाए। 

अब दूसरे प्रश्न पर आया जाए। क्या जलभराव रोका जा सकता है‚ बिल्कुल रोका जा सकता है। इसके लिए किसी राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी जरूरत नहीं है। बस सरकारी विभागों और एजेंसियों को तालमेल बिठाकर काम करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि इसमें किसी तरह की राजनीति आड़े़ आती है‚ बस वरिष्ठ अधिकारियों को सबको साथ बिठाने की पहल करनी पड़़ती है। दिल्ली नगर निगम का आयुक्त रहने के दौरान मैंने भी हर बारिश से पहले सभी विभाग और एजेंसियों के अधिकारियों को साथ बिठाया और सबके बीच तालमेल से जलभराव को समस्या बनने से रोका। ऐसा पहले भी होता रहा है‚ और आगे भी करना पड़े़गा। अगर विभागों और एजेंसियों के बीच तालमेल हो जाएगा तो नालों की समय से अच्छी सफाई भी सुनिश्चित हो सकेगी। एक बात का ध्यान रखना है कि यह अच्छी सफाई समय से हो जाए यानी बारिश आने से काफी पहले इस काम को कर लिया जाए॥।

आबादी का महानगर पर काफी बोझ

 दिल्ली में जलभराव या यहां के निवासियों को प्रभावित करने वाली किसी भी समस्या की बात करने से पहले यहां की परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा। आबादी का इस महानगर पर काफी बोझ है। अनियंत्रित निर्माण है। सड़़कों पर अतिक्रमण है। कचरा कहीं भी फेंक दिया जाता है। इस कचरे में बड़ी मात्रा में पॉलीथीन भी होती है‚ जोे पानी की निकासी में अक्सर बाधक बनती है। 

मैंने अपनी किताब ‘स्टेट ऑफ द कैपिटलः क्रिएटिंग अ ट्रूली स्मार्ट सिटी' में इस बात की विस्तार से चर्चा की है कि राजधानी में बेहतर नगर नियोजन कैसे किया जा सकता है। इसमें मेरे दिल्ली नगर निगम में आयुक्त के रूप में चार साल (2008 से 20१2) के दौरान हुए अनुभव से निकले समाधानों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इसमें अनियंत्रित निर्माण की भी चर्चा है और इस बात का भी उल्लेख है कि अतिक्रमण की वजह से दिल्ली की सड़़कें छोटी हो गई हैं। इस किताब में मैंने दिल्ली को सुंदर और व्यवस्थित शहर बनाने के लिए स्वच्छता और जलभराव समेत कई अन्य विषयों पर भी प्रकाश ड़ाला है। अपनी बात को विराम देने से पहले जनभागीदारी के नजरिए से कुछ बातें और कहना चाहता हूं। नागरिकों को कहना चाहूंगा कि वे भवन निर्माण से निकले कचरे को जमा नहीं होने दें और अपने यहां पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था रखें। इसी काम को व्यापक अर्थों में आरडब्लूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को करना है। आरड़ब्लूए और नागरिकों की ऐसी भूमिका दिल्ली नगर निगम और सरकारी विभागों की काफी मदद करेगी। जलभराव की समस्या बड़़ा रूप नहीं ले सकेगी। 

लेखक दिल्ली नगर निगम के पूर्व आयुक्त रह चुके हैं।
 

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Post By: Kesar Singh
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