समुंदर

नीली मौजें
सारा दिन
नंगे साहिल के पांव को चूमती हैं
रेत के नन्हें-नन्हें घरौंदे तोड़ती हैं
साहिल की चमकीली रेत पे खिलती हैं
थोड़ी-थोड़ी देर के बाद
गले लगाकर साहिल को
भूरे समुंदर की अजमत के गुण गाती हैं

और समुंदर
मुट्ठी भरकर
अपना खजाना सब को लुटाता रहता है
मैं भी अपने बस्ता में
सीप, शंख, मोती लाया था
जब भी तेरी याद आती है
शंख कान पर धरता हूं
बुरी सदाएं सुनता हूं

उर्दू कविता

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