मुंबई के समुद्र तट के पास सात अगस्त को दो पनामाई मालवाहक जहाज एमएससी चित्रा और मर्चेन्ट वेसल खलीजा की टक्कर के बाद एक जहाज में से तेल रिसाव होना शुरू हुआ। जहाजरानी महानिदेशालय द्वारा शुरू की गई प्रारंभिक जांच में पता लगा है कि सम्भवत: दोनों जहाजों के बीच संचालन संबंधी खामी और रेडियो संचार में नाकामी की वजह से यह टक्कर हुई। इसके बाद से हर दिन समुद्र में एक टन तेल गिर रहा है और इस जहाज में करीब 2800 टन तेल है जिसमें से 800 टन समुद्र में पहले ही बह चुका है।
रक्षा मंत्रालय से आ रही सूचनाओं के मुताबिक जहाज एमएससी चित्रा अब भी खतरनाक तरीके से झुका हुआ है और स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। उसमें रखे कई सौ डिब्बों में से कुछ तो अरब समुद्र में भी गिर गए हैं और जहाज डूबने की कगार पर पहुंच गया है। समुद्र में गिर रहा तेल फरनेस फ्यूल ऑयल है। जहाज के अधिकारियों के अनुसार जहाज चित्रा पर करीब 1200 कंटेनर थे जिनमें से करीब 400 समुद्र में गिर चुके हैं। अभी और कंटेनर समुद्र में गिरने की स्थिति में हैं, जहाज का झुकाव 60-70 डिग्री तक टेढ़ा है। अधिकारियों के हाथ-पांव फूले हैं उनके लिए अभी ये कहना संभव नहीं है कि इसे रोकने में कितना समय लग जाएगा। हो सकता है महीने, डेढ महीने के बाद ही जहाज के कंटेनर बाहर निकाले जा सकें लेकिन इस दौरान जो प्रदूषण की मार लोगों को झेलनी होगी, उसका अनुमान लगाना भी मुश्किल हो रहा है। समुद्र के जलचरों, मछलियों पर इसका इतना असर हुआ है कि या तो वे पूरी तरह से जहरीली हो चुकी हैं या फिर मर चुकी हैं। कंटेनरों में कुछ हानिकारक रसायन भरे थे, जिसके कारण ऐसा हो रहा है। तेल समुद्र में दूर तक के इलाकों में फैल गया है। जिन-जिन क्षेत्रों में तेल के धब्बे दिख रहे हैं वहां प्रदूषण रोधी रसायनों का छिड़काव किया जा रहा है। तेल के बहने का सबसे ज्यादा असर पर्यावरण पर और मछुआरों पर पड़ने का डर है। तेल बहाव का सबसे ज्यादा असर करीब 10 हजार छोटे मछुआरों पर पड़ा है। मछुआरा समुदाय अपनी जीविका के नुकसान होने पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। सरकार चाहे जो भी कहती रहे तेल मुंबई के काफी नजदीक तक पहुंच चुका है। मछुआरों का कहना है कि तेल एलीफैंटा द्वीप के आसपास फैला हुआ है, हालांकि सरकारी तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। हालांकि मुम्बई के तट के पास आपस में टकराए पनामा के दो मालवाहक जहाजों में से एक से हो रहा तेल का रिसाव सोमवार को बंद हो जाने से राहत की सांस ली गई लेकिन आसपास के समुद्र के पानी में तेल और जहरीले तत्वों की मौजूदगी से पर्यावरण संबंधी चिंताएं बनी हुई हैं। भारतीय तटरक्षक ने सोमवार को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से कहा है कि वे तेल रिसाव के मद्देनजर अपने अनुसंधान के लिए समुद्री पानी का इस्तेमाल नहीं करें।
तटरक्षक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर होने की शर्त पर कहा कि हमने बार्क से कहा है कि अपनी किसी भी सुविधा के लिए समुद्री पानी का इस्तेमाल नहीं करें क्योंकि यह शनिवार को टक्कर के बाद जहाजों से रिसे तेल से प्रदूषित है। अधिकारी ने ये भी कहा कि शीतलन के लिए समुद्री पानी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए क्योंकि मुंबई मैनग्रोव के अलावा अलीबाग, मारवा, सीवरी और एलीफेंटा गुफाओं के तटों तक तेल का रिसाव पहुंच चुका है।
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