विश्व जल दिवस की थीम में शहरों में पानी की किल्लत पर विशेष ध्यान, किफायत और जागरूकता से ही कम हो सकती है समस्या
घर में जो पानी आता है वह कब तक आता रहेगा? आम समझ ये है कि जब तक जल संस्थान का बिल भरते रहेंगे या जब तक सबमर्सिबल जमीन से पानी खींचता रहेगा। लेकिन ऐसा नहीं है। एक रोज ऐसा भी आएगा जब बिल भरने पर भी पानी नहीं मिलेगा और सबमर्सिबल भी काम नहीं करेगा।
लखनऊ, विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन जियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ध्रुवसेन बताते हैं कि समंदर और नदियों को देखकर हम यह गतफहमी पाल लेते हैं कि हमें अनंतकाल तक पानी मिलता रहेगा, पर ऐसा नहीं है। धरती पर जितना उपलब्ध पानी है उसका 97 फीसदी खारा है। शेष तीन फीसदी मीठे जल में से सिर्फ 30 फीसदी भूजल स्रोत के रूप में उपलब्ध है। यानी पृथ्वी पर उपलब्ध कुल पानी का एक फीसदी से भी कम मीठे पानी के रूप में भूगर्भ में है। इसमें से भी 70 फीसदी पानी ट्यूबवेलों के जरिए निकालकर खेतों की सिंचाई के काम आता है। इसीलिए प्रदेश के 630 छोटे-बड़े शहर पानी की कमी से जूझ रहे हैं। जलस्तर काफी नीचे चला गया है। डॉ. ध्रुवसेन कहते हैं कि पानी के दो ही स्रोत हैं बरसात और बर्फ। हवा और पानी के बिना हमारा जीवन संभव नहीं। इनका निर्माण हम खुद नहीं कर सकते। इसलिए पानी की किफायतदारी और उचित उपयोग ही इसकी लंबे समय तक उपलब्धता सुनिश्चित करा सकता है। इसके लिए दो काम किए जाने चाहिए। एक, सिंचाई के लिए नहरों का जाल बिछाया जाए और बरसात के पानी को स्टोर करने के लिए उपाय संजीदगी से किए जाएँ। इस बार विश्व जल दिवस की मुख्य थीम ‘वाटर फॉर सिटीज : रिस्पांडिंग टू द अर्बन चैलेंज है। शहरों में बारिश के पानी का संचय वर्षा जल संचयन संयंत्र लगाकर किया जा सकता है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक एके भार्गव कहते हैं कि जिन संस्थानों में वर्षाजल संचयन के संंयंत्र लगे हैं वहां अगले माह तक रिचार्ज पिट और छतों की सफाई करा लेनी चाहिए। पाइप में कोई टूट-फूट है तो उसे भी दुरुस्त करा लें।’
ऐसे बचा सकते हैं पानी
अपने घरों में
कुछ आदतें यदि हम अपने परिवारों में संस्कार के रूप में विकसित करें तो इससे पानी की काफी किफायत हो सकती है। जैसे-
1. नल खोलकर ब्रश करने के बजाए यदि हम मग में पानी रखकर ब्रश करें तो 44.5 लीटर पानी बचा सकते हैं।
2. इसी तरह शेव करते समय मग का इस्तेमाल करें तो 17.75 लीटर पानी बचा सकते हैं।
3. नहाते व कपड़े धोते समय नल को बंद कर साबुन लगाएं तो 60 लीटर पानी बचाएंगे।
4. टॉयलेट में पुरानी के बजाए नई टंकी का इस्तेमाल करें तो छह लीटर तक पानी बचा सकते हैं।
5. घर की धुलाई पाइप से करने के बजाए बाल्टी और मग से करें तो 70 लीटर पानी बचा सकते हैं।
6. स्कूटर धोने में बाल्टी-मग का इस्तेमाल करने से 70 लीटर पानी बचता है।
7. कार धोने में बाल्टी-मग के इस्तेमाल से 360 लीटर पानी बचता है।
प्रतिष्ठानों और दफ्तरों में
इन स्थानों पर पानी की बचत का सबसे बेहतर तरीका बारिश के पानी का संचय है। केंद्रीय एवं राज्य भूगर्भ जल बोर्ड ने विभिन्न परियोजनाओं के रूप में शहर के 50 से अधिक स्थानों पर वर्षा जल संचयन के संयंत्र स्थापित किए हैं। इस तरह बारिश का पानी रिचार्ज कर हम जरूरत पर उपयोग कर सकते हैं-
1. 100 वर्ग मीटर की छत के वर्षाजल को ही संचित कर लिया जाए तो इससे 75 हजार लीटर पानी बचाया जा सकता है।
2. 300 वर्ग मीटर छत का पानी संचित कर लिया जाए तो पांच लोगों का एक परिवार साल भर के लिए पानी के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है।
3. बाथरूम आदि में नलों की टोंटी खुली है तो उसे बंद करने की जिम्मेदारी लेना सीखें, लीकेज है तो ठीक कराएं।
4. ऑफिस में लॉन है तो माली ध्यान रखे के पाइप खुला छोड़कर न चला जाए। केवल पौधों में पानी डालते समय ही खुला रखे। खुद भी बहते पानी को बंद करने की आदत डालें।
सार्वजनिक स्थानों पर
लखनऊ जैसे महानगर में हर जगह सड़कों पर कंक्रीट का जाल बिछा दिया जा रहा है। इससे बारिश का पानी रिसकर जमीन में नहीं पहुंच पा रहा है। कुछ उपाय कर स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। जैसे-
1. पार्कों का लेवल थोड़ा नीचे कर और बारिश से पहले उसकी गोड़ाई कर बारिश का पानी संजोया जा सकता है
2. सड़क के किनारों को कच्चा रखकर या ढीली ईंटे लगाकर भी वर्षा जल संचयन किया जा सकता है।
3. सूखे कुओं का रिचार्ज वेल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
4. झीलों और तालाबों का संरक्षण कर बारिश का पानी बचा सकते हैं।
5. सोसायटियों में साझा रिचार्ज पिट बनाकर बारिश के पानी का संचयन किया जा सकता है।
6.रास्ते में कहीं खुला नल देखें तो एक अच्छे नागरिक का फर्ज निभाते हुए उसे बंद करने की आदत डालें
7. रेलवे की वॉशिंग लाइन के बहते पानी को जागरूकता से बचा सकते हैं।
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