जागरण याहू/ Mar 26,09
लखीमपुर : नगर पालिका परिषद सीमा के अन्तर्गत अट्ठाइस तालाब दर्ज हैं। इसमें द्वारिका वार्ड में ही दो तालाब अंकित है। इनमें गाटा संख्या 488 का तालाब 0.061 हैक्टेयर और गाटा संख्या 499 का तालाब 0.551 हेक्टयर क्षेत्रफल में होना अंकित है।
इनमें से एक तलाब तो वर्षो पहले पट गया। वर्तमान में उस पर रिहायशी कालोनी खड़ी है। इसी वार्ड का दूसरा तालाब की आधा पट चुका है और उन पर आवासीय मकान खड़े हैं। भुईफोरवानाथ वार्ड में भी 1.78 एकड़ का तालाब पालिका के अभिलेख में दर्ज है। यह तालाब भी अतिक्रमण का शिकार है इसके चारों ओर से धीरे-धीरे कब्जा किया जा रहा है। बताते हैं कि तालाब की प्लाटिंग हो चुकी है। इसी प्रकार भट्नागर कालोनी में भी गाटा संख्या 763 में 0.125 हेक्टेयर क्षेत्रफल का तालाब सिर्फ कागजों पर ही रह गया है। मौके पर पक्के मकान बन चुके हैं। भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने तालाबों के रखरखाव और उन्हें पुराने मूल रुप में लाने के आदेश दिए हों। लेकिन नगर पालिका सीमा में इसका कहीं भी असर पड़ता नहीं दिखाई पड़ रहा है। शहर के तालाबों का धीरे-धीरे अस्तित्व समाप्त हो रहा है। सिर्फ कागजों पर ही शहर में अंगुलियों पर गिनने भर को तालाब रह गए हैं वें भी सफाई न होने के कारण प्रदूषण का शिकार है।
साभार - जागरण याहू पूरी खबर यहां देखें
लखीमपुर : नगर पालिका परिषद सीमा के अन्तर्गत अट्ठाइस तालाब दर्ज हैं। इसमें द्वारिका वार्ड में ही दो तालाब अंकित है। इनमें गाटा संख्या 488 का तालाब 0.061 हैक्टेयर और गाटा संख्या 499 का तालाब 0.551 हेक्टयर क्षेत्रफल में होना अंकित है।
इनमें से एक तलाब तो वर्षो पहले पट गया। वर्तमान में उस पर रिहायशी कालोनी खड़ी है। इसी वार्ड का दूसरा तालाब की आधा पट चुका है और उन पर आवासीय मकान खड़े हैं। भुईफोरवानाथ वार्ड में भी 1.78 एकड़ का तालाब पालिका के अभिलेख में दर्ज है। यह तालाब भी अतिक्रमण का शिकार है इसके चारों ओर से धीरे-धीरे कब्जा किया जा रहा है। बताते हैं कि तालाब की प्लाटिंग हो चुकी है। इसी प्रकार भट्नागर कालोनी में भी गाटा संख्या 763 में 0.125 हेक्टेयर क्षेत्रफल का तालाब सिर्फ कागजों पर ही रह गया है। मौके पर पक्के मकान बन चुके हैं। भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने तालाबों के रखरखाव और उन्हें पुराने मूल रुप में लाने के आदेश दिए हों। लेकिन नगर पालिका सीमा में इसका कहीं भी असर पड़ता नहीं दिखाई पड़ रहा है। शहर के तालाबों का धीरे-धीरे अस्तित्व समाप्त हो रहा है। सिर्फ कागजों पर ही शहर में अंगुलियों पर गिनने भर को तालाब रह गए हैं वें भी सफाई न होने के कारण प्रदूषण का शिकार है।
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