सिंहास्रोत नदी में फूटे जलसोते

अब के सिंघस्रोत नदी की एक झलक
अब के सिंघस्रोत नदी की एक झलक
चित्रकूट। बरगढ़ क्षेत्र में इस साल फिर सूखे की स्थिति है। यहां के अधिकांश कुएं, हैंडपंप तो सूख ही गए हैं, साथ ही नदियों का भी पानी खत्म हो गया है। जिसका असर फसलों पर भी पड़ा है और तमाम आदिवासी किसानों की फसल सूख गई है। ऐसे में बर्बादी की ओर बढ़ रहे छितैनी गाँव के किसानों ने बुंदेलखंड शांति सेना के साथ मिलकर नदी जागरण अभियान शुरू किया। और साफ कर डाली अपने गांव की सिंहास्रोत नदी, अब नदी में फिर से पानी है।

वैसे तो यह नदी लगभग 3 किमी लम्बी है, पर छिनैती गांव में 200 मी. की नदी लोगों ने साफ कर डाली है।

21 फरवरी 2011 से लगातार चले सिंहास्रोत नदी सफाई अभियान में बुंदेलखंड शांति सेना के भागीरथ प्रयास में क्षेत्र की जनता ने भी साथ निभाया। लगातार सभी लोगों ने मिलकर बरसना और सिंहास्रोत नदी जागरण अभियान चलाकर नदी की गर्भ को फावड़ा और कुदाल से खोद डाले हैं। सोई हुई किस्मत फिर से जागी, और नदी में पानी आया। इस अभियान का शुभारंभ ग्रामीणों ने अपने ग्राम देवता झलरी बाबा की पूजा अर्चना करके किया था और महिलाओं ने नदी के बगल में लगे पेड़ों में रक्षा के धागे बांधे थे, महिलाएं नदी से मिट्टी निकालने में लगीं, निकाली गई मिट्टी को नदी किनारे लगे पेड़ों में डाला। श्रमदान के समय ही नदी के गर्भ से कुछ जल-श्रोत खुलने लगे थे जिसे देख लेगों का उत्साह और बढ़ गया था।

नदी खुदाई के समय गाँव के लोग “जय जगत पुकारे जा; सर अमन पे वारे जा”। ' सबके हित के वास्ते, अपना हित बिसारे जा ' के गीत गाते हैं। इस पूरे कार्यक्रम में फ्रांस के युवा अलेक्सिस तथा अमेरिका के जैफ फ्रीमैन जो बरसात के पानी की प्रत्येक बूंद को सुरक्षित करने के महत्त्व को समझाते हुए बुंदेलखंड के मऊ विकास खंड के बरगढ़ के छितैनी गाँव में पिछले तीन माह अनवरत गाँव वालो के साथ लगे हैं तथा एमबीए करने के बाद पिछले 8 वर्षो से बुंदेलखंड में काम करने वाली सुनिता गोयल तथा पानी पर काम करने वाले श्री सुरेश रैकवार भी गांव वालों के हमराही बने।

गांव के लोग बताते हैं कि हमारे गाँव में पशुवों को पानी पीने के लिए नहीं था। कभी आस-पास के 5 गाँव के पशु सिंहास्रोत से पानी पीने आते हैं। दुख था कि नदी पूरी तरह से सुख गयी थी पर नदी में पानी 24 फरवरी को पहली बार श्रमदान के बाद दिखा।

26 मार्च 2011 को सिंहास्रोत नदी तट पर सत्यनारायण नगर भौटी कैमहाई के करीब 70 लोगों द्वारा नदी में पानी की नई जलधाराओं को खोजते देख कर चित्रकूट जनपद के पुलिस कप्तान डॉक्टर तहसीलदार सिंह बहुत आश्चर्य चकित हुए। उनसे नहीं रहा गया वह भी जलधाराओं को अपने हांथो में फावड़ा लेकर खोजने लगे। उन्होंने नदी से निकलने वाली नयी-नयी जलधाराओं को देखकर कहा कि गाँव के लोगों ने इस सूखी नदी को पुनर्जीवित किया है जिसमें सरकार का कोई योगदान पुनर्जीवन की योजना बनाने से लेकर काम को प्रोत्साहित कराने में नहीं था।

चित्रकूट जनपद के पुलिस कप्तान ने कहा है कि आम लोगों ने वह काम कर दिखाया है जो सरकारें नहीं कर सकती। नदी में भरपूर पानी आ गया है नदी को जीवित करना तो भगवान का वरदान सा दिखता है। यहाँ के भगवान झालरी बाबा हैं लेकिन वे सभी लोग जिन्होंने इस काम में हाथ बंटाया है, प्रत्येक लोग झालरी बाबा दिख रहे हैं। इससे आपकी नदी, आपके गाँव और आपकी पहचान बढ़ी है। पहले तो एक भागीरथ थे आज सभी भागीरथ के रूप में दिख रहे हैं।

जिला अधिकारी श्री दिलीप गुप्ता, गायत्री पीठ के श्री रामनारायण त्रिपाठी, चित्रकूट के सामाजिक कार्यकर्त्ता नन्हे राजा, विकलांग विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अवनीश मिश्र, चित्रकूट नगरपालिका सभापति लक्छमी साहू और कर्वी विधायक दिनेश मिश्र द्वारा 5 अप्रैल को मृत-नदी सिंघस्रोत को जीवित करने वाले रामबदन, सत्य नारायण तथा सावित्री को सम्मानित किया गया। (रामबदन, सावित्री आदिवासी है- जो पत्थर तोड़कर अपनी आजीविका चलाते है)।

सुनें अभिमन्यु सिंह, बुंदेलखंड शांति सेना, चित्रकूट से बातचीत



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लोगों के इस भगीरथ प्रयास की कुछ झलकियां











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