सींग गिरैला बरद के, औ मनई का कोढ़।
ये नीके ना होयँगे, चाहे बद लो होड़।।
भावार्थ- बैल का गिरा हुआ सींग और आदमी का कोढ़, ये कभी ठीक नहीं होते चाहे शर्त लगा लो।
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