सिगरेट बट्स से प्लांट बड्स

cigarette butts
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पॉल्यूशन दुनिया की सबसे बड़ी प्रॉब्लम्स में से एक है जिसमें प्लास्टिक और एयर पॉल्यूशन मेजर कंसर्न हैं। ओशन ट्रैश इंडेक्स, ओशन कंजर्वेंसी के मुताबिक हर साल धरती पर करीब 6.9 बिलियन पाउंड्स सिगरेट बट्स पड़ी मिलती हैं। ओशंस में मिलने वाले कूड़े में सबसे ज्यादा तादाद नॉन-बायोडिग्रेडेबल सिगरेट बट्स की होती है और इसका आंकड़ा प्लास्टिक रैपर्स की बॉटल्स से कहीं ज्यादा है। दुनिया भर में प्लास्टिक प्रोडक्ट्स से भी ज्यादा पॉल्यूशन फैलाते हैं सिगरेट बट्स। इसे देखते हुए एक ट्रैवलर कपल ने बनानी शुरू की ऑर्गेनिक और बायोडिग्रेडेबल सिगरेट बट्स।

ट्रैवलिंग ने दिखाया रास्ता

वेद और चेतना चौधरी जो कि एविड ट्रैवलर्स हैं। दोनों पेप्सिको, 7 अप, सैमसंग और पैनासोनिक जैसे ब्राण्ड्स के साथ हाई-फ्लाइंग एडवर्टाइजिंग जॉब्स कर रहे थे। दोनों के पास 20 सालों का वर्क एक्सपीरियंस था। एक बार आर्कटिक सर्कल पर ट्रेकिंग के लिये गये तो उन्होंने देखा कि ग्रीनलैंड आइसशीट पर अगर कुछ सबसे ज्यादा फैला था, तो वो थे सिगरेट के टुकड़े इस बात से दोनों बहुत हैरान थे और तभी उनके दिल में इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकालने का ख्याल घर कर गया। दोनों ने अपनी हाई-प्रोफाइल जॉब्स को छोड़कर कुछ डिफरेंट और यूजफुल क्रिएट करने का इरादा रखा और बनाया कर्मा टिप्स।

15 साल में होती है डीकम्पोज

एक बार वेद अपनी एडवर्टाइजिंग कम्पनी के क्लाइंट से मिलने ढाका पहुँचे। ये क्लाइंट टोबैको बनाने वाली एक कम्पनी थी और इसके ब्रीफिंग सेशन के दौरान वेद ने जाना कि स्मोकिंग की असली वजह, टोबैको नहीं बल्कि उसका रोलिंग पेपर होता है। इस पेपर में कुछ केमिकल्स होते हैं जो इसे लगातार जलने में मदद करते हैं और इसकी वजह से ही व्यक्ति स्मोकिंग की तरफ एडिक्ट होता है।

वेद ने अपनी पार्टनर के साथ सिगरेट से होने वाले पॉल्यूशन को कम करने की तरफ कदम बढ़ाया। इस कपल को एक रिसर्च के जरिए पता चला कि सिन्थेटिक कॉम्पोनेंट्स से बने सिगरेट बट्स को डीकम्पोस्ट होने में करीब 15 साल का वक्त लगता है। यहीं से दोनों ने इस पर काम करना शुरू किया कि कैसे बायो-डिग्रेडेबल सिगरेट्स को बनाया जाए ताकि इसे फेंकने पर पॉल्यूशन न होकर कुछ एसा हो जो एनवायरनमेंट के लिये फायदेमन्द साबित हो सके। सिगरेट फेंकने पर निकलेगा पेड़

एक इंटरव्यू के दौरान वेद का कहना था, “ज्यादातर लोग टोबैको को एडिक्शन की वजह मानते हैं लेकिन असली दोषी पेपर है इसलिये हमने पेपर पर काम किया।” वेद और चेतना ने सिगरेट बट्स बनाने के लिये बायो-डिग्रेडेबल पेपर वाली सिगरेट फिल्टर टिप्स का प्रोडक्शन शुरू किया। कर्मा टिप्स- रोल योर ओन फिल्टर टिप्स को बनाने के लिये जो पेपर यूज होता है उसे नेचुरल कॉटन और वेजिटेबल पल्प से बनाया जाता है। सबसे इंटरेस्टिंग बात ये है कि इस हाइली एब्जॉर्बेंट पेपर में बीज लगे होते हैं। वेद का कहना है, “क्योंकि हम इस पेपर को बनाने के लिये वुड पल्प का यूज नहीं कर रहे इसलिये हम पेड़ों को नहीं काट रहे। बल्कि इस पेपर में मौजूद बीज की वजह से जब भी इससे बने बट्स को कहीं फेंका जाएगा तो ये तुरन्त डीकम्पोज होकर पौधों को जन्म देगा। हम इसके जरिये ज्यादा-से-ज्यादा पेड़ लगाने की कोशिश कर रहे हैं और डेफिनेटली इससे लिटरिंग की प्रॉब्लम तो कम होगी ही।”

मुम्बई से पहुँचे बंगलुरु

अपने पैशन को पूरा करने के लिये वेद और चेतना मुम्बई से निकलकर बंगलुरु में शिफ्ट हो गए। चेतना कर्मा टिप्स के बारे में बताते हुए कहती हैं, इसे शुरू करने का मकसद था अर्थ के कार्बन फुटप्रिंट को कम करना। हम सिर्फ सिगरेट बट्स ही नहीं बल्कि पेपर बैग्स भी बनाते हैं और उनमें भी बीज लगे होते हैं। प्लास्टिक और पेपर बैग को ही अगर कम्पेयर किया जाए तो एक पेपर बैग बनाने में 18 रुपए का खर्च आता है जबकि प्लास्टिक बैग की कीमत 6-7 रुपए होती है। लेकिन सबसे बड़ा फैक्टर है इसके बीज जो फेंके जाने पर पौधों को जन्म देगे। बीज भी सस्ते नहीं आते। कुछ की तो हम खुद खेती करते हैं लेकिन कुछ खरीदते भी हैं जैसे बेसिल, रोजमेरी वगैरह, “चेतना का कहना है कि अभी उनेक पास 15 फीमेल वर्कर्स हैं जो सीड क्रॉपिंग में लगी हुई हैं।”

विदेशों में फैल रहा है रोल योर ओन

कर्मा टिप्स के रोल योर ओन सिगरेट फिल्टर टिप्स भले ही इण्डिया में इतने पॉपुलर न हुए हों लेकिन ब्राजील, केन्या, फ्रांस, श्रीलंका, नीदरलैंड्स और नार्वे जैसे देशों में ये अच्छी पकड़ बना चुका है। इण्डिया में भी कुछ सेलर्स इसे अॉनलाइन सेल कर रहे हैं। वेद और चेतना का कहना है कि अगले साल जनवरी से वे लोग इसके इण्डियन मार्केट को डायवर्सिफाई करेंगे। उनके मुताबिक अभी इण्डिया में इसकी ऑनलाइन पोर्टल्स पर शुरुआत हुई है लेकिन जल्द ही ये स्टोर्स में आसानी से मिल सकेगा।

 

 

 

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