सीएसई की आदर्श जल संग्रहण परियोजना

बीपीसीएल नोएडा की वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था

शहरों में पानी संकट से निपटने के अपने प्रयासों में दिल्ली स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर साइंस एण्ड इन्वायरमेंट’(सीएसई) दिल्ली शहर में ऐसी अनेक आदर्श वर्षाजल संग्रहण व्यवस्थाएं खड़ी करने में सहयोग कर रही हैं, जिनसे इन मॉडलों की देखा-देखी अन्य लोग भी वर्षाजल संग्रहण के लिए उत्साहित हों और वे जान सकें कि शहरों में वर्षाजल संग्रहण की इस तकनीकी का किस प्रकार से अनुसरण किया जा सकता है। इसी के फलस्वरूप सीएसई ने भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) नोएडा के परिसर में वर्षाजल संग्रण व्यवस्था बनाने में सहयोग किया।

बीपीसीएल का क्षेत्रीय कार्यालय नोएडा में स्थित है, जहां इसके कर्मचारी कार्य करते हैं। अपने कर्मचारियों को अच्छे आवास उपलब्ध कराने हेतु बीपीसीएल के सेक्टर-56 में एक हाउसिंग कॉम्प्लैक्स का निर्माण किया गया। बीपीसीएल का प्रबंधन यहां के निवासियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रबंधन इस क्षेत्र के भूजल स्तर में तेजी से आती जा रही गिरावट तथा पानी की गुणवत्ता और वृक्षों की कटाई को लेकर काफी चिंतित था।

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन ने कॉम्पलेक्स में वर्षाजल संग्रहण करने का निर्णय लिया। बीपीसीएल ने वर्षाजल संग्रहण में तकनीकी सहायता देने वाली कई संस्थाओं से संपर्क किया और योजना बनवाई। उन्हें सीएसई की योजना अधिक उपयोगी और आर्थिक मायने में सस्ती लगी, अत: उन्होंने अपने कॉम्प्लेक्स में सीएसई द्वारा सुझाई गई योजना का क्रियान्वयन किया।

बीपीसीएल कम्प्लेक्स का कुल क्षेत्र 3.373 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और यहां 8 मंजिल की कुल पाँच इमारतें बनी हुई हैं। यहां के परिसर में मौजूद एकमात्र बोरवेल से जल आपूर्ति होती है। नोएडा में औसत वार्षिक वर्षा 792.4 मिली मीटर (मिमी) की है और यहां वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था के माध्यम से 4,446 घन मीटर यानी 44,50,000 मीटर पानी का संग्रहण होता है।

वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था

कम्पलैक्स के सी-1 क्षेत्र से वर्षाजल संग्रहण और सी-2 की छत से गिरने वाले वर्षाजल को जल एकत्रण कक्ष और अंतर्सबंधी पाइप के माध्यम से इकट्ठा करके साइकिल स्टैंड के पास एक पुनर्भरण कुएं में भरा जाता है। यह पुनर्भरण कुआं 2.5 मीटर व्यास तथा 3 मीटर गहरा है। इसमें मौजूद 6 इंच व्यास और 1 मी गहरा पुनर्भरण बोर है, जो पानी को भूमिगत जल तक पहुंचाने में मदद करता है। इस पुनर्भरण बोर में डाली गई पत्थर, रोड़ी तथा मोटी बालू की विभिन्न परतें पानी को फिल्टर करने में सहायता करती हैं, जिससे पुनर्भरण होने वाले पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

इसी प्रकार सी-3 और डी-2 ब्लाक का वर्षाजल भी अन्य दो पुनर्भरण कुंओं के जरिये भूजल में पहुंचाया जाता है।

सतही जल संग्रहण के लिए सड़क तथा पक्के क्षेत्र पर गिरने वाले वर्षा जल को परिसर की दीवार के पास बनी वर्षाजल की नाली में इकट्ठा किया जाता है तथा दो पुनर्भरण खाइयों में पहुंचाया जाता है। खाई की लम्बाई 3 मीटर, चौड़ाई 0.6 मीटर तथा गहराई 0.9 मीटर है तथा इसमें मौजूद 6 इंच व्यास के 10 मीटर गहरे दो पुनर्भरण बोर पानी को भूजल तक पहुंचाने में सहायता करता है।

डी-2 ब्लाक का वर्षाजल तथा सतही जल भी पास में बने एक रिसाव के गड्ढे (जिसका आकार 0.5 मीटर x 0.5 मीटर x 1 मीटर है) के माध्यम से पुनर्भरण किया जाता है। इसमें मौजूद रोड़ी की परत से पानी फिल्टर होता है तथा 10 मीटर गहरे बोर से भूजल पुनर्भरण होता है।

इस वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था का क्रियान्वयन मई 2002 में किया गया तथा इस पर कुल 4.5 लाख रुपए की लागत आई।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: बाबर हमीद मैनेजर एडमिन (नार्थ) ए-5-6 सेक्टर- 1 भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) नोएडा, उत्तर प्रदेश फोन: 0120-2519661 फैक्स: 0120-2532413 ई-मेल: hameedb@Bharatpetroleum.com
Path Alias

/articles/saiesai-kai-adarasa-jala-sangarahana-paraiyaojanaa

Post By: Hindi
×