सहस्त्रधारा में आधे-अधूरे रिकार्ड के साथ पहुंची राजस्व टीम

सहस्त्रधारा में वन व राजस्व विभाग का संयुक्त सर्वे
सहस्त्रधारा में वन व राजस्व विभाग का संयुक्त सर्वे

(5 मई 2019)

सर्वे को पुराने राजस्व अभिलेखों के आधार पर करने की मांग

सहस्त्रधारा में वन भूमि के अलावा राजस्व विभाग की भूमि पर भी बड़े पैमाने पर कब्जा किया गया है, लेकिन शायद इसे विभाग की तरफ से उजागर नही करने की कोशिश की जा रही है। राजस्व विभाग इन अवैध कब्जों का खुलासा नहीं करना चाहता। जिस वजह से वहां 1345 फसली राजस्व रिकार्ड के आधार पर सर्वे करने और उन स्थानों को चिन्हित करने की मांग जोर पकड़ रही है। 

सहस्त्रधारा बचाने के इस मुहिम में दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ द्वारा लगातार नए खुलासे सामने आ रही है। वहीं सहस्त्रधारा बचाओ अभियान से जुड़े समाजसेवी अनिल कक्कड़ ने मांग की है कि पुराने रिकार्ड के आधार पर ही सर्वे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बाद ही असल जमीन खुर्द-बुर्द होने का पता चल सकेगा। उन्होंने राजस्व विभाग के लिए नए नक्शे, पुराने नक्शे और वन बन्दोबस्त अधिकारी की ओर से जारी आरक्षित वन क्षेत्र के मानचित्रों का मिलान करने की भी मांग की है। 

अवैध कब्जे का खेल बड़ा शातिराना 

सहस्त्रधारा में सरकारी जमीनों पर बड़ा खेल बड़े स्मार्ट तरीके से किया गया है। वहां पर आरक्षित वन क्षेत्रों में सर्वे कर पिलर लगा दिए। जबकि उसके बाहर जो जगहें हैं, उसे कब्जाया गया है। ऐसे जमीनें राजस्व विभाग के रिकार्ड में जंगल झाड़ी या अन्य तरह से दर्ज होती हैं। जंगल झाड़ी वाली जमीन पर भी फारेस्ट एक्ट लागू होता है। ऐसे में विभाग को ऐसी जमीनों का चिन्हीकरण करना है। ऐसी ही जमीनों पर वहां सर्वाधिक अतिक्रमण हुआ है।

 

(4 मई 2019)

सहस्रधारा में सरकारी जमीन और नदी बचाने की मुहिम एक कदम और आगे बढ़ गई है। शुक्रवार से राजस्व और वन विभाग का संयुक्त सर्वे आखिर शुरू हो गया। हालांकि पहले दिन सर्वे के नाम पर खानापूर्ति रही। यहां राजस्व विभाग के अधिकारी अधूरी रिकार्ड के साथ पहुंचे। अब बुधवार को सर्वे होगा।

करीब दो माह पहले डीएम ने राजस्व विभाग की टीम को संयुक्त सर्वे के निर्देश दिए थे, लेकिन तहसीलदार और पटवारी इसे टालते गए। आखिरकार शुक्रवार को नायब तहसीलदार दयाराम और पटवारी कृपाल राठौर मौके पर पहुंचे। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सहस्रधारा वन चौकी में करीब तीन घंटे रिकार्ड देखे। कागजों में जगहें चिह्नित की।

सहस्त्रधारा में हुए अवैध कब्जों का राजस्व और वन विभाग ने संयुक्त सर्वे शुरू किया

हैरानी की बात रही कि राजस्व टीम के पास उनके अपने विभाग के पूरे रिकार्ड नहीं थे। राजस्व अधिकारी ये कहकर सर्वे टाल गए कि पूरे रिकार्ड लेकर आने के बाद ही मिलान और चिह्नीकरण हो सकेगा। वन विभाग की ओर से रेंजर बीएस रावत, वन दरोगा नरोत्तम सती और वन आरक्षी यामीन खान आदि भी मौजूद रहे।

वन  तथा राजस्व विभाग की संयुक्त सर्वे की थी मांग

कुछ दिन पहले यह बात सामने आई कि सहस्रधारा में वन विभाग का सर्वे तो पूरा हो चुका है। लेकिन इसमें राजस्व के साथ संयुक्त सर्वे की मांग की गई थी। जिलाधिकारी देहरादून की ओर से इसके लिए पटवारी को निर्देश दिए गए, लेकिन दो माह से वन विभाग के अधिकारी पटवारी का इंतजार कर रहे थे। 

इस मामले में लगातार अधिकारियों से शिकायत करने वाले और सहस्रधारा बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने वाले समाजसेवी अनिल कक्कड़ ने पीसीसीएफ से अतिक्रमण करने वालों पर मुकदमे की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक कानूनी कार्रवाई नहीं होगी तब तक वन भूमि पर अतिक्रमण बंद नहीं होंगे।

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