शहद-नींबू पानी के सहारे 100 दिन गुजारे

स्वामी आत्मबोधानंद
स्वामी आत्मबोधानंद
कुम्भ नगर (प्रयागराज): कथा है कि कभी गंगा को धरती पर लाने के लिये भगीरथ अन्न जल, त्यागकर एक पैर पर तपस्या के लिये खड़े रहे थे। ऐसा ही एक प्रण 26 वर्षीय ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने लिया है। गंगा को बाँधों और अवैध खनन से मुक्ति दिलाने के लिये बीते 100 दिनों से सिर्फ शहद, नींबू, नमक पानी के सहारे समय काट रहे हैं।

मूल रूप से केरल निवासी आत्मबोधानंद 2014 में मातृ सदन हरिद्वार से जुड़कर सन्यासी बने। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते-करते उनका मन विचलित हुआ। वह पहले ऋषिकेश पहुँचे और यहाँ से पैदल ही हरिद्वार तक की यात्रा की।

बुधवार को उन्होंने अमर उजाला को बताया कि इस यात्रा के दौरान जगह-जगह अवैध खनन और बाँधों के कारण गंगा की बिगड़ती दशा दिखी। इससे उनका मन बहुत विचलित हुआ। मातृ सदन से जुड़ने के बाद उन्होंने गंगा की दशा सुधारने के लिये प्रयास शुरू कर दिए। मातृ सदन से जुड़े स्वामी सानंद (डॉ. जीडी अग्रवाल) के निधन के बाद उनकी माँगों को पूरी कराने के लिये वह अनशन कर रहे हैं।

पहले भी सात बार कर चुके हैं अनशन

आत्मबोधानंद ने बताया कि इससे पहले वह सात बार अनशन कर चुके हैं। उस दौरान वह सिर्फ नींबू पानी ही लेते थे। लगातार 100 दिन तक अनशन का यह पहला मौका है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार गंगा को मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त करने और गंगा को अविरल रूप में लाने के लिये संसद में गंगा एक्ट पारित करने की पहल नहीं करती, उनका अनशन जारी रहेगा।

डॉक्टरों ने की स्वास्थ्य की जाँच

आत्मबोधानंद के अशन का मेला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। बुधवार को मेला अधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में सेक्टर-13 के मजिस्ट्रेट विमल कुमार दुबे मातृ सदन के शिविर पहुँचे। उन्होंने आत्मबोधानंद से उनकी माँगों का पत्र लिया। उनके साथ गए डॉक्टरों ने आत्मबोधानंद के स्वास्थ्य की जाँच की। दुबे ने बताया कि बृहस्पतिवार को मेला अधिकारी विजय किरण आनन्द आत्मबोधानंद से मुलाकात करेंगे।

स्वामी नरेन्द्रानंद के समझाने पर माने परमहंस दास

स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के समझाने के बाद बुधवार को अयोध्या के महन्त परमहंस दास महाराज ने अनशन खत्म कर दिया है। राम मन्दिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने की माँग पर परमहंस दास अर्द्ध कुम्भ मेला क्षेत्र में बीते 40 दिनों से अनशनरत थे।

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