एक नए अध्ययन ने इस बात की चेतावनी दी है कि यदि दुनियाभ्र में ग्रीन हाउस गैसे का उत्सर्जन यथावत बना रहा तो इस सदी के अंत तक ग्रीनलैंड में 4.5 फीसद तक बर्फ पिघल जाएंगी। इससे समुद्र के स्तर पर 13 इंच की वृद्धि होगी। साइंस एडवांसेस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा भी हो सकता है कि साल 3000 तक यहां बर्फ ही न बचे।
अमेरिका में अलास्का फेयरबैंक्स जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट में अनुसंधान के प्रमुख लेखक एंडी ऐशवैनडेन ने कहा कि आने वाले समय में ग्रीनलैंड कैसा दिखेगा, दे सौ सालों या एक हजाार साल में या तो वहां हरे घास भी भूमि होगी या तो आज का ग्रीनलैंड होगा, यह सबकुद हम पर निर्भर करता है। इस शोध में वहां के बर्फ की चादर में से नए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया ताकि भविष्य के लिए महत्वपूर्ण खोज की जा सके। यह निष्कर्ष ग्रीनहाउस गैस सांद्रता और वायुमंडलीय स्थितियों के लिए विभिन्न तथ्यों पर आधारित बर्फ के पिघलने और समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के लिए परिदृश्यों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करती है।
वर्तमान समय में, धरती ग्रीन हाउस गैस सांद्रता के उच्च अनुमानों की ओर बढ़ रही है। ग्रीनलैंड में बर्फ की चादरें काफी बड़ी है, जो 660000 वर्ग मील में फैली हुई हैं। आज यही बर्फ की चादरें 81 प्रतिशत ग्रीनलैंड को घेरे हुए हैं जिसमें धरती के शुद्ध जल निकायों में से आठ शामिल हैं। अध्ययन में कहा गया है कि यदि ग्रीन हाउस गैस सांद्रता ऐसी ही बनी रही तो सिर्फ ग्रीनलैंड से पिघलने वाली बर्फ साल 3000 तक दुनिया भर में समुद्र के स्तर में 24 प्रतिशत वृद्धि ला सकती है, जिससे सैन फ्रांसिसको, लाॅस एंजेलिस, न्यू ऑर्लीन्स और कई अन्य शहर पानी के अंदर समा सकते हैं। इस टीम ने नासा के हवाई विज्ञान के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, जिसे ‘ऑपरेशन आइस ब्रिज’ कहा जाता है।
ऑपरेशन आइस ब्रिज ऐसे एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करता है जिसमें सभी वैज्ञानिक उपकरण होते हैं, जिनमें तीन तरह के रडार शामि हैं, जो बर्फ की सतह की नाप ले सकते हैं। साल 1991 और 2015 के बीच हर साल ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों ने समुद्र स्तर में लगभग 0.02 इंस की वृद्धि की है और इसमे लगातार वृद्धि जारी है।
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