परित्यक्त शौचालय जैसे असाधारण स्थान वाजिब किराए के चलते पारंपरिक स्थानों से ज्यादा लोकप्रिय
शौचालय भी आमदनी का एक अच्छा साधन बन सकते हैं, यह लंदन के स्थानीय अधिकारियों के प्रयास से साबित हाे चुका है। जमीन की लगातार बढ़ती जा रही कीमतों के चलते लंदन के अंधकार भरे कोनों को भी सोने की खानों में परिवर्तित कर दिया गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विक्टोरिया काल के कई शौचालय जिन्हें परित्यक्त छोड़ दिया गया था, अब वह स्थानीय अधिकारियों द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर रेस्तरां, कैफे तथा बुटीकों में परिवर्तित हाे चुके हैं।
2013 में हैक्ती जिले में ऐसे ही कुछ शौचालय में ‘द कन्वीनिएंस’ नामक कॉफी शॉप खोली गई थी। इसी तरह दक्षिण लंदन में ‘डब्ल्यू.सी.’ नामक एक बार तथा केनिंगटन ‘आर्टसलाव’ नामक परफार्मिंग आर्ट्स संस्थान खोला गया है। इसी प्रकार शहर के मध्य में ‘द अटैंडैंट’ तथा ‘सैलर डोर’ नामक नृत्य संस्थान इन शौचालयों वाले स्थानों में खोले गए हैं। रैशल एक्सियन के अनुसार यह रुझान हाल ही में तेजी से बढ़ा है। कैशल शहर के सार्वजनिक शौचालयों में टूर गाइड के तौर पर काम कर रही हैं जिस कारण उनका नाम ‘लेडी लू’ पड़ गया। ‘डब्ल्यू.सू.’ के मालिक जेके मैंगिओन के अनुसार सरकार कौंसिलों को आदेश दे रही है कि वे रैवेन्यू में बढ़ौतरी करने हेतु खाली स्थानों का उपयोग करें।
चाहे परित्यक्त शौचालय हों या अंडरग्राउंड स्टेशन कई अन्य असाधारण स्थान भी लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि पारंपरिक स्थानों के मुकाबले काफी वाजिब किराए पर मिलते हैं। क्लैफैम कॉमन अंडरग्राउंड स्टेशन से जुड़े विक्टोरिया कालीन अब टेरेनियन टॉयलेट ब्लॉक स्थित ‘डब्ल्यू.सी’ ने अपनी मोजायक फर्श तथा टाइलों वाली दीवारों को यथावत रखा है और लकड़ी की कारीगरी को टेबलों का आकार दे दिया गया है। पुराने यूरिनल्स हालांकि इस्तेमाल में नहीं आ रहे हो परंतु नए बाथरूमों की साज-सज्जा करके इन्हें साफ-सुथरा रूप दिया गया है।
शौचालय जैसे परित्यक्त स्थान के प्रयाेग से रैवेन्यू में बढ़ोतरी
‘द कन्वीनिएंस’ की मालिक केटी हैरिस ने अपने रेस्तरां में से मूत्र करने के लिए स्थापित पोर्सीलेन पॉट्स को हटाया नहीं है बल्कि इन्हें अपने रेस्तरां की एक खूबी बना दिया है। उन्होंने लकड़ी के टेबल को सहारा देने के लिए इनका इस्तेमाल किया है।
असल में वह अपने रेस्तरां के पहले एक टॉयलेट होने के तथ्य को छुपाना नहीं चाहती थी परंतु यह भी नहीं चाहती थी कि यह टॉयलेट जैसे ही दिखे। बेशक इन पुराने शौचालयों की गहन सफाई की गई तथा पोर्सीलेन पॉट्स को रगड़-रगड़ कर साफ करके चमका दिया गया।
हैरिस एक डिजाइनर भी हैं। उन्होंने ‘द कन्वीनिएंस’ के तौर पर इन्हें इसलिए भी चुना क्योंकि इसका 1940 का आर्कीटैक्चर उन्हें आकर्षक लगा था। वह कहती हैं, इनका संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है ताकि लोगों के लिए इन्हें बढ़िया स्थान बनाया जा सकता है।
शौचालय की जगह अब ‘द अटैंडैंट’ तथा ‘सैलर डोर’ नामक नृत्य संस्थान
‘अटैंडैंट’ कैफे चलाने वाले स्पान डी ओलिविएरा का कहना है कि पुराने समय में इस्तेमाल न की गई किसी चीज को एक नई जिंदगी देना सीमाओं को तोड़ना है।
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