लखनऊ। जल ही जीवन है। पर यूपी के कई इलाकों में यह जल जीवन देने की बजाय लोगों में धीमी मौत बांट रहा है। पानी का इस्तेमाल करने वाले लोग अनेक प्रकार के रोगों से भी ग्रसित हो रहे हैं। प्रदेश सरकार की कोशिश के बावजूद पेयजल में आर्सेनिक पाए जाने की सिलसिला लगातार बढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश के 64 जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंपों से आर्सेनिक निकलने की समस्या से जूझ रहे हैं। पेयजल में आर्सेनिक पाए जाने की परेशानी से प्रदेश के पांच दर्जन से ज्यादा जिले प्रभावित हैं। प्रदेश में पाइप लाइन पेयजल आपूर्ति सिस्टम हाशिए पर होने के चलते सरकार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
विकराल रूप धारण करती जा रही इस समस्या से निपटने के लिए सरकार अब ग्रामीण क्षेत्रों में आर्सेनिक मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक तरफ चुनिंदा जिलों के गांवों में आर्सेनिक रिमूवल यूनिट (आरओ) लगवा रही है तो दूसरी तरफ हैंडपंपों को गहराई तक रीबोर करके भूमि के आंकठ से शुद्ध पानी उगलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के 64 जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंपों से आर्सेनिक निकलने की समस्या से जूझ रहे हैं। बहराइच, बलिया, खीरी, प्रतापगढ़, गोरखपुर, उन्नाव जैसे 27 जिले ऐसे हैं, जिनके सौ से लेकर छह सौ तक गांव पेयजल में आर्सेनिक आने की समस्या से ग्रसित हैं।
अब तक हुई जांच में आर्सेनिक आने की समस्या से प्रदेश के कुल 7395 गांव जूझ रहे हैं।
जिन जिलों में पांच सौ से ज्यादा गांवों में पेयजल जिंदगी में जहर घोल रहा है, उनमें बहराइच के 654 गांव, खीरी के 557 गांव, प्रतापगढ़ के 524 गांव तथा उन्नाव के 558 गांव शामिल हैं।
प्रदेश में पाइप लाइन आपूर्ति सिस्टम के कमजोर होने से सरकार के सामने बड़ी समस्या आ रही है। अगर जल निगम के विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के अन्य राज्यों में जहां पाइप लाइन पेयजल आपूर्ति सिस्टम ग्रामीण इलाकों में 40 फीसदी से उपर है, वहीं यूपी में मात्र 6.25 फीसदी ही है।
प्रदेश में पेयजल आपूर्ति के लिए सबसे बड़ा सरकारी सिस्टम इंडिया मार्का हैंडपंप है। पूरे देश में लगभग 50 लाख इंडिया मार्का सरकारी हैंडपंप लगाए गए हैं, जिनमें आधे से ज्यादा यानी 25,63,000 केवल यूपी में ही हैं।
यूपी के लगभग 6 लाख गांवों में से मात्र 3382 गांव ही पाइप लाइन पेयजल सिस्टम से जुड़े हुए हैं। राज्य सरकार का जल निगम विभाग आर्सेनिक युक्त पानी मिलने वाले गांवों में आर्सेनिक रिमूवल यूनिट (आरओ) लगाकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है।
विभाग ने पूरे प्रदेश में अब तक 581 गांवों में आरओ सिस्टम लगवाया है। इसमें सबसे ज्यादा 438 गांवों में आरओ सिस्टम बहराइच जिले में लगाए गए हैं।
इसके अलावा बलिया के 103 गांव, बरेली के 17 गांव तथा गोरखपुर के 23 गांव शामिल हैं। इसके अलावा 1721 गांवों में गहरी बोरिंग तथा 1711 गांवों में इंडिया मार्का टू हैंडपंप लगाकर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है।
जल निगम ने पिछले कुछ समय में प्रदेश के 31 जिलों में 322 ब्लॉकों में 83,364 हैंडपंपों के पानी की जांच भी कराई है। इसमें 10 पीपीबी तक आर्सेनिक से प्रभावित 20,433 हैंडपंप, 10 से 40 पीपीबी तक आर्सेनिक से प्रभावित 8,747 हैंडपंप, 40 से 50 पीपीबी तक आर्सेनिक से प्रभावित 1,687 हैंडपंप तथा 50 पीपीबी से ऊपर आर्सेनिक से प्रभावित 2,610 हैंडपंप पाए गए हैं।
सरकार अब ज्यादा ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पहले चरण में दस हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले गांवों-कस्बों को पाइप लाइन पेयजल योजना से जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही हैं। धीरे-धीरे यह कम जनसंख्या वाले गांवों तक ले जाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के 64 जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंपों से आर्सेनिक निकलने की समस्या से जूझ रहे हैं। पेयजल में आर्सेनिक पाए जाने की परेशानी से प्रदेश के पांच दर्जन से ज्यादा जिले प्रभावित हैं। प्रदेश में पाइप लाइन पेयजल आपूर्ति सिस्टम हाशिए पर होने के चलते सरकार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
विकराल रूप धारण करती जा रही इस समस्या से निपटने के लिए सरकार अब ग्रामीण क्षेत्रों में आर्सेनिक मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक तरफ चुनिंदा जिलों के गांवों में आर्सेनिक रिमूवल यूनिट (आरओ) लगवा रही है तो दूसरी तरफ हैंडपंपों को गहराई तक रीबोर करके भूमि के आंकठ से शुद्ध पानी उगलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के 64 जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंपों से आर्सेनिक निकलने की समस्या से जूझ रहे हैं। बहराइच, बलिया, खीरी, प्रतापगढ़, गोरखपुर, उन्नाव जैसे 27 जिले ऐसे हैं, जिनके सौ से लेकर छह सौ तक गांव पेयजल में आर्सेनिक आने की समस्या से ग्रसित हैं।
अब तक हुई जांच में आर्सेनिक आने की समस्या से प्रदेश के कुल 7395 गांव जूझ रहे हैं।
जिन जिलों में पांच सौ से ज्यादा गांवों में पेयजल जिंदगी में जहर घोल रहा है, उनमें बहराइच के 654 गांव, खीरी के 557 गांव, प्रतापगढ़ के 524 गांव तथा उन्नाव के 558 गांव शामिल हैं।
प्रदेश में पाइप लाइन आपूर्ति सिस्टम के कमजोर होने से सरकार के सामने बड़ी समस्या आ रही है। अगर जल निगम के विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के अन्य राज्यों में जहां पाइप लाइन पेयजल आपूर्ति सिस्टम ग्रामीण इलाकों में 40 फीसदी से उपर है, वहीं यूपी में मात्र 6.25 फीसदी ही है।
प्रदेश में पेयजल आपूर्ति के लिए सबसे बड़ा सरकारी सिस्टम इंडिया मार्का हैंडपंप है। पूरे देश में लगभग 50 लाख इंडिया मार्का सरकारी हैंडपंप लगाए गए हैं, जिनमें आधे से ज्यादा यानी 25,63,000 केवल यूपी में ही हैं।
यूपी के लगभग 6 लाख गांवों में से मात्र 3382 गांव ही पाइप लाइन पेयजल सिस्टम से जुड़े हुए हैं। राज्य सरकार का जल निगम विभाग आर्सेनिक युक्त पानी मिलने वाले गांवों में आर्सेनिक रिमूवल यूनिट (आरओ) लगाकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है।
विभाग ने पूरे प्रदेश में अब तक 581 गांवों में आरओ सिस्टम लगवाया है। इसमें सबसे ज्यादा 438 गांवों में आरओ सिस्टम बहराइच जिले में लगाए गए हैं।
इसके अलावा बलिया के 103 गांव, बरेली के 17 गांव तथा गोरखपुर के 23 गांव शामिल हैं। इसके अलावा 1721 गांवों में गहरी बोरिंग तथा 1711 गांवों में इंडिया मार्का टू हैंडपंप लगाकर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है।
जल निगम ने पिछले कुछ समय में प्रदेश के 31 जिलों में 322 ब्लॉकों में 83,364 हैंडपंपों के पानी की जांच भी कराई है। इसमें 10 पीपीबी तक आर्सेनिक से प्रभावित 20,433 हैंडपंप, 10 से 40 पीपीबी तक आर्सेनिक से प्रभावित 8,747 हैंडपंप, 40 से 50 पीपीबी तक आर्सेनिक से प्रभावित 1,687 हैंडपंप तथा 50 पीपीबी से ऊपर आर्सेनिक से प्रभावित 2,610 हैंडपंप पाए गए हैं।
सरकार अब ज्यादा ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पहले चरण में दस हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले गांवों-कस्बों को पाइप लाइन पेयजल योजना से जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही हैं। धीरे-धीरे यह कम जनसंख्या वाले गांवों तक ले जाया जाएगा।
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Post By: pankajbagwan