भोजन शरीर के विभिन्न आंतरिक क्रियाओं एवं बाह्य कार्य-कलापों हेतु मात्र ऊर्जा का स्रोत ही नहीं है अपितु शरीर को स्वस्थ व बलवान रखने का उत्तम साधन होने के साथ-साथ मनोवृत्ति का निर्धारण भी करता है। पारम्परिक सोच एवं कुछ आधुनिक शोध कार्यों से भी यही निष्कर्ष निकला है कि सात्विक एवं शाकाहारी भोजन मानवीय संवेदनाओं का पालनकर्ता होता है जबकि तामसिक एवं मांसाहारी भोजन हिंसक एवं अमानवीय विचारों का जन्मदाता होता है। शायद इसीलिये भारतीय जीवनशैली में शाकाहारी भोजन को ही प्राथमिकता से अपनाने पर जोर दिया गया है। ऋषि-मुनियों द्वारा भी स्वस्थ्य चित-मन के लिये शाकाहार सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
विश्व के विकसित देशों के वैज्ञानिक एवं चिकित्सक भी भारतीय सोच का अनुसरण कर यह मानने लगे हैं कि मांसाहार कैंसर एवं अन्य असाध्य रोगों का कारण होने के साथ-साथ जीवन अवधि को भी छोटा कर रहा है। जबकि शाकाहार शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धिकर बीमारियों से लड़कर जीवन अवधि को बढ़ाता है।
मानव शरीर संरचना एवं उपर्युक्त भोजन
पृथ्वी पर विचरण करने वाले समस्त प्राणियों की शारीरिक संरचना एवं उनके अंगों का निर्माण व विकास उनके भोजन की प्रकृति एवं पद्धति के आधार पर तय होती है। मानव शरीर एवं अंगो का विकास अधिकतर शाकाहारी प्राणी के रूप में हुआ है। मानव के मुख्य अंग जैसे दांत, जीभ, आंत, यकृत, किडनी एवं पाचन तंत्र व अन्य इन्द्रियों की प्रकृति पूर्णतः शाकाहारी जन्तुओं से मेल खाती है ।
प्रकृति ने शाकाहारी भोजन के रूप में सभी स्वास्थ्य वर्धक पोषक तत्व उपलब्ध कराये हैं इनमें प्रमुख अनाज, फल, शाक-सब्जियाँ, सूखे मेवे आदि हैं। सारणी 1 में उदाहरणार्थ स्त्री, पुरूष व बच्चों हेतु दैनिक आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा प्रदर्शित कर दी गई है।
सारणी – 1 | |||
व्यक्ति | प्रोटीन (ग्राम में) | वसा (ग्राम में) | ऊर्जा (कैलोरी में) |
पुरुष (सामान्य कार्य) | 60 | 15 | 2700 |
पुरुष (अल्प कार्य) | 60 | 15 | 2300 |
स्त्री (सामान्य कार्य) | 50 | 15 | 2100 |
स्त्री (अल्प कार्य) | 50 | 15 | 1800 |
बालक (13-15 वर्ष) | 71 | 15 | 2400 |
बालिका (13-15 वर्ष) | 67 | 15 | 2050 |
सारणी-1 में दिखाई गई भोजन तत्वों की आवश्यकता सारणी-2 में प्रस्तुत शाकाहारी भोजन से आसानी से पूर्ण हो सकती है। |
सारणी-2 | |||||
क्र. सं. | भोजन स्रोत/प्रकार | मात्रा (ग्राम) | प्रोटीन (ग्राम) | वसा (ग्राम) | ऊर्जा (कैलोरी) |
1. | अनाज (गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा आदि) | 400 | 48.4 | 6.8 | 1384 |
2. | दालें (अरहर, मसूर, चना, उड़द आदि) | 60 | 14.6 | 7.3 | 209 |
3. | हरी पत्तेदार शाक-सब्जी | 100 | 2.0 | 0.7 | 26 |
4. | अन्य सब्जियां / तरकारी | 75 | 2.0 | 0.3 | 22 |
5. | आलू व अन्य कन्दमूल | 75 | 1.2 | - | 72 |
6. | फल | 50 | 0.3 | - | 24 |
7. | दूध | 250 | 8.0 | 10.2 | 168 |
8. | वसा (चर्बी) | 25 | - | 25.0 | 225 |
9. | शर्करा (चीनी) | 30 | - | - | 120 |
आंकड़ा स्रोत : राष्ट्रीय पौष्टिकता शोध संस्थान, हैदराबाद |
भारतीय परम्परा एवं मान्यता के अनुसार स्थानीय अनाज व शाक-सब्जियां ही उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी मानी जाती हैं। इस सम्बन्ध में उत्तरी भारत के नव सृजित राज्य उत्तराखण्ड में पारम्परिक रूप से प्रचलित बारानाजा (बारह अनाज) उगाने की पद्धति का जिक्र बहुत ही समसामयिक एवं तर्क संगत होगा। इस जलवायु परिवर्तन, घटती उत्पादकता एवं असंतुलित फसल चक्र के युग में बारानाजा पद्धति हमें पौष्टिक अनाज ही नहीं प्रदान करती बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिये जैव-विविधता की धरोहर को भी संजो कर रखती है। हिमालय एवं भारत के अन्य क्षेत्रों के शुष्क जलवायु में उगने वाले कुछ फसलों की पौष्टिकता सारणी-3 में प्रदर्शित की जा रही है। सुलभ संदर्भ एवं पहचान हेतु इन्टरनेट से प्राप्त चित्र प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
सारणी-3 | ||||||||
क्र.सं | फसल | जल (ग्राम) | प्रोटीन (ग्राम) | वसा (ग्राम) | खनिज (ग्राम) | कार्बोहाइड्रेट (ग्राम) | कैल्शियम (मिलीग्राम) | फास्फोरस (मिलीग्राम) |
1. | मंडुवा | 13.1 | 7.3 | 1.3 | 2.7 | 72.2 | 344 | - |
2. | झंगोरा | 11.9 | 6.2 | 2.2 | 4.4 | 65.5 | 20 | - |
3. | भट्ट | 8.1 | 43.2 | 19.5 | 4.6 | 20.9 | 240 | - |
4. | राजमा | 12.0 | 22.9 | 1.3 | 3.2 | 60.6 | 260 | - |
5. | कुट्टू | 11.3 | 10.3 | 2.4 | - | 65.1 | 64 | 355 |
6. | कौंणी | 11.2 | 12.3 | 4.3 | - | 60.9 | 31 | 299 |
7. | गहथ | 11.8 | 22 | 0.5 | - | 57.2 | 287 | 311 |
8. | उड़द | 10.9 | 24 | 1.4 | - | 59.6 | 154 | 385 |
उपरोक्त बारहनाजा फसल दैनिक जीवन हेतु आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ मिश्रित खेती की भी पारम्परिक किन्तु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आधुनिकतम पद्धति भी है। ऐसा प्रतीत होता है कि विभिन्न रोगों से ग्रसित इंसान को अब अंग्रेजी औषधियों पर भी विश्वास नहीं रह गया है एवं उत्तम स्वास्थ्य हेतु पुनः स्थानीय अनाजों की तरफ मुड़ने लग गया है, यही कारण था कि वर्ष 2012 के माह अक्टूबर में उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में आयोजित ‘‘सरस मेले’’ में उक्त अनाज जैसे कोणी, चीणा, झंगोरा, मन्डुवा आदि पहले दिन ही बिक चुके थे। उपरोक्त अनाजों के अतिरिक्त ज्वार, बाजरा, भट्ट, तिल, राजमा, उड़द, गहथ नौरंगी, कुट्टू, लोबिया, व तोर आदि बारहनाजा की सहयोगी फसलें है। भारतवर्ष के अनाज भण्डार कहे जाने वाले राज्य पंजाब एवं हरियाणा में भी स्थानीय अनाजों जैसे बाजरा, ज्वार आदि के उपयोग को राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार एवं अन्य संस्थाओं द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। वस्ततु: ग्रामीण परिवेश छोड़ चुके शहरी प्रवासियों को भी समझ में आ गया है कि स्थानीय शाकाहारी भोजन ही स्वस्थ शरीर मन की कुंजी है। शहरी जीवन शैली के लोग भी अब मोटे अनाजों की तरफ रुझान बढ़ाने लगे हैं।
क्या मांसाहार में पौष्टिक तत्व अधिक है?
यह एक सामान्य भ्रम या प्रचार-प्रसार का प्रभाव हो सकता है कि मांसाहारी भोजन अधिक शक्ति प्रदान करता है और इसमें अधिक पौष्टिक एवं पोषक तत्व पाये जाते हैं।
सारणी-4 | ||||||
क्र. सं. | भोजन स्रोत | प्रोटीन | कार्बोहाइड्रेट | वसा | खनिज तत्व | ऊर्जा (कैलोरी) |
1. | चीज/पनीर | 24.1 | 6.3 | 25.1 | 4.2 | 348 |
2. | दूध पाउडर | 22.3 | 25.7 | 1.6 | 4.3 | 206 |
3. | दूध (स्किमड) | 38.8 | 51.0 | 0.1 | 6.8 | 357 |
4. | यीस्ट (कवक) | 35.7 | 46.3 | 1.8 | - | 344 |
5. | मक्खन | - | - | 81.1 | 25 | 729 |
6. | घी | - | - | 100.0 | - | 900 |
7. | खाद्य तेल | - | - | 100.0 | - | 900 |
8. | गन्ने का रस | 0.1 | 9.1 | 0.2 | 0.4 | 39 |
9. | शर्करा (चीनी) | 0.1 | 99.4 | - | 0.1 | 398 |
10. | शहद | 0.3 | 79.5 | - | 0.2 | 319 |
11. | सुअर मांस | 18.7 | - | 4.4 | 1.0 | 114 |
12. | बकरी मांस | 21.4 | - | 3.6 | 1.1 | 118 |
13. | भैंस मांस | 22.6 | - | 2.6 | 1.0 | 114 |
14. | बकरी मांस पेशी | 18.5 | - | 13.3 | 1.3 | 194 |
15. | मछली | 8.9-76.1 | 0-13.9 | 0.2-19.4 | 0-27.5 | 59-413 |
16. | अण्डे | 13.3 | - | 13.3 | 1.0 | 173 |
राष्ट्रीय पौष्टिकता शोध संस्थान, हैदराबाद द्वारा प्रकाशित ‘’भारतीय भोजन पौष्टिकता महत्व’’ रिपोर्ट |
सारणी - 4 के द्वारा प्रस्तुत की जा रही रिपोर्ट स्पष्टत: इंगित करती है कि शाकाहारी भोजन में मांसाहारी भोजन की अपेक्षा अधिक पौष्टिक एवं पोषक ततव पाये जाते हैं जो कि सामान्य रूप से बहुत ही सस्ते एवं सुलभ हैं।
वैज्ञानिक प्रमाणों से स्पष्ट हो चुका है कि शाकाहारी भोजन एवं फलों-सब्जियों में मात्र अधिक पौष्टिक तत्व ही नहीं बल्कि शरीर की आवश्यक प्रक्रियाओं के लिये वांछित विटामिन, लवण व अन्य सूक्ष्म तत्व भी भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं जिससे शरीर स्वस्थ्य बना रहता है।
सारणी-4 | ||||||
क्र. सं. | भोजन स्रोत | प्रोटीन | कार्बोहाइड्रेट | वसा | खनिज तत्व | ऊर्जा (कैलोरी) |
1. | चीज/पनीर | 24.1 | 6.3 | 25.1 | 4.2 | 348 |
2. | दूध पाउडर | 22.3 | 25.7 | 1.6 | 4.3 | 206 |
3. | दूध (स्किमड) | 38.8 | 51.0 | 0.1 | 6.8 | 357 |
4. | यीस्ट (कवक) | 35.7 | 46.3 | 1.8 | - | 344 |
5. | मक्खन | - | - | 81.1 | 25 | 729 |
6. | घी | - | - | 100.0 | - | 900 |
7. | खाद्य तेल | - | - | 100.0 | - | 900 |
8. | गन्ने का रस | 0.1 | 9.1 | 0.2 | 0.4 | 39 |
9. | शर्करा (चीनी) | 0.1 | 99.4 | - | 0.1 | 398 |
10. | शहद | 0.3 | 79.5 | - | 0.2 | 319 |
11. | सुअर मांस | 18.7 | - | 4.4 | 1.0 | 114 |
12. | बकरी मांस | 21.4 | - | 3.6 | 1.1 | 118 |
13. | भैंस मांस | 22.6 | - | 2.6 | 1.0 | 114 |
14. | बकरी मांस पेशी | 18.5 | - | 13.3 | 1.3 | 194 |
15. | मछली | 8.9-76.1 | 0-13.9 | 0.2-19.4 | 0-27.5 | 59-413 |
16. | अण्डे | 13.3 | - | 13.3 | 1.0 | 173 |
राष्ट्रीय पौष्टिकता शोध संस्थान, हैदराबाद द्वारा प्रकाशित ‘’भारतीय भोजन पौष्टिकता महत्व’’ रिपोर्ट |
भोजन करने का ढंग : भारतीय परम्पराओं के अनुसार भोजन के ताजा एवं पौष्टिक होने के साथ-साथ उसको ग्रहण करने का भी ढंग उत्तम एवं शरीर के अनुकूल होना चाहिये। भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से मन में सात्विक भाव उत्पन्न होता है। भारत के ग्रामीण अंचलों में आज भी भोजन लकड़ी की चौकी पर पालथी मारकर ग्रहण करने की प्रथा है, जो कि इस वैज्ञानिक युग में भी तर्क संगत है। लकड़ी की चौकी पर बैठने से हमारे शरीर का पृथ्वी के चुम्बकीय बल से संपर्क टूट जाता है और शरीर की संपूर्ण ऊर्जा शरीर में ही निहित हो जाती है जो कि भोजन के पाचन तंत्र द्वारा उपयोग में लाई जाती है। ऐसी भी धारणा प्रचलित है कि ठोस भोजन को भी इतना चबाना चाहिये कि उसे मुँह से तरल पदार्थ की तरह भोजन नली में प्रवेश मिल सके और उसमें मुँह में श्रृवित पाचक रस टाइलिन भी भली-भाँति मिल सके। यहाँ तक कि तरल पदार्थों को भी चबाकर/काटकर पीने की सलाह दी जाती है जिससे वे सुपाच्य भोजन के रूप में शरीर के आमाशय में प्रवेश कर सकें।
मांसाहार बीमारियों का जनक : वैज्ञानिक परीक्षणों से स्पष्ट हुआ है कि अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 47,000 से अधिक बच्चे विभिन्न वशांनुगत बीमारियों से ग्रसित रहते हैं, जो कि उनके माँ बाप की मांसाहारी प्रवृति के कारण जन्म लेती है। वर्ष 1985 में अमेरिका के नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डा. एस. ब्राउन एवं डा. गोल्डस्टीन ने सिद्ध किया है कि हृदय घात के लिये जिम्मेदार कोलेस्ट्राल की अधिकांश मात्रा खून में मांसाहार से प्रवेशः करती है। यह कोलेस्ट्राल रक्त की नलिकाओं में जमकर उनको संकरा बना देता है या बन्द कर देता है, जिससे विभिन्न प्रकार की हृदय व किडनी आदि संबंधी रोग पैदा होते हैं। विश्व के जाने माने दूरदर्शन चैनल बी.बी.सी. द्वारा भी कई बार मांसाहारी वर्ग को गम्भीर बीमारियों जैसे हृदयघात, कैंसर, रक्तचाप, मोटापा, कब्ज, पथरी आदि के बारे में सचेत किया गया है। इसके साथ-साथ किडनी, लीवर एवं अन्य संक्रामक बीमारियों का प्रकोप भी मांसाहारी पाश्चत्य देशों में ज्यादा पाया गया है जबकि इन बीमारियों का प्रकोप भारत, जापान एवं अफ्रीकी देशों में शाकाहार के कारण कम पाया गया है। अमेरिका जैसे विकसित देश में प्रतिवर्ष 40,000 से अधिक लोगों की मृत्यु संक्रमित अन्डे एवं मांस खाने से होती है एवं विषैले भोजन द्वारा हुई मौत में 90% से अधिक संक्रमित मांस खाने के कारण होती है ।
क्या अंडा शाकाहार है ? वस्तुतः कोई भी अन्डा शाकाहार नहीं होता चाहे वह निषेचित हो या अनिषेचित। दोनों प्रकार के अन्डों का जन्म मुर्गी द्वारा ही होता है एवं दोनों का रासायनिक ढाँचा भी एक होता है। शाकाहारी अन्डा मात्र तत्काल धन कमाने हेतु बाजारी मानसिकता की देन है। शाकाहारी भोजन तो पृथ्वी पर प्रकाश, जल, मिट्टी की सहायता से पेड़-पौधों द्वारा उत्पन्न किया जाता है ।
मांसाहार, धर्म एवं महान विभूतियां : चूँकि मांसाहार का जन्म ही निरीह प्राणियों को मारकर होता है इसीलिये विश्व के सभी धर्मों में अहिंसा पर जोर दिया गया है। हिन्दू धर्म में भी सात्विक (शाकाहारी) भोजन ग्रहण करने पर ही जोर दिया गया है शेष राजसिक एवं तामसिक (मांसाहार) भोजन को उपयुक्त नहीं माना गया है। इस्लाम धर्म के अन्तर्गत सभी सूफी-सन्तों द्वारा भी साधारण शाकाहारी भोजन का उपयोग कर आदर्श जीवन-यापन करने पर जोर दिया गया है एवं मांसाहार को नकारा गया है। इसाई धर्म में भी लॉर्ड जीजस क्राइस्ट ने जॉन बेपटिस्ट से धार्मिक जागृति प्राप्त की थी जो कि मांसाहार के विरोधी थे। सिख धर्म में अहिंसा पर जोर देते हुए शाकाहार को उन्नति का मार्ग बताया है। सिख गुरू ‘गुरूनानक देव’ द्वारा भी हमेशा शाकाहारी भोजन किया गया है एवं गुरूद्वारों में भी हमेशा शाकाहारी प्रसाद वितरित किया जाता है ।
जैन धर्म में भी अहिंसा सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है यहाँ तक कि विचारों, शब्दों में भी हिंसा पर प्रतिबन्ध है। बौद्ध धर्म के पंचशील (पाँच) सिद्धान्तों में सर्वप्रथम सिद्धान्त अहिंसा का पाठ ही पढ़ाया है ।
विश्व प्रसिद्ध महान कवि दार्शनिक, वैज्ञानिक, कलाकार, लेखक, धार्मिक गुरू जैसे पाइथागोरस, न्यूटन, लियोनार्डो-दा विंसी, अनी वीसेन्ट, अलवर्ट आइन्सटीन, जार्ज वर्नाड शॉ, अरस्तु, टालस्टाय, मिलटन, सुकरात, अरिसटोटल, महात्मा गांधी, डा. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, मदर टेरेसा, सी. राजगोपालाचार्य, डा. राधा कृष्णन आदि पूर्णरूपेण शाकाहारी थे और इसी शाकाहारी जीवन शैली द्वारा वे संपूर्ण विश्व को अपने कार्यकलापों से प्रभावित करने में सफल रहे हैं।
सम्पर्क
पी.एस. नेगी
वा. हि. भूवि. सं., देहरादून
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