रोहिनि मृगसिरा बोये मका


रोहिनि मृगसिरा बोये मका। उरद मडुवा दे नहीं टका।।
मृगसिरा में जो बोये चना। जमींदार को कुछ नहीं देना।।
बोये बाजरा आये पुख। फिर मन में मत भोगो सुख।।


भावार्थ- घाघ का मानना है कि रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र में मक्का, उड़द और मडुवा बोने से पैदावार अच्छी नहीं होती है। यदि मृगशिरा में चना बो दिया तो जमींदार को देने भर का कुछ नहीं होगा। बाजरे को कभी भी पुष्य नक्षत्र में नहीं बोना चाहिए। ऐसा करने से किसान को टके भर का फायदा नहीं होता है।

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Post By: tridmin
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