देहरादून। राजधानी की प्रमुख नदियों पर अफसरों की अनदेखी और अतिक्रमणकारियों की मनमानी से आबादी बस गई है। स्थिति यह है कि नदियों पर बहुमंजिला इमारतें और आवासीय प्रोजेक्ट तक खड़े कर दिये। अधिकारियों में दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव के कारण हालात और खराब होते जा रहे हैं। स्थिति यह है कि शहर की नालियों को भी अतिक्रमणकारियों ने नहीं छोड़ा उन पर भी दुकानें बना ली है।
दून में सरकारी और निजी जमीनों को कब्जाने के मामले आम हैं। इतना ही नहीं यहाँ पर नदी, नाले और नालियों पर भी अतिक्रमणकारियों का राज चलता है। निरन्तर बढ़ रहे अतिक्रमण से जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थिति यह है कि शहर की प्रमुख नदी रिस्पना को मसूरी से लगे शिखरफॉल से करीब 12 किमी दूर मोथरोवाला संगम, बिंदाल को मालसी से सुसवा तक 13 किमी, टौंस को गुच्चू पानी से प्रेमनगर तक, सौंग को मालदेवता से डोईवाला तक तथा नून नदी को कैंट इलाके में अतिक्रमणकारियों ने पूरी तरह से कब्जा रखा है। मगर कार्रवाई के नाम पर यहाँ चालान भी नहीं होता है। इससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। इसी का परिणाम है कि नदियों को बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे आबादी में तब्दील हो रहा है।
इन नदियों पर अतिक्रमण शिखर फॉल, कैरवाना गाँव, राजपुर, पुलिस अॉफिसर्स कॉलोनी, रायपुर, भगत सिंह कॉलोनी, चूना भट्ठा, अधोईवाला, नई बस्ती डालनवाला क्षेत्र, रिस्पना क्षेत्र, डिफेंस कॉलोनी मोथरोवाला।
मालसी क्षेत्र, कैंटोनमेंट क्षेत्र, जाखन, सालावाला, हाथीबड़कला, बिंदाल बस्ती, बिंदाल पुल, खुड़बुड़ा, कैंट क्षेत्र की नून नदी, गुच्चूपानी से प्रेमनगर तक टौंस नदी और मालदेवता से डोईवाला तक सौंग नदी पर भी अवैध कब्जे हो रखे हैं।
पाँच आईएएस और कई पीसीएस- हद तो यह है कि राजधानी में डीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, ज्वांइट मजिस्ट्रेट, नगर आयुक्त और एमडीडीए के उपाध्यक्ष पद पर आईएएस हैं। इसके अलावा आधा दर्जन एसडीएम भी राजधानी के अहम पदों पर नियुक्त हैं। जिनके पास दून को अतिक्रमण मुक्त करने की जिम्मेदारी है, लेकिन कोई भी कार्रवाई को तैयार नहीं है। जिसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
रिवर फ्रंट योजना के नाम पर कब्जे- एमडीडीए ने नदियों के किनारे कई आवासीय प्रोजेक्ट को अनुमति दी है। यहाँ रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के नाम पर आधी नदी क्षेत्र में आवासीय प्रोजेक्ट बनाये गये। ऐसे में अनुमति देने वाला प्रशासन इन पर कैसे कार्रवाई करेगा, इस पर भी सवाल उठना लाजिमी है। इन प्रोजेक्ट को स्वीकृत कराने में एमडीडीए से लेकर प्रशासन की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध रहती है जिसे लेकर कई बार सवाल भी खड़े हुए हैं।
यहाँ नाले हो गये गायब- राजपुर, रायपुर, डिफेंस कॉलोनी मोहकमपुर, बंजारवाला, मोथरोवाला, सहस्त्रधारा क्षेत्र, मालदेवता, प्रेमनगर, क्लेमनटाउन, गढ़ीकैंट, मोहबेवाला आदि में बरसाती और सीजनल नाले अब पूरी तरह से गायब हो गये हैं।
चिन्हीकरण के बाद टल गई कार्रवाई- मिशन रिस्पना अभियान के लिये प्रशासन ने शिखर फॉल से रायपुर तक करीब 735 से ज्यादा अतिक्रमण चिन्हित किये थे। मगर अचानक इस अभियान को रोक दिया। इसी तरह शहर में नालियों के ऊपर अतिक्रमण हटाने को शहरी विकास मंत्री ने पुलिस और प्रशासन की टीम गठित कर कार्रवाई के निर्देश दिये गये थे, लेकिन कुछ दिन अतिक्रमण का सर्वे कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली।
नदियों और नालियों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई समय-समय पर की गई। नोटिस और चालान की कार्रवाई भी की गई है। मगर कुछ जगह पक्के अतिक्रमण होने से हटाने में दिक्कतें आ रही हैं। इन मामलों में जल्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी। -एसए मुरूगेशन, जिलाधिकारी
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