अपने आसपास बिखरे वेस्ट को बेहतरीन तरीके से यूजफूल बनाकर हम भी अपने एनवायरमेंट को सेफ रखने में अपना सहयोग दे सकते हैं। इसका एक शानदार उदाहरण देखने को मिल रहा है इंटीरियर डिजाइनिंग की दुनिया में, जहां वेस्ट से बेस्ट बनाने का काम हो रहा है।
अक्सर हम लोग तेजी के साथ अपने आसपास के बदल रहे क्लाइमेट के बारे में न्यूज देखते हैं या आर्टिकल्स में पढ़ते हैं। हमारे आसपास लगातार कम हो रहे नेचुरल रिसोर्सेज ने हमारे जीवन को ही नहीं, हमारी धरती को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। डिजाइन और आर्टिटेक्टर में सस्टेनिबिलिटी का काॅन्सेप्ट इसी चिंता के कारण बढ़ा है। एक इंटीरियर डिजाइनर के रूप में सस्टेनेबिलिटी को लेकर मेरी बुनियादी समझ ईमानदारी, प्रेम, सुरक्षा और सजगता से जुड़ी है।
इस सोच के कारण हम अपने काम के दौरान मैटीरियल और प्रोडक्शन प्रोसेस के बारे में ज्यादा गंभीरता से सोचने लगते हैं। कैसे इस प्रकार के मैटेरियल का चयन किया जाए जो नेचुरल रिसोर्सेज को कम से कम नुकसान पहुंचाए। जब हम गंभीरता से इन बातों पर विचार करते हैं तो इसका परिणाम यह होता है कि प्रोडेक्शन प्रोसेस में कम से कम चीजें बर्बाद होती हैं। मेरे मल्टी डिजाइनर स्टोर ‘अमिराह’ का इंटीरियर सस्टेनेबल सोच का प्रतीक है।
मास्टर पीस को देखिए
हमने एक वैनिटी स्लैब बनाया है। आप ये जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि हमने इनको एक पुराने बेकार हो चुके लकड़ी के स्लैब को इकट्ठा करके उसे जोड़कर बनाया है। मैंने इनको किंत्सुगी नाम की जैपनीज आर्ट का इस्तेमाल करके पूरी तरह से नए और खूबसूरत वर्जन में चेंज कर दिया है। इस पूरे काम में पुरानी लकड़ी पर आई दरारों को गोल्ड पाउडर और लिक्विड से भरा गया है, ताकि उसको मजबूत बनाने के साथ नया लुक भी दिया जा सके। इसके अलावा स्लैब के बाहर के खोखले हिस्से को नीचे से जला दिया गया, ताकि उसका खोखलापन पूरी तरह से खत्म हो जाए।
ऐसे लौटेगी खूबसूरती
यहां एक बात खास ध्यान देने की है और वो ये कि एक बार जो चीज पुरानी या फेंकने लायक हो गई, उसकी खूबसूरती को कैसे वापस लौटाया जाए ताकि उसकी इंपोर्टेंस पहले से ज्यादा बढ़ जाए। इसके लिए मैंने पुरानी लकड़ी पर पड़े दागों को भी हटाकर उनकी जगह कुछ आकर्षक करने की कोशिश की। यहां सबसे ज्यादा ध्यान चीजों के बुद्धिमानी से यूज करने पर नहीं, बल्कि उससे भी ज्यादा इस बारे में सोचने पर दिया गया है कि किसी भी मैटेरियल को कितनी खूबसूरती के साथ रीयूज किया जा सकता है।
आप खुद सोच सकते हैं कि उस दुनिया में जहां पुरानी चीजों को बड़े आसानी से फेंक दिया जाता है। वहां उस खुशी की सीमा क्या होगी जो जर्जर हो चुकी लकड़ी से बनी नई कुर्सी पर बैठने से मिलेगी या वैसी ही लकड़ी से बने सुंदर दरवाजों के पीस को देखकर मिलेगी। दीवार पर जो हमने शीशे के फ्रेम को लगाया है। उसे किसी जूते के दागे हुए साचें को रीसाइकल करके बनाया गया है। कहने का मतलब यह है कि हम अपने काम में अगर ढ़ूढ़ें तो हमें कई ऐसे मौके मिल सकते हैं, जिसमें हम कुछ नया क्रिएट करने के साथ पर्यावरण के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर सकते हैं।
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