1. सीतापुर जिले के सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आये गोंदलामऊ और ऐलिया ब्लॉक
2. जिले में संरक्षण के कोई इन्तजाम नहीं
3. तेजी से खिसक रहा भूजल का स्तर
'रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून'
गरीब-सीमान्त किसान, भूमिहीन खेतिहर मजदूर और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के जलवायु सरोकार क्या हैं? जलवायु परिवर्तन की इस परिस्थिति में सुरक्षा और समाधान को लेकर हमारी क्या-क्या भूमिका हो सकती है? उस भूमिका का निर्वाह सुनिश्चित करने के लिये हमें कैसी तैयारी की जरूरत है? इन प्रश्नों पर आज विचार-विमर्श की जरूरत है। जरूरत कि समय रहते भावी कार्ययोजना बने। इसीलिये तरुण भारत संघ के गँवई आँगन में ठंडे दिमाग और स्थिर मन के साथ विचार करने की दृष्टि से यह कार्यशाला आयोजित की गई है।अन्धाधुन्ध जल दोहन के चलते सीतापुर जिले के जलस्तर में तेजी से गिरावट आई है। सीतापुर जिले के गोंदलामऊ व एेलिया ब्लाॅक जलस्तर के मामले में खतरे के निशान पर पहुँच गए हैं। राजकीय नलकूपों की मोटरें हल्टिंग करने लगी हैं। जल दोहन का यही हाल रहा तो वह समय दूर नहीं जब पेयजल की समस्या से हमारी भावी पीढ़ियों को जूझना होगा। आँकड़ों के अनुसार जिले के गोंदलामऊ और एेलिया ब्लॉकों में बीते दस सालों से औसतन प्रतिवर्ष 20 सेमी. के जलस्तर में गिरावट देखी जा रही है।रहीमदास के इस दोहे का मर्म अगर हम आज भी नहीं समझे तो फिर आने वाले समय में हमें पानी की एक-एक बूँद के लिये तरसना पड़ सकता है। जिले में वनों की कटान और अन्धाधुन्ध जलदोहन के चलते जिले के कसमंडा और गोंदलामऊ विकास खण्डों में भूजल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है। इसके बावजूद भी भूजल संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन कतई भी गम्भीर नहीं हैं।
कई साल पुराने शासनादेश के बावजूद जिले में बारिश के पानी को संरक्षित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। सदर तहसील भवन के अलावा जिले भर में कोई दूसरा जल संरक्षण संयंत्र नहीं लगा है। इसके अलावा मनरेगा के तहत जो मॉडल तालाब खोदे गए हैं, उनमें भी पानी संग्रहित करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। प्राकृतिक रूप से बारिश का जो पानी जमीन के अन्दर समा रहा है वह भी हालात में कोई सुधार नहीं कर पा रहा है। जिस कारण जिले का भूजल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है।
जिले के विभिन्न विकास खण्डों में किये गए सर्वेक्षण के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। अन्धाधुन्ध जल दोहन के चलते जिले के जलस्तर में तेजी से गिरावट आई है। जिले के गोंदलामऊ व एेलिया ब्लाॅक जलस्तर के मामले में खतरे के निशान पर पहुँच गए हैं। राजकीय नलकूपों की मोटरें हल्टिंग करने लगी हैं। जल दोहन का यही हाल रहा तो वह समय दूर नहीं जब पेयजल की समस्या से हमारी भावी पीढ़ियों को जूझना होगा। आँकड़ों के अनुसार जिले के गोंदलामऊ और एेलिया ब्लॉकों में बीते दस सालों से औसतन प्रतिवर्ष 20 सेमी. के जलस्तर में गिरावट देखी जा रही है।
यह दोनों ब्लाॅक सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आ गए हैं। गोंदलामऊ ब्लॉक के 738.79 हेक्टेयर क्षेत्रफल के जलस्तर में एक मीटर की वृद्धि की जरूरत है। यहाँ के स्वच्छ पेयजल के जलस्तर में 79.31 प्रतिशत कमी पाई गई है। इसी तरह एलिया ब्लॉक के 1123.23 हेक्टेयर के क्षेत्रफल के भी जलस्तर में एक मीटर पानी की बढ़ोत्तरी की जरूरत है।
यहाँ पर स्वच्छ पयेजल के जलस्तर में 94.81 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा महोली, खैराबाद व हरगाँव ब्लाॅकों में भी स्थापित नलकूपों की मोटरें पानी कम और रुक-रुक कर उठा रही हैं। जिससे जलस्तर कम होने का आभास हो रहा है। जानकारों का कहना है कि यदि गर्मी का यही हाल रहा तो अगले दो-तीन माह में जलस्तर 5 फुट और नीचे खिसक जाएगा और बोरिंग में 10 फुट पाइप बढ़ाना पड़ेगा।
मवेशियों की प्यास बुझाने और जल संरक्षण के लिये जिले भर में खोदे गए मॉडल तालाब सफेद हाथी बने हुए हैं। दूसरों की प्यास बुझाने की कौन कहे, यह मॉडल तालाब खुद एक-एक बूँद पानी को तरस रहे हैं। रामपुर मथुरा विकास खण्ड के महिमापुर और रूदाइन गाँव के माॅडल तालाब सूखे पड़े हैं।
जिले में भूजल की स्थिति
कुल उपलब्ध भूजल : 211774.34 हेक्टो मीटर
भूजल का सालाना उपयोग : 132207.86 हेक्टो मीटर
अवशेष जल : 74669.89 हेक्टो मीटर
भूजल विकास दर : 62.43
जिले में कुल नलकूप : 751
जिले में कुल हैण्डपम्प : 4063
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