रेल सेवा की शुरुआत और आजादी की पहली लड़ाई (1857)

1859 में 32 किलोमीटर की लम्बाई में तुड़वा दिया जिससे तटबंधों के निर्माण के कारण जो बाढ़ के लेवल में वृद्धि हुई थी उसे काफी हद तक कम किया जा सका और 1863 आते-आते जमीन की उर्वरता में भी काफी सुधार हुआ।

1850 वाले दशक में देश में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। पहली घटना थी ठाणे और मुम्बई के बीच 16 अप्रैल 1853 को रेल सेवाओं की शुरुआत और दूसरी घटना थी 1857 में देश की आजादी के लिए राष्ट्रव्यापी संघर्ष। रेल सेवाओं को पश्चिमी तट से बंगाल पहुँचते देर नहीं लगी। बंगाल उस समय ब्रिटिश सत्ता का केंद्र था जहां पहली रेल सेवा हावड़ा और रानीगंज के बीच 15 अगस्त 1854 को शुरू हुई जिसे बाद में बर्द्धमान तक बढ़ाया गया। सरकार ने दामोदर नदी पर बने तटबंधों की जिम्मेवारी अपने ऊपर 1855 में यह कह कर ले ली वह उन्हें पूरी तरह से जलरोधी बनाएगी और उनमें किसी तरह की दरार नहीं पड़ने दी जाएगी। वैसे भी रेल लाइन एक बांध की शक्ल में ही थी और उसे दामोदर नदी की बाढ़ से बचाना बहुत जरूरी था। अब जबकि दामोदर नदी के तटबंधों को ऊँचा और मजबूत तथा जलरोधी बनाया जाने लगा तो बाढ़ नियंत्रण की छवि में भी ‘‘निखार’’ आने लगा। एक ओर रेल लाइन को मजबूत किया जा रहा था दूसरी ओर साथ-साथ ग्राण्ड ट्रंक रोड को भी ऊँचा और ताकतवर बनाया जा रहा था। जैसे इतना ही काफी नहीं था, दामोदर नदी पर एक वीयर बना कर उसकी मदद से ईडेन कैनाल नाम की नहर भी उसी इलाके में बना डाली गई। यह सारी रचनाएं एक दूसरे के समानांतर चलती थीं और पानी के प्राकृतिक प्रवाह की दिशा के सामने दीवार बन कर खड़ी थीं। नतीजा यह हुआ कि पानी के बहाव के सारे रास्ते रुक गये। विल्कॉक्स लिखते हैं कि ‘‘दामोदर को इन पाँच भुतही दीवारों के बीच में बांध कर के दामोदर और हुगली के बीच के एक समय के स्वास्थ्यकर और समृद्ध इलाके को मलेरिया और गरीबी के गड्ढे में ढकेल दिया गया।’’

जहाँ कहीं भी तटबंध बने, उनके बाहर के प्राकृतिक तालाब और पोखरे अपनी मौत मरने लगे क्योंकि पानी में उगने वाले खर-पतवार ने उनको जाम कर दिया। जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होने लगी और खाद्यान्नों की कमी तथा अकाल अपना सिर उठाने लगे। सन् 1860 में रेल लाइन के निर्माण पूरा होने के एक साल के अंदर 1861 में पूरे इलाके में बेतरह मलेरिया फैला। उन दिनों तक मलेरिया की डॉक्टरी दवा का आविष्कार नहीं हुआ था। रेलवे के बांध में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं थी और उनसे होकर पानी निकल नहीं पाता था। सरकार को बर्द्धमान जिले में पहली बार मलेरिया के इलाज के लिए खरौती दवाखाने खोलने पड़ गए। फिर सरकार ने दामोदर नदी के दायें तटबंध को बिना कोई प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाए 1859 में 32 किलोमीटर की लम्बाई में तुड़वा दिया जिससे तटबंधों के निर्माण के कारण जो बाढ़ के लेवल में वृद्धि हुई थी उसे काफी हद तक कम किया जा सका और 1863 आते-आते जमीन की उर्वरता में भी काफी सुधार हुआ।

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Post By: tridmin
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