“रेगिस्तान में स्थापित अधिकतर उद्योग हाइड्रोकार्बन व खनिज के निष्कासन से संबंधित हैं। इनके अलावा पर्यटन और फिल्म निर्माण आदि से जुड़े व्यवसायी, यहां की जलवायु का लाभ उठाते हैं। अक्सर रेगिस्तान कुछ अन्य उद्योगों के लिए भी सकारात्मक आकर्षण का कारण हैं।”- डिज़र्ट : दि इनक्रोरचिंग वाइल्डरनेस (ए मिशेल बीजले वर्ल्ड कंसर्वेशन एटलस), टोनी अलान एंड एंड्राव (जनरल एडीटर)
सामान्यतया विश्व के रेगिस्तान ऐसे निर्जन और दुर्गम स्थानों पर स्थित हैं जहां पहुंचना दुष्कर है। रेगिस्तान में हाइड्रोकार्बन और खनिजों के प्रचुर भंडार हैं। अपनी शुष्क जलवायु के कारण रेगिस्तान ने इन्हें शताब्दियों से सहेज कर रखा है। विश्व में प्रचुर लवणीय पदार्थों से युक्त रेगिस्तानों में से दक्षिण अमेरिका का अटाकामा रेगिस्तान प्रमुख है।खनिज निक्षेप
खनिज निक्षेप एक या अधिक खनिजों का प्राकृतिक संचयन हैं अनेक समुदायों के लिए तांबे और सोने जैसे खनिज निक्षेप आजीविका का श्रोत हैं। यह निक्षेप अनवीनीकृत श्रोत हैं। खदान खाली हो जाने पर दूसरा श्रोत खोजा जाता है।
धरती द्वारा नवीन खनिज निक्षेपों का निर्माण भी किया जाता है लेकिन इसमें लाखों वर्ष का समय लग सकता है। रेगिस्तान वृहद क्षेत्रों में फैले हैं। रेगिस्तान में जलवायु के परिणामों के समान भूगर्भ प्रक्रियाओं द्वारा कुछ विशेष खनिज निर्मित होते हैं और उनकी संरचना बदलने के साथ उनमें सुधार आ सकता है तथा वहां की शुष्क भूमि में वे लंबे समय तक सुरक्षित भी रह सकते हैं। कुछ खनिज वहां की उथली झीलों में तेज वाष्पीकरण के फलस्वरूप, अधिक सघन रूप लेकर शुद्ध हो जाते हैं। इन सूखी हुई झीलों को ‘प्लाया’ कहते हैं।
प्लाया से खनिज
प्लाया अनप्रवाह रेगिस्तानी बेसिन के सबसे निचले हिस्से में स्थित वनस्पति विहीन समतल क्षेत्र होता है। इस क्षेत्र में केवल आर्द्र मौसम में ही झीलें मिलती हैं जो बाद में सूख जाती हैं। प्लाया क्षेत्र में रेत, चिकनी म्टिटी, टिलर और घुलनशील लवण बहुतायत में मिलते हैं। आर्द्र मौसम में प्लाया की सतह पर ये पूर्ण रूप से सूख जाते हैं और इनकी दरारों या विदारों से चिकनी मिट्टी से भरपूर अवक्षेप जमा हो जाता हैं। प्लाया संवृत्त द्रोणी रूप में होता है। इस प्रकार के संवृत द्रोणी प्लाया में जल के वाष्पीकरण से जिप्सम, लवण (सोडियम नाइट्रेट और सोडियम क्लोराइड सहित), बोरेकस और जल में घुलनशील लवणों का जमाव होता है। इस प्रकार रेगिस्तान में जिप्सम, सोडियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट, नमक और बोरेक्स का जमाव होता है जो रेगिस्तान के ऐतिहासिक उत्पाद रहे हैं।
इन खनिजों की प्राप्ति इनके जमाव के समय नमकीन पानी के संघटन तथा तापमान पर निर्भर करती है। मेजोव राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्र की शुष्क झील प्लाया का अच्छा उदाहरण है। शुष्क मौसम के दौरान अम्लीय लवण मुख्यतः सोडियम बाईकार्बोनेट प्लाया की सतह पर सफेदी की भांति जम जाता है।
धात्विक अयस्क
अनेक धातुओं के अयस्क रेगिस्तान में अच्छी-खासी मात्रा में मिलते हैं। रेगिस्तान में तांबा, सोना, चांदी, लोहा तथा यूरेनियम के अयस्क मिलते हैं। विश्व के अधिकांश तांबे की मात्रा दक्षिणी अफ्रीका के अटाकामा तथा ईरान के जे़गरो पर्वतों के उच्च लवणीय रेगिस्तानी क्षेत्रों से निकाली जाती है। सहारा रेगिस्तान के मोरीटोनिया दक्षिणी पश्चिमी अलजीरिया के क्षेत्र तथा दश्त.ए.कविर रेगिस्तान में भी लोहे के अयस्क पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा नमीबिया के रेगिस्तान क्षेत्रों में यूरेनियम का अयस्क भी उपलब्ध है। नमीबिया में हीरे का भंडार क्षेत्र ‘हीरे का तट’ स्थित है।
अधात्विक निक्षेप
अधात्विक संबंधी खनिज जैसे बेरीलियम, माइका, चिकनी मिट्टी, लीथियम, झांवां तथा ज्वालामुखी मलबे का अंश (स्कोरिया) आदि शुष्क क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। भूगर्भ प्रक्रियाओं के फलस्वरूप रेगिस्तान के नमक के क्षेत्रों में जल के वाष्पीकरण के पश्चात प्राप्त तलछट में अनेक खनिज जैसे सोडियम कार्बोनेटए सल्फेटए बोरेटए नाइट्रेट, ब्रोमीन, आयोडीन, केल्शियम तथा स्ट्रोनशियम यौगिक प्राप्त होते हैं। विश्व में सल्फेट का सबसे विशाल भंडार रेगिस्तान में ही है। संसार में फास्फेट के सबसे विशाल भंडार सहारा तथा जार्डन के रेगिस्तानों में स्थित हैं। अटाकामा रेगिस्तान में सल्फेट और लवण के अलावा तकनीकी और स्वास्थ्य क्षेत्रों में उपयोगी लीथियम की 40 प्रतिशत मात्रा मिलती है।
रेगिस्तानी खनिजों का महत्व
वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने विश्व भर के रेगिस्तानों में भंडारित खनिजों के महत्व के बारे में यह कहा है कि (http://www.unep.org/GEO/gdoutlook/049.asp) “ सकल विश्व के वैश्विक बाक्साइड (एल्युमिनियम का श्रोत) ” की आपूर्ति में से अड़तीस प्रतिशत की प्राप्ति आस्ट्रेलिया के शुष्क क्षेत्र से होती है। वर्ष 2004 में विश्व के कुल तांबे के खनन में चीन, आस्ट्रेलिया और मैक्सिको के रेगिस्तानों का योगदान बावन प्रतिशत था। विश्व के तैंतीस प्रतिशत हीरे बोस्वाना और नामीबिया के शुष्क क्षेत्रों से निकाले गए थे। दक्षिण अफ्रीकाए उत्तर पश्चिमी चीन, आस्ट्रेलिया, उजेबेकिस्तान और माली के रेगिस्तान विश्व के स्वर्ण उत्पादन में पैंतीस प्रतिशत के भागीदार हैं। वैश्विक लौह उत्पादन का बाईस प्रतिशत उत्पादन और पैंतीस प्रतिशत निर्यात आस्ट्रेलिया से होता हैं। आस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में अनेक खनिज हैं।
फास्फोरस की चट्टानों का खनन मोरक्को (विश्व उत्पादन का सोलह प्रतिशत), सेनेगल (नौ प्रतिशत), टुनिसिया (छह प्रतिशत), जार्डन (पांच प्रतिशत), आस्ट्रेलिया (चार प्रतिशत) और इजराइल (तीन प्रतिशत) के रेगिस्तानों से किया जाता हैए इन सभी का कुल वैश्विक फॉस्फोरस चट्टानों के खनन में 43 प्रतिशत का योगदान हैं।
रेगिस्तानों से विश्व के आधा यूरेनियम अयस्क का खनन (कजाकिस्तानए नाइगर, नामीबिया, उजबेकिस्तान, दक्षिण अफ्रीकारू बीजीएस 2006) किया जाता है। खनिज संपदा में रेगिस्तानों का महत्वपूर्ण योगदान वाष्पशील खनिजों सोडाए बोरान और नाइट्रेट (उदाहरण के लिए चीली साल्टपीट), के रूप में है, ये खनिज अन्य पारिस्थितिकी तंत्र में नहीं मिलते हैं।
सौर ऊर्जा
धरती पर आने वाली सौर ऊर्जा का अधिकतम घनत्व लगभग एक किलोवाट प्रति वर्ग मीटर होता है। रेगिस्तान प्रचुर मात्रा में सूर्य प्रकाश प्राप्त करते हैं इसीलिए यहां नवीनीकृत सूर्य ऊर्जा सोलर ऊर्जा के लिए आदर्श स्थिति उपलब्ध कराती है। सोलर तापीय ऊर्जा संयंत्र (सोलर ऊर्जा संयंत्र या सीएसपी संयंत्र से संबद्ध परंपरागत ऊर्जा स्टेशनों के समान ऊर्जा उत्पन्न करता है लेकिन इसमें ऊर्जा का निवेश सौर विकिरणों के रूप में होता हैं तब इनमें टरबाइन उच्च ताप वाली भाप या गैस से घूमता है। यह अनुमान लगाया गया था कि यदि सहारा रेगिस्तान की एक प्रतिशत सतह पर यदि सौलर तापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर दिया जाए तो ये संयंत्र संपूर्ण विश्व की विद्युत् मांग को पूरा करने में समर्थ होंगे।
हालांकि सौर ऊर्जा की उत्पादकता बादल छाने और वायुमंडलीय आर्द्रता सहित कुछ अन्य भौगोलिक कारकों पर निर्भर करती है। एक वर्ग किलोमीटर में शुष्क और उष्ण क्षेत्र में स्थापित सौर तापीय इकाई लगभग 100 गीगावाट प्रतिघंटा विद्युत् उत्पादित कर सकता है। विद्युत की यह मात्रा 50,000 हजार घरों की वार्षिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है। विश्व का सबसे विशाल सौर ऊर्जा संयंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित मोजावे रेगिस्तान के लुज स्थान पर स्थापित है।
लवणीय खनिज
उत्तरी अमेरिका के अटाकामा रेगिस्तान में अनेक लवणीय खनिज पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से ही अटाकामा रेगिस्तान से सोडियम नाइट्रेट की खुदाई जारी है जिसका उपयोग गोला-बारूद तथा रासायनिक खाद के रूप में किया जाता है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लगभग 30 लाख टन सोडियम नाइट्रेट अटाकामा रेगिस्तान से निकला गया था। साधारण खाने वाला नमक तो अनेक रेगिस्तानों से प्राप्त किया जाता है।
जैविक संसाधन
रेगिस्तानी वनस्पतियों ने लंबे समय में अपने को यहां की कठोर परिस्थितियों के अनुकूल बनाया है। इसीलिए यह सोचा गया कि यह वनस्पतियां औषधीय उपयोग के अनेक रसायनों का श्रोत हो सकती हैं। रेगिस्तान में बहुत अधिक संख्या में औषधीय जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। जिनका यहां रहने वाले लोग व अन्य बाहरी लोग भी परंपरागत उपयेाग करते आए हैं। उदाहरण के लिए थार रेगिस्तान की 95 प्रतिशत बीमारियों के उपचार में यहां मिलने वाली 85 प्रतिशत वनस्पतियों का उपयोग किया जाता है। हाल ही में नेगेव रेगिस्तान में प्रति-मलेरिया गतिविधि वाली कुछ वनस्पतिया को पहचाना गया है। अर्जेंटीनाए अरीजोना और मोरक्को के रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाए जाने वाली वनस्पतियों में सूक्ष्म जीवों के प्रति प्रतिरोधकता देखी गई है। विशाल रेगिस्तानी क्षेत्र वाले भारत एवं चीन जैसे अनेक देश औषधीय महत्व की जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का निर्यात करते हैं।
दुर्भाग्य से किसी भी रेगिस्तानी पौधे के ज्ञात सक्रिय तत्वों को विश्व स्तर पर औषधि विज्ञान में प्रकाशित नहीं किया गया है। यद्यपि इस प्रकार के संबंधित अनेक तत्वों पर पेटेंट का दावा जताया जा रहा है। कम से कम एक आहार संबंधी पूरक उत्पाद जो शुष्क भूमि के पौधों (होडीपा गोरडनी-कालाहारी रेगिस्तान की एक कैक्टस प्रजाति) से प्राप्त होता हैए को व्यावसायिक बाजार उपलब्ध हुआ है।
रेगिस्तानी पौधों के औषधीय गुण अभी पूर्णतः सामने आने बाकी हैं। यद्यपि रेगिस्तानी पारिस्थितिकी का अधिक दोहन वहां की जंगली वनस्पतियों की संख्या के लिए अहितकर हो सकता है।
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