![रेगिस्तान में मिला 4800 खरब लीटर का जल भंडार](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/hwp-images/barmer_3.jpg?itok=3qU2VHzB)
रतन दवे, राजस्थान पत्रिका, 22 जनवरी, 2020
वैज्ञानिकों के अनुसार बाडमेर से जालौर तक भूगर्भीय विस्तार वाले इस 4,800 खरब लीटर के पानी के भंडार की सबसे बड़ी चुनौती इसका खारापन है। केन्द्र सरकार का जलशक्ति मंत्रालय इसको मिशन के रूप में हाथ में ले तो खाड़ी देशों की तरह पानी की लवणीयता को हजारों सालों तक पानी को खत्म कर 10 लाख की आबादी आपूर्ति की जा सकती है।
कैसे हुई खोज
भूकम्पीय सर्वे, पेट्रों-भौतिक डेटा और विस्तृत हाइड्रो-जियोलॉजिकल जां की गई। केयर्न ऑयल एंड गैस ने बाड़मेर बेसिन में थूम्बली जल भंडारों की खोज की।
कहां तक विस्तार
बायतु के निकट माडपुरा बरवाला में मिले इस पानी का फैलाव बायतु शिव, बाडमेंर, गुडामालानी से लेकर सांचौर और कुर्द (जालौर) तक।
समस्या खारापन
इस भूमिगत जल भंडार में लवण की मात्रा न्यूनतम 5,000 मिलीग्राम प्रति लीटर से 20,000 मिलीग्राम है। सामान्यतः पेयजल में लवण की मात्रा 1000 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मान्य होती है।
अनुमान से ज्यादा
केयर्न इंडिया एनर्जी के उच्च सदस्य सूत्रों के अनुसार जितना अनुमान था उससे कहीं ज्यादा जल का यह भंडार है। लवणीयता कम करके इसे उपयोग में लिया जाता है तो रेगिस्तान की पेयजल की समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा।
क्या हो सकता है उपाय
इजरायल और खाड़ी देशों में 3500 मिलीग्राम प्रति लीटर लवणीयता वाले समुद्री जल को सौर ऊर्जा प्लांट से साफ किया जाता है। ये उपाय हो सकता है।
ये सरस्वती का विखंडित तंत्र है
यह सरस्वती का विखंडित तंत्र है। यदि ये सरस्वती का तंत्र होता तो पानी में इतनी लवणीयता नहीं होती। पानी में क्ले और अन्य खनिज मिलने के कारण लवणीयता है। आधुनिक तकनीक से टीडीएस को कम किया जा सकता है। - प्रो.सुरेश माथुर, भू-वैज्ञानिक
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