राँड़ मेंहरिया अन्ना भैंसा।
जब बिचलै तब होवै कैसा।।
भावार्थ- विधवा स्त्री और बिना स्वामी का स्वच्छंद भैंसा यदि बहक जायें तो अनर्थ ही होगा।
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