सारांश : रानीगंज कोयलांचल को भारत में कोल खनन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। रानीगंज कोयलांचल के खदान जल की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये खदान जल के भौतिक और रासायनिक गुणों की विशेषताओं का अध्ययन किया गया। वर्तमान अध्ययन में खदान जल को घरेलू और पेयजल में उपयोग करने हेतु खदान जल के विभिन्न प्राचल पैरामीटरों की भारतीय पेयजल मानक IS;10500 के साथ तुलना की गया। 8 खनन क्षेत्रों से खदान जल के कुल 27 नमूने (भूमिगत और खुली खदान से) एकत्र किये गये। इन नमूनों से विभिन्न प्रावल पैरामीटर जैसे पी एवं चालकता, कुल घुलनशील ठोस, टर्बोडिटी, घुलनशील ऑक्सीजन, कठोरता, क्लोराइड, सल्फेट, बाइकार्बोनेट, क्षारियता, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम इत्यादि का विश्लेषण किया गया। खदान जल के नमूनों की पी एच 6.5 से 8.2 के बीच पायी गयी जो कि भारतीय पेयजल मानक 10500 के अनुसार अपनी उचित सीमा 65 से 8.5 के मध्य में पायी गयी खदान जल की चालकता 331 से 1386 us/ cm के बीच पायी गयी जबकि टर्बीडिटी 0.6 NTU से 169 NTU के बीच पायी गयी। इन नमूनों में क्लोराइड अपनी वांछनीय सीमा के अन्दर पाया गया। सल्फेट 1.77 से 263.9mg/L के बीच जबकि क्षारीयता 50.0 से 662 mg/ L के मध्य पायी गयी. खदान जल में सोडियम और पोटेशियम की सान्द्रता क्रमशः 4.2 से 137.7mg/L और 1.4 से 7.5mg/l के बीच पायी गयीं। केल्शियम और मैग्नीशियम की सान्द्रता भूमिगत खदान जल में 3.3 से 60.1mg/L और 4.6 से 68.1mg/L के बीच पायी गयी। खदान जल के नमूनों का विश्लेषणात्मक अध्ययन करने से पता चला कि खदान जल पीने योग्य उचित नहीं है जबकि यह जल घरेलू और कृषि उपयोग हेतु संतोषजनक पाया गया।
- Quality assessment of mine water of Raniganj coalfield areas
- A case study
- Kshitindra Kumar Singh, Mukesh Kumar Mahato, Abhay Singh & B. K. Tiwari
- Geo-Environment Division (Environment Management Group)
- Central Institute of Mining & Fuel Research (CSIR) Dhanbad 826015 (Jharkhand)
Abstract
Raniganj Coalfield is India's well-known and the richest coal mining belt. The physicochemical characteristics of mine water of the upper catchments of Raniganj Coalfield (W.B.) were studied to evaluate the water quality assessment. The aims of the present work is to characterize and to assess the suitability of mine water for domestic purposes by comparing various parameters of mine water with drinking water standards as per IS: 10500. A total of 27 mine water samples were collected from 8 mining areas including underground and open-cast coal mines. These samples were analyzed for various parameters such as pH, conductivity, total dissolved solids, turbidity, dissolved oxygen, total hardness, chloride, sulphate, bicarbonate, alkalinity, sodium, potassium, calcium and magnesium, etc. The pH values of water samples range from 6.5 to 8.2 which are within the permissible limit of 6.5 to 8.5 as per the drinking water standards IS: 10500, Conductivity in mine water varied from 331 to 1386 uS/cm. Turbidity in mine water varied from 0.15 to 16.9 NTU. The values of chloride content of all mine water samples were also found to be within the desirable limit. Sulphate content in underground mine-discharged water ranged from 1.77 to 263.9 mg/L while the alkalinity content in the mine water samples varied from 50.0 to 662 mg/L. The sodium and potassium concentrations in mine waters varied from 4.2 to 137.7mg/ Land 1.4107.5 mg/L respectively. The calcium and magnesium concentration in underground mine water varied from 3.3 to 50.1 mg/L and 4.6 to 68.1 mg /l respectively. The analytical results of mine water samples revealed that mine water in general was satisfactory for domestic use.
प्रस्तावना
रानीगंज कोयलांचल भारत में कोल खनन क्षेत्र के लिये प्रसिद्ध है। रानीगंज कोयला क्षेत्र पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्य में आंशिक रूप से दामोदर घाटी कोयलांचल के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। रानीगंज कोयलांचल लगभग 285.1 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। वर्तमान में कोयला भूमिगत तथा खुली खनन विधियों द्वारा कोल इंडिया की सहायक कम्पनी पूर्वी कोयलांचल लिमिटेड (ECL) द्वारा उत्पादित हो रहा है। इसके अलावा इस कोयलांचल का एक छोटा-सा हिस्सा भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) इसको और कुछ निजी कम्पनियां भी उत्पादित कर रही हैं। धरातलीय जल और भूमिगत जल खनन गतिविधियों द्वारा कई कारकों के माध्यम जैसे मृदा के भौतिक और रासायनिक गुणों की विशेषता, वर्षा, मृदा क्षरण, चट्टानों के मौसम भूमि सतह के नीचे रासायनिक प्रक्रियाओं का होना आदि से प्रभावित होते हैं। अपशिष्ट और खनन बहिःस्राव के संघटक भूमिगत जल को विशालकों द्वारा दूषित करते हैं। जल में आयन की मात्रा अधिक होने के कारण मानव स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव पड़ता है।
सामग्री एवं विधि
रानीगंज कोयला क्षेत्र अक्षांश 23°37'00" N और देशान्तर 87°08' 00'E में पश्चिम बंगाल और आंशिक रूप से झारखंड राज्य दामोदर वैली कोयला क्षेत्र के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। यह क्षेत्र अजय और दामोदर दोनों नदियों के पश्चिम से पूर्व की ओर बहने की दिशा के मध्य में स्थित है। बड़ी संख्या में छोटी और बड़ी सहायक नदी और नाले विभिन्न बिन्दुओं में इन नदियों में शामिल हैं। रानीगंज कोयला क्षेत्र से गंदे पानी का निकास प्रमुख रूप से दामोदर और उसकी कुछ सहायक नदियों जैसे खुदिया नाला, नोनीया खाल सिंग ग्रान नाला और तामला नाला द्वारा नियंत्रित किया जाता है। रानीगंज कोयला क्षेत्र की जलवायु ठंड में बहुत कम ठंडी और ग्रीष्म में अधिक आर्द्रता वाली गर्मी पड़ती है। रानीगंज कोयला क्षेत्र का अधिकतम तापमान मई-जून में बढ़ते हुये 44°C तक पहुंच जाता है जबकि दिसम्बर व जनवरी में तापमान कम होते हुये 5 से 7°C तक पहुंच जाता है। रानीगंज कोयला क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 1200 से 1400mm जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में होती है। प्रस्तुत अध्ययन में रानीगंज कोयला क्षेत्र के आठ क्षेत्रों (सतग्राम, कुनुस्तोरिया, पाडेसर, सोनपुर बाजारी, झाझरा, बांकोला और निरसा ) को शामिल किया गया है।
नमूना सरंक्षण और संग्रहण
रानीगंज कोयला क्षेत्र के खदान जल की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये व्यवस्थित तरीके से भारतीय मानकः 3025 के अनुसार पानी के नमूने एकत्रित किये गये रानीगंज कोयला क्षेत्र के विभिन्न खदान (सतग्राम, कुनुस्तोरिया, पाडेसर, सोनपुर बाजारी, झाझरा, बांकोला और निरसा) क्षेत्रों से 27 (भूमिगत के साथ-साथ खान बहिःस्राव) नमूने भी एकत्रित किये गये। खदान जल के नमूने भूमिगत खदानों के साथ-साथ खुली खदानों से 1 लीटर की संकुचित मुँह वाली पॉलीइथाइलीन • बोतलों में एकत्रित किये गये उपयोग करने से पहले पॉलीइथाइलीन बोतलों को प्रयोगशाला में तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से धोया गया ततपश्चात् डबल आसुत जल से खंगाला गया। पानी के नमूने एकत्र करने से पहले बोतलों को खदान जल से भी धोया गया। लगभग 1 लीटर पानी के नमूने प्रत्येक कार्य क्षेत्र से एकत्रित किये गये। पानी के नमूनों से प्रयोगशाला में निलंबित तलछटों को 0.45U m से फिल्टर करके अलग कर लिया गया।
विश्लेषण विधि
खदान जल के नमूनों का विश्लेषण भारतीय मानक आफा के जल गुणवत्ता पैरामीटरों के आधार पर किया गया pH और विद्युत चालकता कॉनसोर्ट की pH और चालकता विधि द्वारा जबकि नमूनों की टविंडिटी को इयुटेक यन्त्र के टविंडिटी मीटर द्वारा ज्ञात किया गया। सल्फेट, घुलनशील सिलिका को स्पैक्ट्रोफोटोमीटर द्वारा तथा क्लोराइड और बाइकार्बोनेट को अनुमापन विधि द्वारा ज्ञात किया गया। प्रमुख धनायनों को वैरियान के एटॉमिक एक्सोपसन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (AAS) द्वारा ज्ञात किया गया।
परिणाम एवं विवेचना
जल की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिये विभिन्न पैरामीटरों को सारणी में दर्शाया गया है। खदान जल के नमूनों का विश्लेषण 1 करने पर इन नमूनों की pH 6.5 से 8.2 के मध्य पायी गयी जिसमें अधिकतर जल के नमूने क्षारीयता के गुण को प्रदर्शित करते हैं। अध्ययन क्षेत्र की औसत pH 7.5 पायी गयी अर्थात किचित क्षारीयता के गुण को प्रदर्शित करती है। एकत्रित नमूनों की चालकता 331 से 1386 US/ cm के मध्य पायी गई जबकि सतग्राम खनन क्षेत्र के तीराट कोयला क्षेत्र के भूमिगत खदान की चालकता सबसे अधिक आंकी गयी। औसत चालकता 853 US/ cm थी।
कुल घुलनशील ठोस (टी. डी. एस. टी. डी. एस). में अकार्बनिक तत्व शामिल होते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 1993 के दिशानिर्देश के अनुसार पेयजल में टी. डी. एस. का स्तर 500mg/L से कम होने पर साधारण रूप से यह जल पीने योग्य अच्छा माना जाता है लेकिन पेयजल में टी. डी. एस. का स्तर 1200mg/L से अधिक होने पर जल पीने योग्य नहीं माना जाता है। पाडेश्वर खनन क्षेत्र के दक्षिण शामला कोयला क्षेत्र में सबसे कम 193.7mg/L टी. डी. एस. पाये गये और सतग्राम खनन क्षेत्र के तीराट कोयला क्षेत्र में सबसे अधिक 900.9 पाये गये। इसमें औसत टी. डी. एस. 541.6mg/L पाये गये जबकि टी. डी. एस. की वांछनीय सीमा 500mg/L है। पेयजल में टी. डी. एस. का स्तर बढ़ने से आंत्र सम्बन्धी बीमारी उत्पन्न हो सकती हैं।
टर्बिडिटी
अध्ययन क्षेत्र से एकत्र किये गये नमूनों में टर्बिडिटी 0.6 NTU से 16.9 NTU पायी गयी जबकि औसत टर्बिडिटी 2 NTU पायी गयी।
कुल कठोरता
कठोर जल में कैल्शियम और मैग्नीशियम आयन पाये जाते हैं। आमतौर पर परिभाषित करने के लिये कैल्शियम कार्बोनेट जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के अनुरूप होता है और mg/L द्वारा व्यक्त किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (1984) में कठोरता के दिशा निर्देशों में 500mg/L CaCO, स्वाद और घरेलू उद्देश्यों पर आधरित है। अध्ययन क्षेत्र में खदान जल के नमूनों में कुल कठोरता कैल्शियम कार्बोनेट की श्रेणी में 41.6 से 287. 4mg/L के बीच पायी गयी जबकि इसकी औसत मात्रा 131.6mg/L पायी गयी और सबसे अधिक कठोरता सोनपुर बाजारी में पायी गयी।
क्षारीयता
भारतीय मानक ( IS : 10500: 200 mg/L) के अनुसार जल के अधिकांश नमूनों में क्षारीयता अपनी वांछनीय सीमा से अधिक देखी गयी अधिकतम क्षारीयता 50 से 662 mg L के बीच सतग्राम खनन क्षेत्र के तीराट कोयला क्षेत्र के खान बहिःस्त्राव में आंकी गयी।
घुलनशील ऑक्सीजन
घुलनशील ऑक्सीजन की वाछंनीय मानक सीमा 5 mg/L होती है। खदान जल के नमूनों में घुलनशील ऑक्सीजन 7.4 से 10 mg/L के बीच पायी गयी जिसमें औसत घुलनशील ऑक्सीजन 8.3 mg/L थी जहां सबसे अधिक घुलनशील ऑक्सीजन निमडगां खदान जल के नमूनों में आंकी गयी।
घुलनशील सिलिका
अध्ययन क्षेत्र में घुलनशील सिलिका 12.12 से 44.3 mg/L के बीच तथा साथ में औसत घुलनशील सिलिका 30.39 mg/L पायी गयी। जहां अधिकतम घुलनशील सिलिका पाडेश्वर खनन क्षेत्र के दक्षिण शमला कोयला क्षेत्र में पायी गयी।
क्लोराइड
अध्ययन क्षेत्र में क्लोराइड 24 से 76mg/L (औसत 52. 1 mg/L) के बीच पायी गयी। भारतीय मानक 10500: (250 mg/ L) के अनुसार क्लोराइड की मात्रा अपनी वाछंनीय सीमा से कम पायी गयी।
सल्फेट
सल्फेट की सान्द्रता के साथ सोडियम और मैग्नीशियम भी संयुक्त रूप से पेयजल में अधिक होने से आंतों में गैस सम्बन्धी जलन पैदा हो सकती है। कुछ खदान जल के नमूनों में सल्फेट की सान्द्रता पेयजल मानक से अधिक पायी गयी औसत सल्फेट की सान्द्रता 69.1 mg/L पायी गयी। जहां सल्फेट की सान्द्रता अधिकतम सोनपुर बाजारी गड्ढे के जल के नमूनों में पायी गयी।
बाइकार्बोनेट
बाइकार्बोनेट की मात्रा अध्ययन क्षेत्र में 460.8 से 1136.2 mg/L के बीच ( औसत 439.1) पायी गयी धरातलीय जल में बाइकार्बोनेट की मात्रा 600mg/L होने से वह जल सुरक्षित और कृषि एवं घरेलू उद्देश्यों में प्रयोग के लिये अच्छा माना जाता है (चित्र 2 में ऋणायनों की सान्द्रता को दर्शाया गया है)।
कैल्शियम
कैल्शियम मानव शरीर हेतु आवश्यक तत्व है, जिसकी 0. 7 से 2.0g मात्रा प्रतिदिन आवश्यक होती है लेकिन गर्भवती महिलाओं या बढ़ते हुए बच्चों के लिये अधिक मात्रा की आवश्यकता हो सकती है। आई. सी. एम. आर. 1985 के अनुसार कैल्शियम हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिये भी आवश्यक होता है कैल्शियम की अधिकतम 1 वाछनीय सीमा 75mg / L और उचित स्तर से ऊपर 200 mg / L है। नमूनों में कैल्शियम आयन 33 से 60.1mg / L के बीच पाया गया जबकि नमूनों में औसत कैल्शियम आयन की सान्द्रता 13.7mg/L पायी गयी।
सोडियम
सोडियम की सान्द्रता 4.2 से 197.6mg/L पायी गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन 1984 दिशा निर्देशों के अनुसार सोडियम की वाछनीय सीमा 200mg/L दी गयी है। पेयजल में सोडियम की सान्द्रता अधिक होने से व्यक्ति हृदय और गुर्दे की बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है। अध्ययन क्षेत्र में सोडियम की औसत सान्द्रता 44mg/L व्यक्ति पायी गयी।
पोटेशियम
पोटेशियम अत्यंत गतिशील कैटावन तत्व है जो आमतौर पर भू-तलीय जल में अल्प मात्रा में पाया जाता है। पोटेशियम चयापचय प्रक्रियाओं और मस्तिष्क के माध्यम से तंत्रिका तन्त्र और नब्ज प्रवाहकीय में शमिल है। अध्ययन क्षेत्र में पोटेशियम की सान्द्रता की सीमा 1.4 से 7.5mg/L के बीच और औसत मात्रा 4. 4mg/L पायी गयी।
मेग्नीशियम
कैल्शियम और मैग्नीशियम के बाद प्रमुख रूप से स्थल जल में क्षारीय भू-धातु पायी जाती हैं। क्षारीय भू-धातु का जल की कठोरता में प्रमुख रूप से योगदान रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन 1984 के अनुसार पेयजल में मैग्नीशियम की अधिकतम वाउंनीय सीमा और उचित स्तर 30mg/L और 150mg/L है। मैग्नीशियम की एकाग्रता 4.6 से 68.1mg/L के बीच पायी गयी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन 1984 के अनुसार कुल घुलनशील ठोस का मान अपनी चानीय सीमा 500mg/L से अधिक है और भारतीय मानक 10500 के अनुसार कुछ 66.7% नमूने घुलनशील आयनों में उच्च आयनों की एकाग्रता को सूचित करते हैं (चित्र 3 में धनायनों की सान्द्रता को दर्शाया गया है)।
निष्कर्ष
खदान जल का आकलन प्रमुख आयनों की कैमिस्ट्री, घुलनशील आयनों की एकाग्रता का स्थानिक परिवर्तन, विभिन्न तत्वों के स्रोत और क्षेत्र के खदान जल का घरेलू उद्देश्यों में प्रयोग की संभावना और उपयुक्ता की शर्तों पर किया गया है। पेय जल की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिये खदान जल के आंकड़ों को विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय पेयजल मानक 10500 निर्धारित मापदंडों से तुलना की गयी तुलना करने पर पाया गया कि खदान जल की चालकता 331 से 1386US/cm के बीच परिवर्तित हुई। चालकता में स्थानिक परिवर्तन प्रमुख रूप से अश्म विज्ञान में व्यापक परिवर्तन, खनन गतिविधि और इस क्षेत्र में जल की गतिविधियों में परिवर्तनों के फलस्वरूप होता है। कुछ नमूनों में टर्बिडिटी, सल्फेट, क्षारीयता, कुल घुलनशील ठोस, बाइकार्बोनेट और मैग्नीशियम अपनी पेयजल बाउंनीय सीमा से अधिक पाये गये टर्बिडिटी वाउंनीय सीमा से अधिक होने पर प्रयोग में आने वाले उत्पादकता और स्वच्छता पर प्रभाव पड़ सकता है। क्षारीयता की सीमा अधिक होने पर जल स्वादहीन हो जाता है। अन्य सभी पैरामीटर अपनी वाछंनीय सीमा में पाये गये। अतः अध्ययन क्षेत्र में खदान जल के नमूनों का सम्पूर्ण विश्लेषण करने से पता चला कि खदान का जल पीने योग्य नहीं है और घरेलू उद्देश्यों में प्रयोग में लाने से पहले उचित उपचार की आवश्यकता है।
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