राजधानी में कूड़ा या कूड़े में राजधानी

लैंडफिल
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वर्ष 2020 तक राजधानी की आबादी बढ़कर 223 लाख हो जाएगी और कूड़े का उत्सर्जन भी प्रतिदिन 560 ग्राम प्रति व्यक्ति हो जाएगा। ऐसा होने पर एक दिन में कूड़े का उत्सर्जन 12500 टन तक बढ़ जाएगा…

वह दिन दूर नहीं जब राजधानी को कूड़े की राजधानी कहा जाएगा। क्योंकि राजधानी में हर रोज उत्पन्न होने वाला कूड़ा यही कहानी बयाँ कर रहा है। 1485 वर्ग किलोमीटर में बसी देश की राजधानी की सूरत में कूड़ा बदनुमा दाग साबित हो रहा है। अगर यही स्थिति रही तो 2030 तक दिल्ली में जगह-जगह कूड़े के पहाड़ नजर आएँगे। ऐसी स्थिति अभी से बनने लगी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि राजधानी की मौजूदा आबादी 187 लाख में प्रतिदिन 490 ग्राम कूड़ा प्रतिव्यक्ति उत्पन्न करता है। मौजूदा समय में राजधानी में 9400 टन प्रतिदिन कूड़ा उत्पन्न हो रहा है। वर्ष 2020 तक राजधानी की आबादी बढ़कर 223 लाख हो जाएगी और कूड़े का उत्सर्जन भी प्रतिदिन 560 ग्राम प्रति व्यक्ति हो जाएगा। ऐसा होने पर एक दिन में कूड़े का उत्सर्जन 12500 टन तक बढ़ जाएगा।

यही आलम रहा तो 2030 तक दिल्ली की आबादी बढ़कर 245 लाख हो जाएगी और प्रति व्यक्ति जनरेट होने वाला कूड़ा भी बढ़कर 690 ग्राम प्रतिदिन हो जाएगा। 2030 में कूड़े का कुल उत्सर्जन 17000 टन प्रतिदिन होगा। वह दिन दूर नहीं जब राजधानी में कूड़ा नहीं, बल्कि कूड़े में राजधानी होगी।

2020 के बाद कूड़ा निपटान बनेगी समस्या


सिविक एजेंसियों का रिकॉर्ड बताता है कि राजधानी में उत्पन्न होने वाले 9400 टन प्रतिदिन कूड़े में से महज 5500 टन कूड़े का ही निपटान हो पा रहा है। 3900 टन प्रतिदिन कूड़े के निपटान की अभी भी कोई व्यवस्था नहीं है। अगर यही हालात रहे तो वर्ष 2020 में नगर निगम लाख कोशिशों के बाद भी 7000 टन प्रतिदिन कूड़े का निपटान नहींं कर सकेगा। वर्ष 2030 में कूड़े के निपटान की समस्या और भी विकराल रूप धारण कर लेगी। वर्ष 2030 में कूड़ा राजधानी की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन जाएगा। 11500 टन प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कूड़े का निस्तारण नहीं हो पाएगा।

लैंडफिल कर चुकी है पहाड़ का रूप धारण


राजधानी से निकलने वाले कूड़े और खपाए जा रहे कूड़े में भी जमीन आसमान का फर्क है। इसी फर्क के बीच राजधानी के तीनों ओखला, बवाना और गाजीपुर लैंडफिल साइटों ने पहाड़ का रूप धारण कर लिया है। राजधानी की लैंडफिल साइटें अपनी क्षमता से ज्यादा कूड़ा ढो रही हैं। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओखला लैंडफिल साइट की ऊँचाई राजधानी की सबसे ऊँची इमारत के बराबर हो गई है। ओखला लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ की ऊँचाई 160 फीट हो गई है।

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