श्री रामचेला सिंह पिता स्व० बालरूप सिंह, ग्राम चैनपुरा, पोस्ट अधौरा, जिला- कैमूर (बिहार) के जागरूक एवं नवाचारी आदिवासी किसान हैं। उनके पास खेती योग्य 2.4 हेक्टेयर पठारी जमीन कर्मनाशा नदी के तट पर है। नवाचारी किसान के पास सीमित साधन के होते हुए भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। पहले वे परंपरागत ढंग से धान, मक्का, तिल, गेहूँ, चना, मटर, सरसों एवं आलू की खेती करते थे परंतु कृषि विज्ञान केन्द्र, कैमूर द्वारा प्रशिक्षण, भ्रमण और प्रदर्शन के बाद अब वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अपनी आमदनी को ढाई गुना से भी ज्यादा कर चुके हैं फसल सघनता वर्ष 2017-18 में 140 प्रतिशत थी जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 217 प्रतिशत हो गयी। आनदनी 1,34,180 रू0 से बढ़कर 3,68,900 रूपये हो गयी। ऐसा होने के प्रमुख कारणों में पूर्व खेती के साथ-साथ बाजार में मांग आधारित संकर सब्जी मटर की खेती को अपनाना, अगेती चना के साथ मूली एवं गाजर की मिश्रित खेती जैसे नवाचार को अपनाने एवं उन्नत बीज, संतुलित उर्वरक का प्रयोग, समय पर सिंचाई तथा कीट रोग प्रबंधन है।
पहले आय-व्यय अनुपात 1.73 थी जो अब 2.18 हो गयी। 0.40 हेक्टेयर (एक एकड़) में अगेती सब्जी चाली मटर के संकर किस्म जी0एस0-10 की बुआई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में किया और दिसम्बर-जनवरी तक बाजार में 25 से 30 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से 30 क्विंटल हरी मटर बिक्री कर 61,250 रूपये शुद्ध मुनाफा लिया। इसी प्रकार से अगेती चना के साथ मूली और गाजर की 0.20 हेक्टेयर में खेती करने में रू0 7080 का खर्च आया और रू0 18.200 की आमदनी हुई। चना के साथ मिश्रित खेती के रूप में मूली और गाजर की खेती उनके द्वारा किया गया एक नवाचार विधि है। उनके इस कार्य को देखकर गाँव के अन्य कृषक उनके प्रक्षेत्र का भ्रमण कर उनसे प्रेरित होकर वर्ष 2020-21 से सब्जी वाले मटर की खेती प्रारंभ कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। अधौरा प्रखण्ड के बमनी, लेवा, हरभोग, चाया. चफना, आथन और लोहरा गाँव के 25-30 कृषक इस खेती को अपना चुके है और आमदनी दुगुनी तक कर रहे हैं।
श्री रामचेला सिंहः को कृषि में किये गये इस उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष 2021 में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर), बिहार द्वारा "उत्कृष्ट किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यदि किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करे तो भारत सरकार द्वारा 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुना करने का सपना साकार हो सकता है। श्री रामचेला सिंह को कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा समय-समय पर राज्य के अंदर कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदर्शित तकनीकियों को दिखाने के लिये भ्रमण कराया गया और साथ ही साथ आधुनिक कृषि यंत्रों के माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा उनके प्रक्षेत्र पर प्रदर्शन भी कराये गये हैं जैसे- पोटैटो ट्रांसप्लान्टर द्वारा आलू की बुआई, जीरो टिलेज से धान, गेहूँ, चना, मसूर की बुआई रेजबेड विधि से मक्का, सरसों की बुआई इत्यादि । संक्षिप्त रूप से सारणी के माध्यम से उनके द्वारा किये कृषि कार्य को फसल, क्षेत्रफल, उत्पादन, आय-व्यय सहित तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है जो निन्न प्रकार है।
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