भास्कर न्यूज
फरीदाबाद. दिल्ली-फरीदाबाद से गुजरने वाली यमुना नदी का पानी करीब सात मीटर अंदर तक जहरीला हो गया है। इसके पानी से न नहाया जा सकता और न इसे पिया जा सकता। ओखला बैराज से यमुना का पानी आगरा गुड़गांव कैनाल से फरीदाबाद जिले से बहता हुआ आगे की ओर जाता है। लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते इसका पानी जहरीला हो जाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि यमुना का पानी स्नान योग्य नहीं रहा। हरियाणा के सोनीपत तक यमुना का जल इतना प्रदूषित नहीं है, परंतु जैसे ही यह नदी वजीराबाद से दिल्ली में प्रवेश करती है तो नजफगढ़ ड्रेन का गंदा पानी यमुना में आ मिलता है।
दिल्ली के घरेलू और औद्योगिक कचरा युक्त 22 बड़े नाले यमुना में एक अनुमान के अनुसार 2933 मिलियन लीटर गंदा पानी यमुना में प्रतिदिन मिल रहे हैं, जो आक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं। फरीदाबाद जिले से गुजरने वाली यमुना और इससे निकली दोनों नहरों के जल में मौजूद कालीफार्म बैक्टीरिया इंसानों पर घातक असर करता है। इसके प्रभाव से टाइफाइड, चर्मरोग सहित अनेक जलजनित रोग हो जाते हैं। प्रदूषण बोर्ड का भी मानना है कि इस नदी से निकलने वाली नहरों का पानी सिंचाई योग्य नहीं है। इसका पानी जीव-जंतुओं के पीने योग्य भी नहीं है। घरेलू और औद्योगिक कचरा युक्त 22 बड़े नाले भी दिल्ली में ही यमुना नदी के पानी को गंदा करते हैं। एक अनुमान के अनुसार 2933 मिलियन लीटर गंदा पानी यमुना में प्रतिदिन मिल रहा है, जो आक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है। इस कारण जल में तरह-तरह के घातक बैक्टीरिया पनपते हैं।
फरीदाबाद जिले से गुजरने वाली यमुना और इससे निकली दोनों नहरों के जल में मौजूद कालीफार्म बैक्टीरिया इंसानों पर घातक असर करता है। इसके प्रभाव से टाइफाइड, चर्मरोग सहित अनेक जलजनित रोग हो जाते हैं। प्रदूषण बोर्ड का भी मानना है कि इस नदी से निकलने वाली नहरों का पानी सिंचाई योग्य नहीं है। इसका पानी जीव-जंतुओं के पीने योग्य भी नहीं है।
सिंचाई के लिए फरीदाबाद में यमुना नदी से दो नहरें निकाली गई हैं। लेकिन इनमें पानी के बजाय जहर बह रहा है। सेक्टर-29 बाइपास के मछुआरों ने बताया कि इस नहर में कई साल से मछली देखने कोनहीं मिलती है। पानी जहरीला होने के कारण नहरों से जीव-जंतु गायब हो चुके हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : पूर्व कृषि वैज्ञानिक प्रह्लाद सिंह का कहना है कि फरीदाबाद में सिंचाई का मुख्य स्त्रोत यमुना नदी है। यहां के किसान सिंचाई के लिए पूरी तरह यमुना नदी पर निर्भर रहते हैं। जबकि यमुना के पानी से फसलों को काफी नुकसान होता है। इसका पानी इतना अधिक प्रदूषित हो गया है कि फंसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
यह पानी जानवरों के पीने योग्य भी नहीं है। किसान सिंचाई के लिए अन्य स्त्रोतों की ओर ध्यान दें। कृषि विभाग के पूर्व एडवाइजर आरके गुप्ता का भी मानना है कि यमुना नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है।
खेती के लिए यह पानी उपयुक्त नहीं है। इस पानी में मौजूद बैक्टीरिया फसलों के पत्तों के लिए हानिकारक होते हैं। इस पानी को सिंचाई के रूप में प्रयोग करने से दो साल में पैदावार में भी कमी आई है।
फरीदाबाद. दिल्ली-फरीदाबाद से गुजरने वाली यमुना नदी का पानी करीब सात मीटर अंदर तक जहरीला हो गया है। इसके पानी से न नहाया जा सकता और न इसे पिया जा सकता। ओखला बैराज से यमुना का पानी आगरा गुड़गांव कैनाल से फरीदाबाद जिले से बहता हुआ आगे की ओर जाता है। लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते इसका पानी जहरीला हो जाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि यमुना का पानी स्नान योग्य नहीं रहा। हरियाणा के सोनीपत तक यमुना का जल इतना प्रदूषित नहीं है, परंतु जैसे ही यह नदी वजीराबाद से दिल्ली में प्रवेश करती है तो नजफगढ़ ड्रेन का गंदा पानी यमुना में आ मिलता है।
दिल्ली के घरेलू और औद्योगिक कचरा युक्त 22 बड़े नाले यमुना में एक अनुमान के अनुसार 2933 मिलियन लीटर गंदा पानी यमुना में प्रतिदिन मिल रहे हैं, जो आक्सीजन की मात्रा को कम कर देते हैं। फरीदाबाद जिले से गुजरने वाली यमुना और इससे निकली दोनों नहरों के जल में मौजूद कालीफार्म बैक्टीरिया इंसानों पर घातक असर करता है। इसके प्रभाव से टाइफाइड, चर्मरोग सहित अनेक जलजनित रोग हो जाते हैं। प्रदूषण बोर्ड का भी मानना है कि इस नदी से निकलने वाली नहरों का पानी सिंचाई योग्य नहीं है। इसका पानी जीव-जंतुओं के पीने योग्य भी नहीं है। घरेलू और औद्योगिक कचरा युक्त 22 बड़े नाले भी दिल्ली में ही यमुना नदी के पानी को गंदा करते हैं। एक अनुमान के अनुसार 2933 मिलियन लीटर गंदा पानी यमुना में प्रतिदिन मिल रहा है, जो आक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है। इस कारण जल में तरह-तरह के घातक बैक्टीरिया पनपते हैं।
फरीदाबाद जिले से गुजरने वाली यमुना और इससे निकली दोनों नहरों के जल में मौजूद कालीफार्म बैक्टीरिया इंसानों पर घातक असर करता है। इसके प्रभाव से टाइफाइड, चर्मरोग सहित अनेक जलजनित रोग हो जाते हैं। प्रदूषण बोर्ड का भी मानना है कि इस नदी से निकलने वाली नहरों का पानी सिंचाई योग्य नहीं है। इसका पानी जीव-जंतुओं के पीने योग्य भी नहीं है।
सिंचाई के लिए फरीदाबाद में यमुना नदी से दो नहरें निकाली गई हैं। लेकिन इनमें पानी के बजाय जहर बह रहा है। सेक्टर-29 बाइपास के मछुआरों ने बताया कि इस नहर में कई साल से मछली देखने कोनहीं मिलती है। पानी जहरीला होने के कारण नहरों से जीव-जंतु गायब हो चुके हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : पूर्व कृषि वैज्ञानिक प्रह्लाद सिंह का कहना है कि फरीदाबाद में सिंचाई का मुख्य स्त्रोत यमुना नदी है। यहां के किसान सिंचाई के लिए पूरी तरह यमुना नदी पर निर्भर रहते हैं। जबकि यमुना के पानी से फसलों को काफी नुकसान होता है। इसका पानी इतना अधिक प्रदूषित हो गया है कि फंसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
यह पानी जानवरों के पीने योग्य भी नहीं है। किसान सिंचाई के लिए अन्य स्त्रोतों की ओर ध्यान दें। कृषि विभाग के पूर्व एडवाइजर आरके गुप्ता का भी मानना है कि यमुना नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है।
खेती के लिए यह पानी उपयुक्त नहीं है। इस पानी में मौजूद बैक्टीरिया फसलों के पत्तों के लिए हानिकारक होते हैं। इस पानी को सिंचाई के रूप में प्रयोग करने से दो साल में पैदावार में भी कमी आई है।
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