1. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिवों से छह सप्ताह में माँगा जवाब
2. स्वतः संज्ञान में लिया आयोग ने मामला
धार। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन 27 राज्यों के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किए हैं जहाँ पर पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा है और फ्लोरोसिस की बीमारी फैली हुई है। नोटिस जारी करते हुए आयोग ने प्रमुख सचिवों से छह सप्ताह में इस बात की जानकारी माँगी है कि उनके यहाँ की सरकार ने फ्लोरोसिस के मामले में क्या कदम उठाए हैं। यह एक विस्तृत रिपोर्ट माँगी गई है।
गौरतलब है कि केन्द्रीय जल एवं स्वच्छता मन्त्रालय द्वारा 20 जनवरी को एक प्रस्तुति दी गई थी। इसके बाद यह कदम उठाया गया है। दरअसल यह प्रस्तुति फ्लोरोसिस को लेकर थी. इसमें बताया गया था कि किस तरह से फ्लोराइड प्रभावित राज्यों में सरकारें लम्बी, छोटी व मध्यम स्तर पर गतिविधि चलाकर फ्लोराइड उन्मूलन का काम कर रही है।इस प्रजेंटेशन में बताया गया था कि राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के करीब एक हजार से ज्यादा बसाहटों में दिक्कत है।
इन प्रान्तों के अलावा जहाँ दिक्कत है उनमें बिहार, कर्नाटक, उड़ीसा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़, वेस्ट बंगाल, झारखण्ड, गुजरात, असम, हरियाणा, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, मणीपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम व त्रिपुरा शामिल है। उक्त मन्त्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम लागू करके हर ग्रामीण को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की कवायद शुरू की है।
इसमें भोजन पकाने और घरेलू उपयोग के पानी को भी शामिल किया गया है। जहाँ पर फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या है वहाँ पर स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इधर इण्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी अपनी एक प्रस्तुति दी थी जिसमें उन्होंने फ्लोरोसिस को लेकर अपने अनुभव प्रस्तुत किए। वहीं आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में उक्त जानकारी देते हुए कहा गया है कि आयोग ने सुमोटो के तहत् यह कार्रवाई की है।
मीडिया रिपोर्ट पर हुई कार्रवाई
आयोग के सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आ रही थी कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा जो मापदण्ड हैं उससे अधिक पाई जा रही थी। 19 राज्य में करीब 14 हजार 132 बसाहटों में समस्याएँ हैं। इस तरह आयोग ने सभी प्रमुख सचिवों को नोटिस देकर यह पूछा है कि इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं। यह जवाब उन्हें छह सप्ताह के भीतर देना होगा। इसमें आयोग ने सभी प्रमुख सचिवों से विस्तृत कार्य योजना, साथ ही जो निदान के लिए कदम उठाए गए हैं। उसके बारे में व्यापक रिपोर्ट चाही है।
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